Monday, September 8, 2008

केसिनो का राज्य -स्वछंद -लॉस वेगास

न्यू यार्क से तीन हजार मील पश्चिम अमेरिका का कभी सुस्त रेगिस्तान ,जहा सूर्य उदय भी तीनघंटे बाद होता हे!जहा रेत रेत रेत और कंकड़ के सिवा कुछ नही !बरसात कम जमीन बाँझ !इनका दिमाग देखो ,उस सुनसान वीरान खांडवप्रस्थ को इन्द्रप्रस्थ बनादिया केसे ? इस इलाके को आबाद करेगा सरकार उसे रियायते देगी ' यह घोषणा कुछ ऐसेअसर कर गई जेसे दिवाली के दिनों हम हिनुस्तानियो में जुआ खेलने का सोक ऊछाले मरता हे !ऐसे किन्ही जोशीले xkyno me ,juyaari प्रवृति के धनवानों ने उस khetr में जुआ घर बनाने शुरू कर दी उनमे जुआ खेलने की जितनी विधिया एव प्रकार हो सकते थे !सब रख दिएऔर दिमाग ,पैसा दोनों थे ,खूब प्रचार भी कर दिया गया !खिलाडियों के लिए जगह -मशीन कम पड़ गई !सच ही व्यक्ति जितना अमीर होता जाता हे चित की शान्ति उतनी प्रे होती जाती हे !इन जुआ घरो [केसिनो ]में वैज्ञानिक और वास्तु विशारद लगा दिए गए !विडियो गेम कीnew तकनीक वाली मशीनेज्यादा रोचक -आकर्षक बना दी ,पूरे वातानुकूलित हॉल उनमे फूडकोर्ट भी बना दिए गए !शेख ,अमीर और rahees जादो का आना जाना क्या बड़ा परियो की चहक भी सुनाईदेने लगी !केसिनो की कमाई दिनों दिन बदने लगी गेम मशीनों पर रंग बिरंगे , saintifik और अंको के इतने खेल हे की आप खेले बिना रह नही सकते !महाभारत के पांडवों ने जुआ खेल कर क्या पाया ?यह तो हर भारतवासी जनता हे !किंतु कई देशो के amir मनोरंजन के लिए आज भी आते हे !पैसा लुटा कर उनके अहंकार को तृप्ति मिलती हे !

लाग -वेगास का हम देसी भाषा में एक अर्थ -हारिए बेलगाम होकर -भी लगा सकते हें !यह जुअरियो और उनसे खेलेने ,खिलने वाली अप्सराओं का स्वर्ग हे !जहा जीत कर भी ,फ़िर हारना ही अच्छा लगता हे ! दुनिया के द्युत खिलाडियो में इसका मीठा मीठा प्रचार हो चुका हे !केसिनो में पेट भरा जुयारी अपने उत्पाती अभिमान को तुष्ट करता हे !यह अमेरिका का नए ढंग का पर्यटन केन्द्र बन गया हे जहा चार पाँच सो होटल केसिनो के दम पर तगडी कमाई कर रहे हे !इन विकसित केसिनो का इंटीरियर हमने किसी फाइव स्टार होटल में भी नही देखा !पर्यटक जानकारी के लिए -
www lagvegasnm.org--and for hotel --wwwplazahotel.nm.com पर सम्पर्क कर सकते हे !
अमेरिका के कई स्टेट में हर जगह विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति नही !राजधानियो में २०-२५ होर्डिंग ऐसे दिखाई दिए जो टाटा ४०७ जेसे ट्रक खम्बा फिट कर लगा दिया जाता हे !यह९० प्रतिशत विज्ञापन मेग्जिन या फ्री अखबारों में समाया रहता हे !बडी चेन वाली व्यापारिक फर्म अपनी गाइड बुक निकलती हे जिसमे उसी ट्रेड सम्बन्धित दूसरी दुकानों तथा एजेंट स के एड भी होते हे !फर्मो की इन बुकलेट्स में मुख्यता अपने सामान का ही बडे आकर्षक ढंग से विज्ञापन किया होता हे !यहाँ आनलायन ट्रेडिंग अधिक हे हर कम्पनी ,होटल रेस्टोरेंट या सप्लायर की अपनी वेब साइड हे !छोटी दुकानों या येलो पेजिज़ की फोन इमेल जानकारी गूगल -मेल या इंटर नेट पर मिल जाती हे एअर -ट्रेन -बस और होटल-रिसोर्ट की बुकिंग तो घर बेठे नेट पर हो जाती हे क्योकि यहाँ एसा कोई वर्कर नही जिसके पास क्रेडिट कार्ड न हो !हर समझ दार ,दूरदर्शी नागरिक अपने पास अ.टी.म.एवं क्रेडिट कार्ड रखता ही हे !बेंक अपने ग्राहकों को कड़क ठण्ड के महीनो एक सुविधा और देते हे !ऐसी गाड़ी ऐसी दफ्तर बाहर --०४ डिग्री ठण्ड ,मुंबई का ड्राफ्ट बनाना था हमारी कार कोअप बेंक के पोर्च में पहुची !उस दिन ठण्ड -?-एक मिनिट में कुल्फी बन जाए !कार से निकलना जोखिम लगा ,क्या करें ? तभी सामने कांच की खिड़की से देखते हुए कर्मचारी की आवाज़ सुनाई दी !वाट केंन आई दू फार यू पोर्च में लगे कन्स्फ्रेंस फोन पर हमने भी अपनी बात कही ?तब बेंक कर्मचारी ने बताया कार में बेठे बेठे पोर्च में लगे ६"व्यास के कमर्शियल पाइप में अपना लोकल चेक एवं डी डी फार्म रख दे !हमने निर्देश का पालन किया ,कार में बेठे संगीत सुनते रहे !पाँच मिनिट में मुंबई का ड्राफ्ट इलेक्ट्रानिक पाइप में उसी जगह में बन कर आ चुका !हमने नयी तकनीक एवं बेंक को धन्यवाद दिया और आगे बद गए !

