इमली का पेड़ था ,वह बडा सहारा बजुर्गो का,और ऐसे सदानन्दो का जिन पर अब कोई बडी जवाब दारी नही ,साल भर का गेहू चना खेतो से आ जाता हे !यही भले इंसान ,गाव की चोपाल को आबाद किए रहते हें !अपने तजरबे और जगबीती सुना कर या फ़िर ताश खेल कर मनोरंजन कर लेते हें !इतने में किसी ने चोका दिया,--
मुरदार ,नासपीटे तू यहाँ ताश खेल रहा हे और छोरी घर में बुखार से बेहाल हो रही -जा उसे हाकिम के पास ले जा ;-बिछिया ने गरजते हुए आदेश दे दिया !बेचारा राम समुज सहम गया !शेष सभी खिलाड़ी साथियो ने भी मुंडी निचे कर ली !ज्यूँ वार से बचने के लिए कछुआ अपनी गर्दन कवच में छुपा लेता हे !क्या मजाल कोई बिछिया का सामना कर सके !आज उसकी फुंकार चंडी मेंया सी लग रही थी इसे बख्त चुप रहना ही ठीक था !------------ बेचारा समुज भी कितना सीधा हे ,वो चाहे तो आपनी बलिष्ठ भुजाओं से दो पटकनी दे कर गुडगाव की नाजनीन बिछो को सीधा कर सकता था !सत्रह साल पहले ,जब दोनों गुरु ड्रोन विद्यालय के सहपाठी थे !चोदा ललाट, गोर वर्ण समुज की चीते सी निर्भय चाल ,गठीले बदन का पहलवान और उधर रूपवती बिछिया हिरनी सी आँखे ,रक्ताभ कपोल ,अधरों की लालिमा चू कर सुदोल चिबुक पर उतर आई थी फ़िर निबन्ध लिखने में और वाद विवाद प्रतियोगिता में तो सब की बोलती बंद कर देती थी !एसे दो सहपाठियो में यदि लुका छिपी भी हो, तो विद्यालय में ऐसा कोई शेर नही था जो इनपर टीका टिप्पणी कर सके
प्लस तू के रिजल्ट में ,दोनों को अच्छे अंक मिले हेड मास्टर ने सभी मेधावी छात्रो को जी भर कर शाबासी दी !उनकी लग्न और मेहनत से ही तो ,जिले में विद्यालय का नाम ऊचा हो गया था
कोचर ग्राम की बिछो ने बी ऐ में दाखला लिया !विषय चुने परिवार प्रबन्धन और समाज शास्त्र और समुज ने किसान पुत्र होने के नाते ,कृषि शास्त्र और अर्थ शास्त्र में नाम लिखाया
कालेज में किसी सीनियर अपने जूनियर को परेशान [रेगिंग ]किया ,तो उसे कालेज से निकाल दिया जाएगा !नोटिस बोर्ड पर यह फरमान चस्पा कर दिया गया प्रिंसिपल दुवारा !अब किसी के उछ्स्क्रंख्ल होने की संभावनाए निरस्त कर दी गई !इस तरह छात्रो को सरस्वती के मुहानों की तरफ मोड़ दिया गया !यह ठीक भी तो था !हुक्म के पलने में ,बच्चो के साथ साथ उनके परिवारों को भी उच्चता मिलनी थी !समुज के बापू चोधरी किशन लाल अपने परिवार को हमेशा समझाते ,ओलाद अच्छी तो करें धन संचय ?ओलाद कुपात्र तो कियो करे धन संचय !!अपने विचारो का कालेज में अभिसिंचन होता देख उन्होंने कालेज जा कर !प्रिंसिपल की मुक्त कंठ से प्रशंसा की !कालेज में अध्यन का स्तर ऊंचा हो तथा कालेज के विकास के लिए अपनी शुभकामनाए दी !यह सुन कर प्रिंसिपल की छाती फुल गई थी एवं चेहरा चमक उठा था !