Sunday, September 7, 2008

यू -एस -सभ्यता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता -

यू -एस की पहचान हमे अपनी आजादी के बाद ही मिली हे !स्पेन देश का एक उत्साही नाविक था !उसने कभी हिंदू -सभ्यता कीई तारीफ़ sunii होगी ,उसी जिज्ञासा को लेकर वहहिंदुस्तान की खोज करने निकल पड़ा !उसके पास अति ऊत्साह तो था लेकिन यह द्वीप कहाँ ,कीस दिशा में हे मालुम न था !वह अपने कुछ सहायको के साथ नाव चलाते चलाते अमेरिका द्वीप की धरती को ही उसने इंडिया माना !उस नाविक का नाम था कोलंबस !उसी के कारण ही एशिअई देशो को इस देश के बारे जानकारी मिली थी ! कोलम्बस कुछ अरसा रहा और इंडिया ही समझता रहा !स्पेन वापिस पहुचने पर अपने देश वासियो इस द्वीप की नेसर्गिक सम्पन्नता की बाते बताई तो वहा से कई लोग व्यापार करने आए और यहाँ ही बस गए !फ़िर डच आए ,नए द्वीप में फ्रांस तथा ब्रिटेन सभी कई व्यापारी आए वे जिस खेत्र में रहे उस पर उनका अधिपत्य होता गया !इन सभी ने यहाँ से कमाई की राज भी किया किंतु यहाँ के लोगो नई तकनीक नई समझ और श्रम शीलता के साथ विचारो की विशालता भी दे गए !स्पेन के लोग जहा पहले पहुंचे थे उन्होंने उसका नामकरण इंडिया ना कर दिया !अमेरिका के इन देशो से आए नागरिक शासन करते रहे !१७७३ में यहाँ के मूल निवासियो में आत्म विश्वास जागा !तभी मूल निवासियो ने मिल कर एक बडा सगठन स्वयम को मजबूत करते रहे १७७६ में बाहरी शासको की अवज्ञा कर एक नए मजबूत लोकतंत्र की स्थापना कर डाली !इसप्रकार ४जुलाइ १७७६ को नई पार्लियामेंट का गठन कर जन तंत्र की शुरुआत कर दी !सत्य ईमान और मेहनती शासन आज तक ऊचाइयां छू रहा हे !उसी वर्ष ही एक उच्च स्तरीय स्कूल की स्थापना की गई जिसमे शासन की जिम्मेदारी वाले सभी मंत्रियो को ट्रेनिंग दी जाने लगी !तब से सभी खेत्रों में उतरोत्तर विकास होता चला आ रहा हे !

यहाँ अनपद का कोई काम नही ,साक्षरता का प्रति शत सब से आधिक हे रोड ,आटोमोटिव ,रेल और वायु आधारित टेक्नोलाजी अपने चरम पर हे !यहाँ जीवन की कद्र हे !हर शक्स अपने कर्तव्य को प्रथमिकता देता हे !वह रचनात्मक काम करता हे ,शिकायते तथा भूतकाल की बातो पर रोने में अपना समय बर्बाद नही करता !आर्ट आफ लिविंग संस्था का ध्येय वाक्य सदा वर्तमान में रहो इन्हे याद हे यह लोग महान विचारक सर श्री तेजपारखी जी को भले नही जानते ,पर वर्तमान में जो हो रहा हे उसे स्वीकार कर ,अपना कर्तव्य करते रहते हें !अगर कुछ अरुचिकर हे तो ठंडे होकर विवेक से सोच विचार कर निर्णय लेते हे !जबकि हमारे देश में कुछ विघ्न संतोषी ,स्वार्थी ,कसबे के मेंढक नेता ,निरीह ,निरक्षर और साक्षर जनता को भी भावनाओं का देशी सोमरस पिला कर ! बेय्दो और बंदरो की तरह हांक लेते हे !धरने ,बंद और प्रदर्शनों से उनको लड्डू भले मिलें लेकिन देश हानि एवं सरकार का सिरदर्द और बद जाता हे !

आदमी बंदर की ओलाद हे ,किसी वैज्ञानिक ने कहने से पहले जरुर सोचा होगा !साड़ी बातें अच्छी ,सिक्के का दूसरा पहलू भी होना चाहिए !यह सोचना हमारी आदत में शुमार हे !जबकि मेरे देश में मर्यादा पुरुषोतम राम ,भगवन श्री कृष्ण , गोतम बुध ,जैन के २४ तीर्थंकर ,मुनि ,यती ,योगी ,शंकराचार्य ,आचार्य ,और महात्मा गाँधी तक हमारी गोरव मई धरती पर अवतरित हुए !किंतु हम ईमानदारी से अंतर में देखे ,हम उनका कितना अनुकरण करते हे ?जब की सोहनी -महिवाल ,लेला -मजनू ,ठग नटवरलाल ,हमारे ही देश में अधिक दीखते हे !एक गाना आपने भी सुना होगा में रोड पर डांस ,शमशान में गाना गान्यू मेरी मर्जी !पञ्जाबी फ़िल्म का एक और भोंडा गाना हे -तेनु दल्हा किसने बनाया भूतनी के ,तेनू घोडी किसने चढाया भूतनी के !यह देख कर सोचता हूँ क्या यही हमारा कल्चर हे !फ़िर अपेक्षाकृत अमेरिका किउ हमसे अच्छा बन गया ,जब की यहाँ की आबादी बहुत कम हमरे देश में काम करने वालो की संख्या कम नही!लेकिन उन्हें सही मार्ग द्र्श्षक नही मिलता गाव के या शहर के नेता अधिकतर अपने स्वार्थ में लिप्त हे !गाव के किसान को अच्छी पैदा वर मिले उनके समय का भर पूर उपयोग हो हर मजदूर को कम ,हर नागरिक को रोजगार जो हर एक की पहली आवश्कता हे !चीन की आबादी हमसे ज्यादा हेकिन्तु हरेक के पास कम हे !पैसा भले कम मिले लेकिन काम मिलना चाहिए जिससे घर की गुजरान हो सके !ऐसा नही हे इसलिए भुखमरी ,बेरोजगारी और लाचारी भी हे !तब तुंरत समझ में आ जाता हे ,यहाँ का शासन सुद्रढ़ हे व्यक्ति शोषण और बेईमानी नगण्य हे नेताओं में पद प्रतिष्ठा का लालच भले हो किंतु पेसे के लालच में नेता नही बनते !दो सो वर्ष से अनुशीलन में रहते ,नागरिक नियमो का पालन करना आदत बन गई हे !!शहर में कोई आवारा जानवर नही !में आप को रोड सिविक्स का नजारा बताऊ !जब हम उप मार्ग पर जा रहे थे ,हमने दुसरे डाउन मार्ग पर ,पुलिस करें न पर एक कर देखि ,जिसका बोनट जल चुका था !यह घटना मात्र दस मिनिट पहले घटी होगी !शायद पोलिस ने वह कार रोड से अभी अभी ऊठा कर साइड पर कर दी थी !उतनी ही देर में दो मील तक कारो का जाम लगा था!आश्चर्य की स्थिति यह थी की एक भी आदमी रोड पर नही था सभी अपनी गाडियो में,और सभी अपनी ही लेन में धीरे धीरे चला रहे थे !वह भी बिना किसी पे .पे और छेच च के !बडी शालीनता के साथ !यहाँ नागरिको का कहना हे ,पोलिस इमानदार -सेवारत और बड़ी सतर्क भी हे !घटना की सूचना मिलते ही ,आधिकतम दस मिनिट में ही घटना स्थल पर पहुच जाती हे !फस्ट एड वाली वें न ,ट्रेफिक करें न और जरूरत पड़ने पर एम्बुलेंस भी पहुच जाती हे !यहाँ के हर कारचालक के पास मोबाइल फोन रहता ही हे इसलिए पुलिस का सहयोग तुरंत मिलता हे !इसके अतिरिक्त सड़क पर कही भी आपकी गाड़ी खराब हो ,तो यहाँ एक नेशनल संस्था हे त्रिप्प्ल ऐ [ ऐ ऐ ऐ ]यानि अमेरिका आटोमोटिव एसोसिएष्ण !इसके सभी नगरो में एजेंट और पिक उप वाहन हें जब भी फोन करे तुरंत सेवा में हाजिर !गाड़ी में काम अधिक हे तो आप को निकट बीएस स्टाप ,स्टेशन तक छोड़ ,कुछ ही दिन में आप की गाड़ी आप के हर पंहुचा दी जाती हे साथ में नियमानुसार बिल भी भेज दिया जाता हे यहाँ जंगल बहुत ही और तीस से चालीस फुट लम्बे सीधे पेडो को बिजली के खम्बे बन्नने के काम में लेते हे !दो तीन स्टेट में तो सभी जगह लकडी वाले खंभे ही थे !

Thursday, September 4, 2008

योगेश और शमिता के साथ-नोका+विहार

नाव में बोटिंग करते , लहरों का आनंद लेते हुए में स्मृतियो के पालने में झूलने लगा बेटे योगेश की सूझ बूझ पर अब पक्का भरोसा कर सकते थे !प्लस टू की पदाई माडल स्कुल में पुरी करने पर स्कालरशिप भी मिली थी !पी इ ,टी , परीक्षा में भी अच्छा रेंक था !मासूम शर्मीला रिंकू ,इंजीनिरिंग कालेज की काउंसलिंग के समय उसने पूछा -तो मेने ही अपने दिल की बात खोल कर रख दी थी !अगर जिंदगी में कुछ बनना हे और अपने अंदर आत्म विश्वास पक्का करना हे,तो अपने नगर से दूर ,बाहर के कालेज में दाखला लो कालेज भी एसा चुनना ,जिसमे अच्छे शिक्षा वृन्द के साथ आधुनिक लायब्रेरी ,आधुनिक औजारों से परिपूर्ण प्रयोगशाला भी हो !इतना ही काफी नही उसमे अच्छे क्रीडा आगन और स्पोर्ट्स की सुविधाए भी पूर्ण हों !इन सब पहलुओ पर विचार करने के बाद तय हुई अपनी पसंद ,भिलाई इन्स्तिचिउट्स आफसाइंस एंड तकनोलाजी !शायद वह २१ जून का दिन था !योगेश और में भिलाई के कालेज पहुचे थे एडमीशन की कारवाही पूरी की !उसी ही दिन थोड़े प्रयास के बाद !एक उद्योग पति श्री ठाकुर साहब के नवनिर्मित कमरे को योगेश के लिए किराए पर ले लिया !स्टडी के हिसाब से बहुत ठीक था जो उपर बना था ,शेष पूरे बंगले में ठाकुर साहब का पूरा परिवार रहता था !उसके बाद रात को मेने स्टेशन पर विदा ली !कियोकी अगले दिनों मुझे इंदौर भी जाना था !