एक दिन कालेज जाते ,लाल सलवार गोते के काम वाली काली कुर्ती तिस पर शिफान का लाल दुपट्टा डाले जेसे घर से निकली बिछो को पडोसन ने देखा तो उससे खुशी रोके न रुकी -झट से बोली राजो ,-- तेरी बिच्चो तो घनी सुंदर लाग रही हे !तनक इसे कला टिका जरुर लगा दिया कर ;
राजो ने बेटी के हित की बात पले बाँध ली और कालेज से आने पर पाँच लाल मिर्च बिछो के जिस्म पर तीन चार बार घुमा कर अग्नि में आहूत दी थी !माँ जानती थी छोरी जब भी कोई नया कपड़ा पहनती हे उसे नजर लग जाती !लडकी जवान हे बापू जिमीदार हे !किसी चीज़ की कमी नही !फ़िर इस उम्र में कपडे नही पहनेगी तो कब पहनेगी !पिता और भाइओ ने भी उसे खूब लाड प्यार से पाला था घर में टी ,वि फ्रिज नोकर सब सुविधाए थी !कालेज की सहेलियो की देखा देखि बिछो ने भी लेडी साइकल की मांग की ,दुसरे ही दिन म्न्घा राम एंड संज स्टोर से नयी साइकल बन कर आ गई !
बी ऐ का रिजल्ट आ गया !बिछो की माँ रजो पूरे मुहल्ले में सब का मुह मीठा कर रही थी !उसकी बिटिया प्रथम दर्जे में पास हुई हे !सुंदर ,सुशील सब की लाडली बिछो को मुहल्ले की औरते समझदार भी मानती हे !रसोई में निपुण ,उसके हाथ का बना खाना जिसने खाया ,उसने प्रशंसा जरुर की थी !नामक ,मिर्च जीरा धनिया सब अंदाज से डालती थी !बस उसके हाथो में कोई जादू था ,की हर व्यंजन ,उसके हाथ की महक पते ही स्वादिष्ट बन जाता था !
स्कुल कालेज में अन्ताक्षरी बोलते बोलते न जाने कब उसके कंठ में बागेश्वरी आकर विराजित हो गई !वहहर गीत को लय ताल से बोलती ! सुनने वाले खामोश होकर !मन ही मन आशीर्वाद दे कर जाते थे !यही बात थी की गाव में या किसी रिश्तेदार के घर कोई शुभ प्रसंग हो और उसमे गीत संगीत का प्रोग्राम होता तो बिछो को अवश्य यादकिया जाता था !
जब तक कही विवाह की बात तय नही हो जाती ,बिछो को सिलाई कडाई का डिप्लोमा करवा देते हे !एक भाई ने प्रस्ताव रखा और बडे भाई ने तस्दीक कर दी !यह सुचना सु वो झूम उठी !नए नए डिजाइन के सूट पहनना अच्छा लगता ही था !अब तो इस क्षत्र की कल्पनाओं को स्वयम मूर्त रूप दे सकती थी !एक माह में वह कच्ची सिलाई ,फ़िर पक्की सिलाई पर हाथ सध गया था !और अब फ्र्राटे से मशीन चलाने लगी !कटिंग और कडाई वाली मेडम सिघ ,बिछो को कुछ ज्यादा प्यार करने लगी थी !क्यो न करे ?मिसेज सिघ ने एक बार आम और एक दफा शलजम का दो-दो किलो आचार ,बिछो के गोरे हाथो से ,उसे अपने घर पर बुला कर बनवाया था !सिंह परिवार में जो आचार खाता ,बस उंगलिया चाट ता रह जाता और सिंह आंटी की तारीफ कर के ही जाता था !
बिछो सयानी हो चली पारिवारिक रिश्ते में ही एक अच्छा देखा !परिवार भी जांचा परखा ,पहले मामा ने भी अपनी छोरी इस परिवार में दी थी !लालच और दिखावा उनसे कोसो दूर था !तुरंत लगुन विवाह का महूर्त भी निकल आया था !बारातियो का हार्दिक सत्कार हुआ !पंडित ज्ञान सागर ने वैदिक रीती से सात फेरे ,पानी ग्रहण संस्कार सम्पन्न करा दिया !डोली में बिठा कर भाई अपनी बहन बिछो को गाव की सरहद तक विदा कर आए !
प्रात; सूर्योदय का समय पलारपुर के गाव के उस छोर पर आम के पेड़ के पास कहारों ने डोली उतारी !राम समुज के पिता ने खुश होकर नेग दी ,और क हार खाली पालकी लेकर विदा हो गए !
पनघट पे पानी खीच रही महिलाओ में भी राम स्मुज की दुल्हन को दर्खने की उत्सुकता जगी !कुछ जवान छोरिया और दो तीन बजुर्ग औरते बहु को निहारने तथा आशीर्वाद देने चल पड़ी !