योगेश चार साल की पदाई इस अनुशासन के साथ पूरी की जेसे राजधानी एक्सप्रेस चलती हे वहीपर केट की परीक्षा दी !परिणाम आते ही स्नातकोतर स्टडी के लिए आई आई आई टी मुंबई में प्रवेश मिल गया !वहा पड़ते पड़ते ही कालेज प्रबन्धन ने यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत घुमने तथा नया कल्चरदेखने समझने दूर के देश स्पेन भेज दिया एम् इई की डिग्री मिली विदेश भी देख लिया और आई बी एम् में नोकरी भी लग गई !अब हमारा एक ही महत्व पूर्ण कर्तव्य बाकी था योगेश के लिए योग्य कन्या देख कर १२ जून को शमिता से विवाह करा कर हम निश्चिंत हो गये थे नाव में सुरक्षा- चक्र के रूप में मेरे आगे योगी और पीछे बेठी शमिता पर भी तो मुझे पूरा भरोसा हो गया था जब उसने मुझे द्रद्ता पूर्वक विश्वास दिलाया !हम दोनों आपके आगे और पीछे भी हें पापा जी ,आप निर्भय होकर बोटिंग को एंजाय करें !उसके शब्दों में आत्मीयता और चापू चलाने में मजबूत विश्वास था !फ़िर दोनों यंत्री , दोनों एम्,बी ,ऐ , भी हें दोनों व्यक्तित्व से ऐसे हें ,यदि वाद की सिथति आए तो सामने वाले पक्ष को तर्क पूर्ण शब्दों से चित कर दे !दोनों में नम्रता एवं मिलनसारिता का गुन भी हे !पिछले कई दिन से घर में दोस्तों का आना जाना लगा ही रहता था !हम तीन तीन होकर दो नावो में सवार ,कर रहे थे नोका विहार !जब किनारों के निकट आते तो पेडो के पत्ते भी खिल खिला कर हंसते !मानो हमारे साथ आँख मिचोनी और अठखेलिया कर रहे हों !दोनों नावे सुदूर पानी में अलग अलग विहार कर रही थी !एक बार फ़िर दोनों नाव अधबीच में आपस में मिली दोनों के कैमरों ने आखे खोली और दोनों नावो के समिलित मनमोहक फोटो अपनी अपनी फिल्मो में कैद कर लिए !इस तरफ से मेने उस तरफ से पत्नी ने नावो से हाथ निकले ,मानो दोनों एक दुसरे के पास आजाना चाहते हो हाथो में हाथ आते ही अपनी प्रफुल्लता का अहसास दिलाया !साथ ही एक दीर्घ निश्वास छोड़ते हुए धीरे से मुझे कहा ,यहाँ रिया महेश भी होते तो सोने में सुहागा होता

धर्म पत्नी के इतना कहने के बाद हमारी दोनों नावे फ़िर अलग अलग लहरों पर taerte दूर होती गई और में अतीत में खोता जा रहा था !यादे स्मृति पटल पर तेज रंगीन होती जा रही थी रानी के बडे भाई हरभगवान जी महेश के लिए रिश्ता लाए थे !उनके दोस्त मोहन कुमार ने उनको दो तीन दफे भोपाल चलने का कहा था आज उनके आने पर लंच सब ने मिल कर किया !आफिस को सलाम भेज दिया था शाम को हल्की बरखा की रिम झिम में अपनी गाड़ी से बोट कल्ब घुमने निकल pade क़ल्ब में भुने भुट्टे जो खाए थे !उनका स्वाद आज भी याद आता हे !फ़िर रात के भोज के समय घर परिवार की बाते होती रही थी !अगली प्रात; मन्दिर से लोटने के उपरांत श्री मोहन कुमार जी ने रिश्ते के प्रस्ताव के साथ lgn पत्रिका और फोटो भी थमा दी थी हम विचार करेगे !इस से आश्वस्त होकर वे उज्जेन के महाकाल के दर्शनों को चले गए थे रात को हमारे पूरे परिवार की प्रेजिडेंट aadarniy माता जी और ११सदस्य अपनी संसद में बेठे विचार विमर्श कर रहे थे उनसे जो जानकारिया प्राप्त हुई थी ,से हमारी माता जी संतुष्ट थी !किंतु माता जी को अपनी होने वाली पौत्र वधु के रंग रूप की जानकारी लेना आवश्यक लग रहा था !शब्दों में व्यक्त की गई हरभगवान जी की पुष्टि केबाद माता जी ने फोटो देखना चाह !बेटी अंजलि ने होने वाली भाभी का फोटो ऐसे प्रस्तुत किया जेसे शहंशाह के सामने चांदी की तश्तरी में मीठे बनारसी पान को सजा कर लाया जाता हे माता जी ने जब वो फोटो देखा, वेह निहाल हो गई जेसे उसकी अन्तिम इच्छा पूरी हो गई थी !फोटो में सुंदर - लाजवंती का सा मुखडा माता जी के दिल को लुभा गया और रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी अपना महेश भी तो ऊचा गठीला ,प्रतिभा संपन्न एम् बी ऐ पास आज भी उसकी सहपाठी नव योवानाए जब कभी महेश से मिलने आती हें तो ,उससे हाथ मिलाए बिना वापस नही जाती महेश जिस भी दफ्तर दुकान में जाता हे अपने प्रस्सन चित विनोदी स्वभाव से सामने वाले को गुड गुदा कर अपनी मधुर स्मृतिया उनके याद रखने के लिए छोड़ आता हे

सच ही रानी ने कहा था रिया महेश भी एक बार भाई का सुंदर संसार देख जाते तो उन्हें भी तसल्ली हो जाती !और इस चिंता से विमुक्त हो जाते की उनका छोटा योगी बेगाने देश में निपट अकेला तपस्या तो नही कर रहा !वे भी तो अपने छोटे और छोटी भाभी को हमेशा -सुखी ,स्वस्थ और समरथ देखना चाहते हे !महेश माँ से कई बार अपनी मायूसी प्रकट कर चुका हे की छोटे को इसलिए इंजीनियर नही बनाया था की वह जंगल के हिरनों की तरह विदेशो की ख़ाक छानता फेरे और घर की स्नेह भरी ममता मई बगिया की छाव का आनंद भी न ले पाय !कभी विरही माँ के आसू देख कहता -माँ तू रोया मत कर यह उसका भाग्य हे की भोपाल में उसके लायक नोकरी ही नही हे ,इसलिए परिवार से दूर रहना उसकी विवशता हे !यही ममता माता पिता भाई बहन सभी को कभी न कभी परेशान कर ही देती हे !