फलदार पेड़ के नीचे ,बहनों ने भाई और भाभी से पेड़ की पूजा अर्चना करवाई !इस रिवाज के पीछे धारणा यह हे की ,नव युगल को शीघ्र संतान फलित हो !रेगिस्तान में बेर के झाड़ की पूजा करवाते हे !अब तक बुदी औरते दुल्हन को देखने पहुच चुकी थी !समुज और दुल्हन ने उनके चरण स्पर्श कर प्रणाम किया !"जग जग जियो खूब फूलो फ्लो "कह कर उन औरतो ने दोनों का अभिवादन स्वीकार किया !लड़किया जो दोड़ दोड़ कर आई थी !बडे उत्साह में थी की दुल्हन की एक झलक मिल जाए !लेकिन जब दुल्हन घूँघट हटाए , तभी तो मन मोहनी को देख सकेगो !इतने में बैंड वाले भी अपने वाद्य लेकर आ गए !एक शहनाई ,दो नगाडे और चार बिगुल बजेया थे !यह कर्ण प्रिय धुनें बजाते हुए आगे और बाकि सभी पीछे पीछे चल रहे थे !स्मुज के पिता अपने हाथ में रखी चिल्लर की पोटली में से एक एक मुठी सिक्को की भरते और दूल्हा दुल्हन पर पीछे फेक देते !नवेली दुल्हन ,दूल्हा समुज के साथ सारा परिवार जब आगे बढ़ जाता ,तब गाव के बालक बलिकाए एक,दो और पाँच के सिक्को को उठा उठा कर अपनी जेबे भरते जा रहे थे !
सांझ में बिछो उसकी बाटजोहत्ती रहती थी !रामसू के द्रश्य मान होते ही उसका रोम रोम खिल जाता था !राम समुज खेत से जब भी लोटता तो साथ में घर के लिए साग सब्जी फल आदि जरूर ले कर आता गाजर मूली शलजम खीरा;टमाटर और कुछ न मिलता तो गुलाब का फूल ही ले आना उसकी आदत हो गई थी !जीवन चर्या के साथ स्रष्टि कर्म भी चलता रहा ! इस तरह हस्ते खेलते एक के बाद एक ;दो पुत्र रत्नों से बिछो की गोद भर गई !लेकिन बिछो को एक कन्या पाने की चाह अभी बाकि थी !इसलिए रमसू को ओपरेशन करने की इजाजत नही दी बिछो की मर्जी के बिना उसका पत्नी व्रता पति पानी भी नही पीता था !अब कन्या रत्न पाने के लिए देवो से प्रर्थना की जाने लगी !कहते हे प्रभु देना चाहे तो छापर फाड़ कर भी दे देता हे !इस जुगल जोड़ी की मुराद पूरी हुई !पाँच सल् में संतान का मन माफिक कोटा पूरा हो गया !अब और कुछ नही चाहिए था !अब बच्चो के लालन पालन और सरकार की परिवार नियन्त्रण योजना का साथ देते हुए ;बिछो ने भी लेप्रोस्कोपी ओपरेशन करवा कर एक अच्छे नाग्रिक्का परिचय दिया !मन को एक संतोष यह भी था ;की तीनो बच्चो का गू मूत्र भी मिल कर साथ साथ साफ़ कर लेगे ! बाद में चेन की बासुरी बजाएगे !
बिछिया और राम समुज अपनी ग्रास्थीसे खुश थे !रकम उनके पास उतनी नही थी !जितना की रिश्तेदार आत्म प्रवंचना कर जाते थे !इनके पास एक चीज़ थी जो रिश्तेदारों के पास बिल्कुल नही थी ,वह था अटल संतोष और मितव्यता पूर्वक खर्च करने की मासिक योजना !यही सूत्र था की यह सदा निमग्न आआआउर हमेशा प्रसन्न रहते थे !इन्होने अपनी आँखों के सामने कयियो को दिवालिया और विक्षिप्त होते भी देखा ,कुछ लोग झूठ फरेब के सहारे धनी मणि भी हो गए थे !परन्तु प्रशंसा ,पद और धन का लालच इन दोनों का ईमान नही खरीद पाया था !इस मामले में दोनों चिकने घडे थे !
राम समुज मेरा लागोटिया यार था कभी कभार पत्राचार हो जाता था !अबकी कई सालो बाद सरकारी कम से इधर आया तो एक दिन की छुटी पड़गई !में पल्सर पुर गाव चला आया !समुज के घर का मेंन गेट अंदर से बंद था मेने कुन्द्दी खटखटाई ,तो अंदर से साकल खुलने की आवाज हुई !एक लडके ने गेट खोला तो लगा ,यह राम्समुज की ट्रू कापी थी !में समझ गया ये उसका छोटा लड़का था !मेने कहा -पापा से बोलो आपका दोस्त राम प्रकाश मिलने आया हे १ मेरी आवाज़ भाभी ने सुन ली थी !वहशीघ्रता से गेट पर आ गई और बोली यह बाज़ार गए हे १०-१५ मिनिट में आ जाएगे ,पर आप बहर क्यो खड़े हे अंदर आये न !
बेटा अंकल को बैठक में ले जाओ ,और टी वी चालू कर दो ,हा आज का पेपर भी टेबल पर रख देना !बेटे ने तत्ख्यं माँ की आज्ञा का पालन किया !फ़िर मेरे लिए ट्रे में जल का भरा उसके शब्दों में !मेने प्रश्न किया बेटा -तुम्हारा नाम क्या हे ? अपना नाम राकेश बताने के साथ ही मुझ से आग्रह पूर्वक पूछा अंकल जी आप चाय लेगे या काफी
?
राम समुज ने आते ही पुकार लगाई राम प्रकाश ...
उसके शब्दों में मिलने की प्यास थी,उसकी आँखें दब दबा कर चालक पड़ी !शायद वह कई दिन से इन का इंतज़ार का रही थी । दोनों गले मिले और एक दुसरे को बाहों में भर लिया ...कुछ क्षण के लिए मौन छा गया ...
चुप्पी तोड़ते हुए समुज ने उल्हाना दिया - क्या सरकार जी नौकरी इतनी भारी ,की चिट्टी लिखनेकी फुर्सत नही है । लेकिन अब तो यहाँ फ़ोन लगा है .इसका नम्बर ले लो और अपने ऑफिस और घर का दे दो ताकि कभी तुम्हारे लिए दिल उदास हो तो बात तो कर सके.राकेश ने पिता की भावना समझी और अपनी फ़ोन दिअरी में राम प्रकाश अंकल के दोनों नम्बर नोट कर लिए और एक चित पर अपना फ़ोन नम्बर लिख कर उन्हें दे दिया। दोनों दोस्त परस्पर मगन होकर एक दुसरे के बारे में समाचार जान रहे थे ।
गरमा गरम भजिये ,पकौडे और गुड के खुरमे एक ट्रे में तारा बेटी ले आएउसके पीछे चाय की केतली और ५ कप भाभी जी ले आए । सर्दी में भजिये पकौडे जयादा आचे लगते है और मैंने तबियत से खाए और चाय सूत ली यानि डर कर चाय पी इस तरह नाश्ता चलता रहा मैंने अपनी नौकरी की और सामाजिक परेशानिया बताई .फिर समुज ने बताया की तीनो संताने गुरु कृपा से होन हार है,बड़े बेटे ने कृषि विज्ञान में डिग्री लेकर कृषि सेवा एवं बीज केन्द्र के नाम से एक स्टोर खोला है जिसका नाम तारुषा हीभी ।राकेश भी mba karke डेल्ही की एक कंपनी में नौकरी कर रहा ही और टाटा बेटी अभी कॉलेज जा रही ही ,मैंने बात बढाते हुए कहा भाभी के बारे में कुछ बताओ ,तब समुज बोला। ..भाई तुम्हारी भाभी के बारे में क्या कहना, वो तो हर काम में चतुर ही.रसोई के हर समान का बढ़िया से बढ़िया इस्तेमाल करना जानती ही। और पूरे गों की जनानियां तेरी भाभी को जानती ही .घर में १५-२० महमानों की खातिरदारी करना तो उसके बाये हाथ का खेल है.सिलाई कडाई में तो पूरी मास्टरनी है । सर्दी में भी दशेरे से पहले के नवरात्रे और राम नवमी के मार्च वाले नव रात्रे में तो कीर्तन मंडली रोज़ ही भजन -संगीत में बुला ले जाते है । भाई जो बल बच्चे १ बार तेरी भाभी से बात करले ,बस वह तो इसके fan हो जाए । मुझे यह जानने की इच्छा हुई तो समुज ने बतलाया ,भाई तीन बच्चो को पाल पोसकर संस्कार वान तो बनाया साथ में अच्छी एजूकेशन भी करवादी । यु देखकर तो सभी इससे सलाह मशवरा लेने आते है ।