नाव के चप्पू चलते चलाते हाथ सेब जेसे लाल पड़ गए ,पूरे सवा घंटे पानी की लहरे हमे माँ के पलने की तरह झुलाती रही थी !शीतल मंद समीर हमे सहला जाती ,रोम रोम महक रहा था !अब सांझ होने को थी चप्पू चलाने वाले चारो खाने चित्त हो चुके थे !नावे किनारों पर लगी अस्ताचल सूर्य रात के आगोश में जाने को बेताब था !हम भी तेज कदमो से अपने पडाव की ओर बड़े जा रहे थे हवाओं में ठंडक बदती जा रही थी !तम्बू में पहुच सभी ने गर्म स्वेटर और शाल निकाले फ़िर आग जलाई और सब को अग्नि की tapjsh hme गर्माहट दे रही थी !ठंडे व्यजनों को गर्म कर पेट की उछल कूद को शांत किया !रात के सादे बारह बज चुके थे !दूर से झीगुरो की आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे रही थी !आसमान में तारो का संसार उत्तर में ध्रुव तारा विशेष अतिथि के जेसा लग रहा था !हम धवल -संत रिया रंग के पेराशूट कपडे के झोपडे नुमा टेंट [तम्बू ]को धन्यवाद दे रहे थे !जिसने बीती रात शरद की रजाई जेसा स्नेह देकर अपने आंचल में छिपा लिया था व्ही आश्वस्त आज फ़िर हमारे थके शरीरो को विश्राम देने को आतुर हे !निद्रा का प्यार भरा अहसास सभी को टेंट के भीतर खींच लाया !कब आँख लगी किसी को याद नही !

सुबह सविता देवता की झलक मिलते ही में तेयार हो सेर करने वन की पगडण्डी पर दूर निकल गया !सूर्य की लाल पीली किरने पत्तो के झुरमुट को चीर कर मुझे छू रही थी !सभी को एक समान प्रकाश बाँटने वाले सूर्य देव ,ज्ञान के कारक evm urjaa देने वाले ,वे ही समुद्र के जल को वश्पी कृत कर बादलो का निर्माण करते हे !में यह स्मरण कर ही रहा था, की काले सफेद बादलो के झंड एक साथ आ गये और कद कद करते मेरे कपडे गीले कर दिए अब में इतनी तेज भगा जेसे मेरे पीछे जंगली कुत्ते और भेदिये भाग रहे हों जेसे तेसे टेंट में शरण ली थी मेने !बरखा की बुँदे टेंट पर गिरती तो नगाडे सी आवाज़ होती ,सभी जाग चुके थे और वृष्टि विराम का इंतजार करते रहे किंतु मोसम ने हमारी एक न सुनी !अब हमने अपना बोरी बिस्तर बाँध लिया अंत में दो व्यक्तियो ने हाफ पेंट पहने टेंट को उतार गाड़ी में लाड दिया और बरखा रानी के गीत गेट घर पहुच गये !

समुद्री तूफान और आपदा मुक्ति संस्थान --

अमेरिका का ७० % सीमा खेत्र समुद्र से घिरा हे !स्वार्थी मनुष हवा और पानी को भी बाँधने का दुसाहस करता हे तो प्रक्रति भी कभी कभी अपना रोद्र रूप -आंधी एवं समुद्री तूफान बन कर दिखाती हे !अचानक एक शाम चार बजे घटा टोप बादल छ गए !बिजली की तेज गर्जना हुई और धमा धम बरसात होने लगी !हमने टी वीआन किया !दूरदर्शन पर घोषणा की जा रही थी -बोस्टन से ५० मिल दूर फलां इलाके में समुद्री तूफान के साथ तेज आंधी चल रही हे अत उस खेत्र में बसने वाले व उन मार्गों से गुजरने [क्रॉस होने ] वाले वाहनचालक सतर्क होकर रहे !हम टी वी में द्रश्य देख कर तूफान की गंभीरता का अनुभव कर रहे थे !एक घंटे में प्रक्रति का वेग शांत हो गया !अपने घर बेठे बेठे हमारे दिलो में उपजे तनाव से हमे मुक्ति मिल गई थी !कुछ दिनों पश्चात् लौसनियाँ में भयंकर तूफान आया २००० घरों का एक कस्बा आंधी में उड़ गया छते उड़ने पर मकान तहस नहस होने से कई नर गए ,हजारो बेघर हो चुके थे !मिलिट्री ने दस घंटे में इतना बडा शेड तान दिया !सभी को आश्रय के साथ कपडे तथा भोजन की व्यवस्था की गई ! यह प्रबंध देख हमे संतुष्टि हुई !-----------ज्ञान --------ज्ञान ------------------ज्ञान ---ज्ञान की कोई सीमा नही होती !अपने नागरिको को आधिक से आधिक ज्ञान मिले प्रशासन की कोशिश हमेशा रहती हे !हर शहर में ज्ञान-भंडार के रूप में पुस्तकालय विद्यमान हें !हम कालोनी में बनी थामस करेंन लायब्रेरी गए !द्वार में प्रवेश करते ही ,सामने बेठी गोरी में म ने हमारा अभिवादन किया जो यहाँ की इंचार्ज थी पास ही एकआठ्बाई आठ फुट की मेज पर चार कम्प्यूटर इंटरनेट युक्त रखे थे आम पाठको के लिए थे !मुझे शिकागो के शक्ति पीठ की लोकेशन कम्प्यूटर से मालूम हो गई !इंटरनेट तो अथाह ज्ञान भंडार हे !हजारो किताबें बच्चो से लेकर सो वर्ष के बुडे तक सब के लिए पुस्तके हे !सभी पुस्तकालय पाच घंटे खुलते हे एक दिन अवकाश तो सप्ताह मीक दिन ९ घंटे भी खुलते हे पाठको में विश्वास और जिमेदारी भी ,वे पुस्तको को बडी श्रधा से घर ले जाते हे !वापसी के लिए समय से लेट होने तथा ताला लगा होने की दशा में बहर रखे बुक ड्राप बाक्स में भी पुस्तक दाल सकते जो अगले दिन निश्चित ही आपके खाते में जमा हो जाती हें !