भाई हमारे टेलीफोन का आधा बिल तो इसकी समाज सेवा में परवान चढ़ जाता है । १ बात और कहू तुम्हारी भाभी झूठ की निंदा जूगली को तो कभी भी पसंद न करे । इसका हर कम positive सोच का होता है । समझे भाई राम प्रकाश ।
मेरे और समुज की शिक्षा अलग अलग हुई थी! किंतु घुर्मन में गीली डंडा हमने साथ खेले थे। मेरे पिता केन्द्र की नौकरी में बंगलोर चले गए । तब से यारो का मिलना जुलना ख़तम सा हो गया आज मिले तो पुराने दिनों के जिगरी संबंधो के पौधे हरे होकर लहलहा रहे थे । मैंने भाभी इ तरफ़ देखा ,उसके होटों पर मुस्कराहट थी । लेकिन चेहरे के भावो को देख कर लगता था की, उसके अंतस की गहराई में कुछ तो, है जो आज उगल देने चाहती है । भाभी जी हमारी पवित्र दोस्ती को जानती और समझ तथा मेरे घर परिवार ,पत्नी,बच्चो के बारे में खुल कर बातें होती थी ,कभी कभी आपस में चिठ्ठी द्वारा समस्याओ के समाधान भी पूछ लेतेठे ,और साड़ी बातें किसी भरी संदूक के ताले में बंद होजय आरती थी। मैंने अब भाभी से कहा -सब मौज मंगल है न। वह भभक पड़ी, क्या भाई साहब मजे की बात करते हो, यहाँ तो जब से आई हूँ ,नरक भोग रही हूँ ,घर घ्रह्स्ती का इतना बोझ है ! न दिन को चाय और न रात को आराम बस कम ही कम ...................करना है मुश्किल कहना है आसान।
मैंने भाभी के इन गहरे शब्दों में छुपी चीत्कार और मायूसी भरी संवेदना को उबलते देखा था .इसलिए उस फोडे की मवाद को अगर बाहर नही निकलने दिया तो यह कैंसर बन सकता ,ब्रेन की नस तोड़ता ,या फिर ख़ुद खुशी के हालात पैदा कर सकता था।इसलिए भाभी जी की अंतर्वेदना को सुन्ना सच्चे दोस्त के नाते जरूरी लगा।भाभी जी ने विवाह के पूर्व क्या क्या सपने देखे थे सो भी बताये और वह उन्हें पूरा करने के लिए दबाव बनाये रहती थे,लेकीन सपने तो सपने है ,घर परिवार की मरियादों को ताक पर नही रखा जा सकता . जो सेक्स शादी विदेशो में कपड़े बदलने के सामान है!हमारे लिए जीवन भर का बंधन है । भाभी ने बताया तुम्हारे कंजूस दोस्त ने कभी मेरी तारीफ नही की। बस मेरे में हरदम बुरे देखते रहे ,कभी २ जोड़े कपड़े अपने हाथ से खरीद कर नही लाये। कभी मुझे होटल में पपेट भर खाना नही खिलाया ,न मुझे परिवार में समान दिलाया। ऐसे पति को गले में बाँध कर क्या मैं मजे में रह सकती हूँ?
एक एक शब्द राम समुज भी सुन रहा होगा.किंतु मेरे कानो में उसके वह शब्द पिघले हुए लावे की तरह जा रहे थे। और मैं चुप चाप संयम से सुनता चला जा रहा था. फिर भी मैंने उसकी निकलती हुई भड़ास पर कोई विराम लगना उचित नही समझा. इसलिए मैंने कहा और कुछ बाकि हो तो वह भी कह डालो। मैं तो जीना ही नही चाहती। मैंने ३-४ बार जेह्रेली गोलियां भी खाई,पर मुझे मौत ही नही आए। मुझे नही तो इसे ही आ जाए,लेकिन पता नही किस मिटटी का बना है ये? इतनी गलिया सुनने के बाद भी हे हे करता हुआ खेत पर निकल जाता है। इसे कब अकाल आयगी? बस मुझे कुछ नही कहना। मैंने मन ही मन कहा शेष कहने को बचा भी क्या है?और यही सोच रहा थकी मैं कोई मनोरोग विशेशज्ञ तो हू नही,पर इतना जरूर समझ रहा था की भाभी को ज्ञान का अभिमान जरूर है,तभी तो समुझ इतना सब सुनता रहा है,और पत्नी को साम्झाता भी रहा है की दर्प मत किया करो,चार वेदों का ज्ञाता रावन को भी घमंड ने अन्त्था चूर कर के ही रख दिया था,फिर तुम कितनी अपने को ज्ञानी समझती हो? ये सब सोचते हेमैने भाभी से कहा आचा आब थोड़ा जल पे लो और हमारे लिए भी ले आओ...
अब भाभी रिलेक्स हो चुकी थी !अभिमान और आत्म प्रवंचना का चुभा दंश निकल चुका था !पकोड़ी खाने के बाद प्यास भी लग आई थी १एक गिलास पानी पिया -फ़िर कहा ,एक एक कप चाय हो जाए भाभी जी ;-मेने अपनी इच्छा व्यक्त की !हा हाँ भेया अभी बना कर लती हूँ -फ़िर भाभी रसोई में चली गई !और मेरे अंतस में चिन्तन चलने लगा ,आज की समस्या ग्रस्त दुनिया में नितांत अकेला चलना बडा ही मुश्किल हे !कोई तो ऐसा हो जिसे हम अपना कह सके ?अत हर व्यक्ति को अपने ही हित के लिए एक दो अन्तरंग मित्र अवश्य होने चाहिए !आज के डिप्लोमेट जमाने में नित नई समस्याए उपजती रहती हें और कभी कभी स्तिथि इतनी संकट ग्रस्त हो जाती हे ,की अपनी बुध्दी हार जाती हे !किसी नये व्यक्ति को एका एक समस्या बताना संकट पूर्ण लगता हे !तब व्यक्ति असहाय हो ,विक्षिप्तता और तनाव [डिप्रेशन ] का शिकार होने लगता हे !यह अच्छा हे की मित्र समुज और हम अपनी उलझने एक दुसरे से मिल बाँट [शेयर कर ]लेते हें !इसलिए हम दोनों स्वस्थ हें ,हर हाल में प्रसन्न रहते हे !परन्तु भाभी ने आज तक किसी को अपना हमराज़ नही बनाया !मूळ कारण व्ही हे !जब दुनिया दारी का बोझ अचानक बढ़ जाता हे ! तब ऐसा व्यक्ति डिप्रेशन की चक्की में पिसता हे या तनाव से ग्रस्त हो के अपना नुक्सान कर बेठता हे !संत कबीर जी ने ठीक ही कहा हे
निंदक को निकट में राखिए ,ज्यूँ आंगन व्रक्ष की छाँव
बिन साबुन पानी बिना ,निर्मल करे स्वभाव !!
ऐसे ही सच्चे मित्र हमारे स्वभाव पर सदा ही थर्मामीटर लगा कर रखते हें !और हमे कमजोरियो तथा बुराइओं से सतर्क रखते हें !यह सोचते हुए में विचारो के कोहरे में विलीन हो गया था !अचानक भाभी के आग्रह पूर्वक शब्दों ने मुझे बाहर निकाला -"भाई साहब चाय ,शक्कर कम हो तो और दाल लेना पास में रख के जा रही हूँ !कह कर भाभी फ़िर अपने घरेलू कार्यो में मशगूल हो गयी !
गाव से शहर में जाने वाली बस में जगह मिल गई थी !ड्राईवर ने ज्यूँ ही स्टार्ट करी ,मुझे छोड़ने आए समुज ने पुनः स्मरण कराया !घर पहुचते ही फोन करना और बच्चो को हमारा प्यार देना !बस चल रही थी में मन ही मन दर्शन- शास्त्र के पन्ने पलट रहा था !आज जिस संदर्भ में हम जी रहे हे !यदि हमने अपनी ही कुल गोत्र के ऋषि मनु और महात्मा कर्म चंद गाँधी को भुलाया न होता ,तो व्यक्ति दिपरेशनहम से कोसों दूर रहता !लेकिन हमने चरखे पर सूत भरना ,बढाने पर तकली की नोक पर रुई से धागा बनाना ,स्वस्थ और मिल जुल कर रहने वाले सभी करतब भुला दिए !उन्होंने यह कभी नही कहा था की,इलेक्ट्रानिक युग में कम्पुटर ,लेपटाप और सॅटॅलाइट मत बनाओ !बल्कि हमे बार बार चेताया था ! बेटा खूब फूलो फलो ,लेकिन शरीर का श्रम मत छोड़ना !दान जरुर करना ,यानि उसमे त्याग और सहयोग की भावना घुली हुई हे !तपस्या में छुपा हे दुःख को धीरज एवं सयम से झेल लेने का स्वाद !इन पर अमल करने में हमारा ख़ुद का ही भला हे !