Wednesday, September 3, 2008

न्यू जर्सी और डाक्टर अंशु अग्रवाल का घर -

आज नार्थ ईस्ट अमेरिका के स्टेट न्यू जर्सी जाने का प्रोग्राम बना !दोपहर का लंच कर हाईवे क्रमाक ९५ पर निकल पडे जो चार सो किलो मीटर दूर सीदे न्यू यार्क पहुचता हे वहा से साऊथ में न्यू जर्सी !हमारी गाड़ी फ़रातेसे दोड़ रही थी !दो घंटे बाद हम एक गेस पम्प पर रुके !पेट्रोल को लोग गेस कहते हें !पेट्रोल भरवाया !उसके बाजूमें केंटिन थी ,मेने कोल्ड टी तथा बचो ने कोल्ड काफ़ी ली !पास में बने सुंदर लान में बेथ गए ! १५ मिनिट विश्राम के बाद शरीर को नईस्फूर्ति मिल चुकी थी !फ़िर हमारी यारिस पूरे वेग से दोड़ रही थी !हम दो स्टेट स को पारकर अब न्यू यार्क स्टेट में थे !सड़क के दोनों जो भवन दिखे सभी लाल इंटो से बने थे ,जयपुर के गुलाबी शहर की तरह इसे रेड सिटी कहा जा सकता हे !आगे एक और मेट्रो सिटी देखीइसके कुछ मीलदूर समुद्र किनारे पर ढेर सारेबहु मंजिला भवन थे !उनको चारो तरफ कांच से दकागया था ,उनमे भी अलग अलग झलक वाले कांच भवन थे !उनकी भव्यता देख यू लगा हम तिलिस्मी कांच नगरी में घूम रहे हों !वर्ड ट्रेड सेंटर की दो भव्य इमारते भी यही हुआ करती थी !यहाँ से दक्षिण दिशा को न्यू जर्सी स्टेट हे दोनों स्टेट के मध्य एक बहुत चोद्दी नदी हे जिस पर वाशिगटन पुल बना हे ! वह पुल भी तिलिस्मी नजारा हे ,बिना पाये के मोटी तारो का साथ फुट चोद्दा ७० फुट ऊचा और लगभग ४००० फुट लम्बा था !उसे पार कर हम न्यू जर्सी स्टेट प्रवेश कर गए !यहाँ से १२५ मील दूर भतीजी चिकि के घर जाना था !स्टेट का बडा एअर पोर्ट नेवार्क देखा ,बड़ा आश्चर्य हुआ !शाम छ; बजे का समय सो से भी अधि हवाई जहाज निश्चल खडे थे !इसी के पास बहुत बडी बन्दरगाह भी हे !उसमे बडे बडे करें न थे जो बडे भारी केंटर को भी उठा कर शिप में रख देते थे दो स्टेट के ट्रांस्पोतेष्ण का काम यही से तथा चाइना का माल भी यही उतरता हे !कई करिश्मे देखते देखते हमारी गाड़ी जगलो को चीरते हुए बदती जा रही थी !जेसे ही हमने ओशन नामक नगर में प्रवेश किया !दोनों तरफ फूलो से लदी हरियाली ने हमारा रोम रोम खुशबु और उत्साह से भर दिया !चिकि का घर हमने देखा नही था ,पहली बार जा रहे थे !पूरे रास्ते हमको पैदल चलता कोई राहगीर नही मिला जिस से हम पता पूछते ? लेकिन हमारा अन्तरंग गाइड जी पि एस और मोबाईल ,दोनों हमारे साथ थे !इसलिए बिना एक मिनिट व्यर्थ किए ,चिकि के घर के सामने जा कर ही रुके थे ! --------- ---------हमारी भतीजी ने घर का द्वार खोला सीडिया प्रथम तल के फ्लेट मर जा रही थी ,मायके में सीडियां थी यहपिया का घर भी वेसा मिला था !चिकि और सोरभ को जेसे हम मिले ,उनके मुख मंडल की आभा दुनी हो गई !शिष्टाचार का आदान प्रदान हुआ ,बहुत दिन के बाद बचो से गले मिले थे !सभी खिले खुले थे !घर का सब सामान करीने से सजा था मानो हर वस्तु हमारे आनेse उलसित थी!चाय पान होने के उपरांत हम सभी डिज्नी लैण्ड मेला देखने गए !मेले में यू लगा जेसे नोनीहालो की दुनिया में आ गए !बहुत से झूले बच्चो के गेम और डांस देख कर गुड गुडी होने लगी और आनंद विभोर होते रहे !हमने यहा का समुद्री किनारा देखा तीन चार मील तक अच्छी सेर गाह पक्के फुट पथ जगह जगह बेंच और गमले सजे थे ! जग मगाते स्ट्रीट लेम्प सपनो का संसार लगते थे ठंडी हवायो का आनंद लेते लेते घर पहुचे और अपने अपने बिस्तर में दुबक गए !----------- ---------- -----------पूरे परिवार के लोग गहरी निद्रा में थे !किंतु मेरे दांत का दर्द रात दो बजे जग गया १ अब में केसे सो सकता था !अ में उठा मुह में डाबर लाल दंत मंजन दस मिनिट तक लगा कर , दर्द को समझाने की कोशिश की ! लेकिन वह बेचे न नही माना !मेरे पास केवल दो गोली बची थी !में इन्हे इमरजेंसी के लिए बचा कर रखना चाहता था !किंतु दर्द इतना बढता जा रहा था की एक गोली दाग देने में खेर समझी !थोडी देर बेचेनी के बाद नींद लग गई !सुबह तरो ताज़ा हो कर सेर पर निकल गए !स्नान ध्यान होने के बाद सभी ने मील कर नास्ता लिया आज का पूरा दिन व्यस्त रहने वाला था। पुनः दंत दर्द उठने की शंका बनी हुई थी, मैंने चिक्की को उसका पड़ याद दिलाया, जैसे लंका विजय के पूर्व हनुमान को अपने बल का भान कराया गया था। मैं बोला डा. अंशु अग्रवाल होम्योपथी में भी दंत दर्द मोचन वाली कोई दवा हे। यह सुनकर वो सतर्क हुई, उसने अपने मस्तिष्क का कंप्यूटर खोला और जाकर एक होती सी शीशी में साबुदाने जैसी कुछ गोलियां लेकर आई। चार गोली तुंरत लेने का निर्देश, साथ में ये कहा १५ मिनट बाद कुछ नही लेना। हमने भी उसके निर्देशओ का पालन दिनभर ४-४ घंटे बाद करते रहे। फिर दर्द कहाँ रफूचक्कर हो गया याद नहीं आ रहा।