मुझे याद हे समुज की शादी के द्रश्य हे उसके सब रिश्तेदारआए थे !सब मुझे भी समुज जेसा स्नेह दे कर मेरी हर जरूरत का ध्यान कर रहे थे !विवाह के समय बडे छोटे सभी को बुलाने का अर्थ उन्हें सम्मान देनाहे!फ़िर सहयोग तो अपने आप मिल जाता हे !दुल्हे को सेहरा बंधते सब के हाथ लगवाना उनके आशीवाद पाने का परिचायक हे !घडा घदोली की रीत ?बहनों और भाभियो ,चाची ,मासी,भुआ ,आदि को बुला कर उन्हें सम्मान देने भावः कितने ह्रदयस्पर्शी होते हे !जंद व्रक्ष की टहनी दुल्हे की तलवार से कटवाना !उसके भुज बल का परिचायक हे !ऐसे विशेष अवसरों पर निराकार ब्रह्म का स्न्र्ख्यं पाने के लिए महिलाओ के गीत गायन की रीत बडे काम की चीज़ हे !जिसका भोतिक मोल कम सही ,किंतु भावनात्मक कीमत अनमोल हे !
टेलीफोन न; लिखने का फायदा यह हुआ ,परस्पर निकटता बदती गई !दोनों तरफ से परिवार की शादियो में आना जाना शुरू हो गया !मेरे और समुज के घरो का फासला ट्रेन और बस का समय मिला कर दस घंटे लगते हे !रोजी रोटी की नोकरी की भाग दोड़ में ,प्रोग्राम ऐसे बनते हे की रात तो गाडियों में निकल जाती हे !दिन के घंटो को भी ऐसे बांटते हे जेसे हम कही के मंत्री बन गए हों !
समुज के बच्चो की शादिया भी पडे लिखे परिवारों में हो गई !बेटी को अच्छा सुसराल मिला ,उसके परिवार के सभी सदस्य ऊच्च सरकारी पदों पर आसीन थे !बेटी तारा ने भी सुसराल जा कर नोकरी कर ली थी !बडा बेटा स्टोर चलाने के साथ खेती बादी के काम की देख भाल कर लेता था !राम समुज इश्वर को सदा बहुत धन्यवाद देता ,उसके सारे काम आपने ही किए रामजी !वह अब घर की जिमेदारियो से मुक्त था फ़िर भी तीन चार घंटे खेत पर जा कर ,फसल की निंदाई ,गुडाई पानी लगाना या फ़िर जो भी काम होता !वहा उसे श्रम करने में मजा आता !उसे क्यारियो से खर पतवार निकालना सब से अच्छा लगता था !खेत से लोट कर स्नान से निवर्त हो लाल अंगोछा बाँध कर पूजा में बेठ जाता !उपासना में उसे पूरा एक घनता बीत जाता !चने की मिस्सी रोटी गुड के साथ उस पर लस्सी का बडा गिलास !अपना हो गया लंच ,यह कहते हुए गाव की चोपाल पर चला जाता !कभी किस्से कहानिया कभी ताश की महफिल लगती अब सामान्यता रोज़ का यही टाइम टेबल बन गया था !समुज अपनी पत्नी के स्वभाव को पूर्णता से समझ चुका था इसलिए बिछो के अति कठोर शब्द भी गुलाब के काँटों जेसे प्रतीत होते !अब वह निर्विकल्प और निश्चिंत रहता !क्रोध को संयम की मजबूत रस्सी से बाँध कर पत्थर की बडी शिला के नीचे रख दिया था !