Monday, September 1, 2008

अमेरिका में कृष्ण जन्मौत्सव---

उत्तर -पूर्वी अमेरिका ,मेसचुट्स की राजधानी बोस्टन में पहले तो हम ने यहाँ का साइंस सेंटर देखा बहुत विशाल टिकिट पर कतार थी फ़िर प्रवेश के भी चार गेट थे !उसके अंदर चार चार फ्लोर के दो विंग थे !हर फिल्ड की वैज्ञानिक जाकारी से हम बड़े अभिभूत हुए इसके बाद बेक बे एरिया पहुचे !कामनवेल्थ रोड नयनाभिराम भवनों के मध्य इस्कान टेम्पल के प्रणेता श्री पूज्य पादस्वामी के अनुयाई ओं ने यहाँ एक छोटा सा किंतु भव्य शोभा पूर्ण श्री कृष्ण मन्दिर बनाया हुआ हे !आज जन्म अष्टमी का दिन था आस पास की पार्किंग में स्थान नही मिला !प्रशांत और तरुण के साथ तीन सो कदम दूर गाड़ी पार्क कर पद यात्रा करते मन्दिर के समुख पहुचे !चरण पादूकाएस्टेंड पर रख दींस्वागत कक्ष में प्रविष्ट हुए !चार पॉँचसज्जन भारतीय वेश भूषा में मिले ,जिनसे भी हमारी आँख मिलती उधर से मुखरित होता जे श्री कृष्ण ! वहीसे हम हालकमरे में पहुच गए !जहा राधा कृष्ण की मुर्तिया विराजमान थीं !जिन पर अति सुंदर श्रृंगार किया गया था !एक तरफ भगवन के लिए फूलो से सुसजित झुला बना था !चमकते हुए फर्श पर ध्रुपद और ढोलक तथा हारमोनियम वादकों से मिलकर सभी भक्त कीर्तन कर रहे थे !हमने भी प्रभु जी के दर्शन किए ! आसन लिया और हरे किशना ,हरे रामा ,कृष्ण कृष्णा हरे हरे की धुन के साथ स्वर मिलाने लगे !संगीत की स्वर लहरिओं में सभी मस्त थे !दुनिया दारी सेदूर आत्म आनंद में थे !जब वादकों ने विश्राम के लिए संगीत को विराम दिया ,तभी हमने घड़ी पर देखा !हमे एक घंटा बीत चुका था !अब आसन छोड़ने का मन नही था !हमने बेठे बेठे भक्त मडली अपने चारों तरफ निहारा !लगभग सो सवा सो भक्त होंगे !जिसमे दस अमरीकन परिवार भी थे जिन्होंने साड़ी और कुरता धोती पहन रखी थी !उनके बच्चे भी इस परिवेश में शोभा ऐ मान लग रहे थे !थोडी देर बाद मूर्तियों के आगे पर्दे लगा दिए गए और फ़िर दो कलाकारों द्वारा ओडिसी न्रत्य किए जाने की घोषणा हुई ! इस छोटे से मन्दिर में न्रत्यो की इतनी अच्छी प्रस्तुति हो सकती हे !हमे अनुमान नही था !न्रत्य विद्यालय की कन्या ने सरस्वती वंदना की !सधी हुई वेश भूषा पर श्रंगार भी अनूठा था ! सर पर मोर मुकुट ,कानो में हीरे जडित कुंडल कवच !गले में महारानी गुलुबन्द और हार ! यह सारे आभुष्ण उस मुख की दीप्ती को सूर्य प्रकाश की किरणों की तरह चोगुना प्रदीप्त कर रहे थे !न्रत्य का आरम्भ बांसुरी की सुरीली तान से हुआ , ! जो कृष्ण का अभ्यस्त वाद्य हुआ करता था !नायका की ऊंगलिया और उनका एक एक पोर ,हाथ और कलाई यां ,आँखे ,पलके !शरीर के सभी अंग ,माँ सरस्वती के प्रति अपनी श्रधा अर्पित कर रहे थे!बांसुरी को haarmonym भी साथ देने लगा !कुछ देर बाद ttable ने भी संगत की तो न्र्त्यागना के पैर भी thirak रहे थे ,पूरी मुद्राऐ संगीत के सुरों में लए होती जा रही थी !हमने ओडिसी न्रत्य को कभी इतने गोर से नही देखा था !किंतु आज तो मन मग्न हो धूप के धुए की maanind गगन में उड़ रहा था !दूसरी प्रस्तुति अभिनय की थी जो एकल न्रत्य में पांडवो को जुआ खेलते ,हार जाना फ़िर दुशासन का द्रोपदी का चिर हरण !अंत में श्री कृष्ण द्वारा द्रोपदी की साड़ी को आनंत लम्बी कर लाज बचना !पूरी एतिहासिक कहानी भाव भंगिमा के साथ प्रस्तुत की गई जिसे सभी भक्तो व दर्शको द्वारा सराहा गया इस प्रकार विदेश में भी हमने अपने इष्ट की पूजा अर्चना कर आनंद को प्राप्त किया !जे श्री कृष्ण !

यू .एस .पोस्ट .पद्धति ,छुटियाँ और तापमान --

unitd states में पोस्ट-ऑफिस सेवा पूर्ण प्रचलन में हे कोरियर सेवा भी हे डाक-सेवा यू .एस हर छोटे ग्राम में भी विश्वासप्राप्त कर चुकी हे !बड़े भवनों में मुख्य द्वार के पास मेल डेस्क अवश्य बनी होती हे !जहा पोस्ट में न अपनी चिठियाँ छोड़ जाता हे और पोस्ट की जाने वाली डाक का संग्रहन भी कर के ले जाता हे यह कार्य आटोमेटिक हो जाता हे !यहाँ छ नेशनल अवकाश होते हें !१ न्यू इअर एक जनवरी दूसरा मेमोरियल डे इस दिन शहीदों और देश भक्तों को याद किया जाता हे जो मार्च में मनाते हें !तीसरा स्वतंत्रता दिवस ४ जुलाई को मनाया जाता हे पूरे जोश के साथ इस दिन हर नागरिक अपने घर को छोटे बड़े झंडो [यूनियन फ्लेग ]के साथ यह झंडे जब तक ख़राब न हो लगे रहते हें !४ सितम्बर प्रथम में लेबर-डे मनाते पाचवां नवम्बर में थेंक्स -डे इसे कृतज्ञता दिवस भी कहें वह मनाते हें छटा २५ दिसम्बर क्रिसमस डे मनाते हे इन छुटियो में ४ जुलाइ फिक्स बाकी को साप्ताहिक अवकाश के साथ जोड़ दिया जाता हे ! ताकि लोग तीन दिन मजे करे बाकी दिनों काम का जोश पुरी तरह बना रहे !यू एस का भूभाग बहुत फेला हे अत अलग प्रदेशो का तापमान भी अलग रहता हे जो इस प्रकार हे ! प्रदेश का नाम -जन-फर -मार्च -अप्रल मई -जून जुलाइ अगस्त सिट -ओक्टुबर नोव -दिसम्बर मस्सचुय्ट्स -४/४ -३/५-२/६ ४/१२ -९/१७ १३/२२,१७/२६,१६/२४,१३/२१,८/१५,३/९ ,-३/४ टोरंटो -११/-३,-११/-२,-६/३,-१/११,६/१८,११/२३,१४/२७ १३/२५,९/२१,३/१४,-१/७-८/० ओटावा -१६/-७,-१४/-५,-७/२,१/११,७/१८,१२/२३,१५/२६,१४/२४,९/१९,३/१३,-२/४,-११/-४पोर्त लैंड ,न्यू जर्सी अगुएसश २/८,४/८,६/१०,८/१३,११/१५, १३/२३,१४/२३,१४/२४,१२/१६,९/१३,७/११, ४/९ मोंत्रियाल -क्यूबेक -१८/-८ -१६/-६ -९/० , -२/८,४/१७ ,१०/२२,१३/२४,१२/२३,७/१८,२/११,-४/आपकी -जान/-आप जानकारी के की देश इतना बड़ा हे !इसके पश्चिम !वाशिन्गटन में प्रातः के ९ बजे हे तो मध्य सने डियागो मे१० बजे ! ,मिड ईस्ट शिकागो में ११बजे और न्यू यार्क ,केलिफोर्निया में दिन के १२ बजे होते हें यहाँ का सब से ठंडे स्थान का तापमान मई नस -६२ -डिग्री सेल्सियस और एक जगह अधिकतम गर्मी डेथ -वेल्ली [मृत्यु की घाटी ]मे५६ डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया ! यहाँ समुद्र सतह से नीची खाई और बीस हजार फुट ऊचे पहाड़ भी हें !देश के कुछ मेट्रो सिटी के नाम इस प्रकार हें -वाशिन्गटन ,न्यू यार्क ,साना -फ्रांसिस्को ,लांस एंजिल ,शिकागो ,फेलादेल्फिया ,बोस्टन ,देत्रियत .डलास और ह्यूस्टन !सभी सुंदर भी हें !

ऋतू -मार्च से मई बसंत [स्प्रिंग ]जून से अगस्त में गर्मी [समर ]रहती हे सितम्बर अक्तूबर पतझर [फाल] का मोसम नवम्बर से फरवरी ठंड एवं बर्फबारी [विंटर ]का मोसम होता हे !पतझड़ के समय पेड़ पोधो के रंग ऐसे बदलते हें ! पत्ते हरे से पीला ,पीले से गुलाबी ,गुलाबी से लाल ,फ़िर लाल से ब्राउन होकर सूखते हें फ़िर गिर जाते हें !यहाँ जून -जुलाई में दिन चोदःह घंटे के रात्रि दस घंटे की होती हे !