इस बार मेरी छुटिया बच गई ,कही से एक विचार आया -चलो बहुत समय बीत गया समुज के गाव हो आते हें !बीएस से जेसे ही पल्सर पुर गाव बीएस स्टाप पर उतरा ,क्या देखता हु ? पंद्रह बीस लोग पीछे पीछे चले आ रहे हे ,आगे आगे सर मुंडे बस चोटी के थोड़े थे वह व्यक्ति चल रहा था जिसके हाथ में जल का लोटा कंधे में जनेऊ ,और गले में अस्थियो की पोटली लटक रही थी !द्रश्य देख समझ में आ रहा था की समुज के परिवार से कोई बडी उम्र का प्राणी चल बसा होगा !और आज चोथे की रस्म कर ,मसान से मृतक के फूल चुन कर ,बिरादरी के साथ घर वापिस आ रहा था !गाव के ही एक व्यक्ति से पूछने पर मालूम पडा की राम समुज के पिता चोधरी किशन लाल जी का तीन दिन पहले देहांत हो गया था ! यह देख सुन कर में भी चुप चाप उनके साथ बिरादरी में शामिल हो लिया !घर के द्वार पर पहुच कर समुज ने गाव की परम्परा अनुसार बिरादरी को ,शाम को छ; बजे मरू की चोकी में आने की सुचना देकर रुकसत दी !समाज के अधिकतर लोग अपने घरो को चले गए !शेष बचे रिश्ते दार जो घर के ,वे भी नहाने धोने लग गए !अब मेरे और समुज के सिवा बैठक में कोई न था !वह उदास था ,!पिता की मौत से आनंदी चेहरे पर विषाद की झुरिया उभर आई थी ! मेने उसे सांत्वना दी और हिम्मत बंधाई !पिताजी मेरी छतरी थे !मेरी हर चिंता उनके अनुभव के सामने चुटकी बजाते ,समाप्त हो जाती थी !मुझे पिता का ऊचा सहारा था ,तीन दिन में ही मुझे कांटे चुभ रहे हे !में तुझे फोन भी नही कर पाया !आज चोथे पर सभी रिश्तेदारों को कार्ड पोस्ट करने हे !तुम्हे भी लिखता चलो अच्छा हुआ भगवान ने मेरी मदद के लिए तुम्हे भेजा हे अब तो तेहरवी करवा कर ही वापिस जाना !समुज की हालत देख मेने भी दस दिन उसी के गाव रहने का वचन दिया !
सांय छ; बजे ,हे ,चोथे की चोकी में ,बिरादरी से लगभग पाने तीन सो लोग पहुच चुके थे !मारू राग पर आधारित धुन्न ,रागनी व् कीर्तन चोकी ! गुरु ग्रन्थ साहब ,रामायण एवं गीता की शिक्षाए ,जो व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग बताती हे !मृतक के परिजनों को ढोलक की ताल पर पञ्च दस गायक अपने स्वरों में कहते हे !हे प्राणी तुम्हे उदासी कहे की हे ?हमारे दादा परदादा राम ,कृष्ण जेसे अवतार ,भीम सरीखे बलवान युधिष्ठर से सत्यवान जो आया जग में सभी को इक दिन जाना हे बली जेसे दानवीर ,रावन जेसे वेदपाठी ,लंकापति जिनकी संतति नाती पोते सवा लाख थे !वह भी सभी युद्ध में मरे गए !उनके लिए दिया जलाने वाला भी कोई नही बचा !किंतु प्रभु का रचा यह संसार चल रहा हे और चलता ही रहेगा !इसलिए हे प्राणी धीरज रखो और जिस विध रखे प्रभु तिस विध [प्रकार ]प्रसन्नता पूर्वक रहो !चोकी के शक्षा प्रद बोल ,विचलित परिजनों के ,सिगरेट के धुए की तरह बहकते विचारो को .शीतलता दे रहे थे !तथा पुनः संसार में रह कर्मशील और कर्तव्य परायण होने की प्रेरणा दे रहे थे !
इतने सरे लोगो को उन स्वरों को पुनः दोराते देख ,राम समुज परिवार के सदस्य संयत होने लगे थे !सभी अपने आप को संभल कर बाहर से आए हुए मेहमानों की देनिक जरुरतो को पूरा करने लगे !पांचवे दिन से बाहरवें दिन तक गीता जी का पठन और परिजनों द्वारा श्रवण होता रहा !इस बीच में और राम समुज पिताजी की अस्थियो को पवित्र नदी गंगाजी में विसर्जित कर आए !तेहरवी के दिन प्रात काल से पूरे घर आंगन की सफाई लिपाई पुताई की गई ! पवित्र रसोई चोक में पक्का भोजन चन्ना खीर पूडी आदि बना !पहले ब्रह्मणों और परिवार की बहु बेटियो को भोजन कराया गया !तदुपरांत सभी को भोजन परोसा गया !