Thursday, September 4, 2008

योगेश और शमिता के साथ-नोका+विहार

नाव में बोटिंग करते , लहरों का आनंद लेते हुए में स्मृतियो के पालने में झूलने लगा बेटे योगेश की सूझ बूझ पर अब पक्का भरोसा कर सकते थे !प्लस टू की पदाई माडल स्कुल में पुरी करने पर स्कालरशिप भी मिली थी !पी इ ,टी , परीक्षा में भी अच्छा रेंक था !मासूम शर्मीला रिंकू ,इंजीनिरिंग कालेज की काउंसलिंग के समय उसने पूछा -तो मेने ही अपने दिल की बात खोल कर रख दी थी !अगर जिंदगी में कुछ बनना हे और अपने अंदर आत्म विश्वास पक्का करना हे,तो अपने नगर से दूर ,बाहर के कालेज में दाखला लो कालेज भी एसा चुनना ,जिसमे अच्छे शिक्षा वृन्द के साथ आधुनिक लायब्रेरी ,आधुनिक औजारों से परिपूर्ण प्रयोगशाला भी हो !इतना ही काफी नही उसमे अच्छे क्रीडा आगन और स्पोर्ट्स की सुविधाए भी पूर्ण हों !इन सब पहलुओ पर विचार करने के बाद तय हुई अपनी पसंद ,भिलाई इन्स्तिचिउट्स आफसाइंस एंड तकनोलाजी !शायद वह २१ जून का दिन था !योगेश और में भिलाई के कालेज पहुचे थे एडमीशन की कारवाही पूरी की !उसी ही दिन थोड़े प्रयास के बाद !एक उद्योग पति श्री ठाकुर साहब के नवनिर्मित कमरे को योगेश के लिए किराए पर ले लिया !स्टडी के हिसाब से बहुत ठीक था जो उपर बना था ,शेष पूरे बंगले में ठाकुर साहब का पूरा परिवार रहता था !उसके बाद रात को मेने स्टेशन पर विदा ली !कियोकी अगले दिनों मुझे इंदौर भी जाना था !

योगेश चार साल की पदाई इस अनुशासन के साथ पूरी की जेसे राजधानी एक्सप्रेस चलती हे वहीपर केट की परीक्षा दी !परिणाम आते ही स्नातकोतर स्टडी के लिए आई आई आई टी मुंबई में प्रवेश मिल गया !वहा पड़ते पड़ते ही कालेज प्रबन्धन ने यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत घुमने तथा नया कल्चरदेखने समझने दूर के देश स्पेन भेज दिया एम् इई की डिग्री मिली विदेश भी देख लिया और आई बी एम् में नोकरी भी लग गई !अब हमारा एक ही महत्व पूर्ण कर्तव्य बाकी था योगेश के लिए योग्य कन्या देख कर १२ जून को शमिता से विवाह करा कर हम निश्चिंत हो गये थे नाव में सुरक्षा- चक्र के रूप में मेरे आगे योगी और पीछे बेठी शमिता पर भी तो मुझे पूरा भरोसा हो गया था जब उसने मुझे द्रद्ता पूर्वक विश्वास दिलाया !हम दोनों आपके आगे और पीछे भी हें पापा जी ,आप निर्भय होकर बोटिंग को एंजाय करें !उसके शब्दों में आत्मीयता और चापू चलाने में मजबूत विश्वास था !फ़िर दोनों यंत्री , दोनों एम्,बी ,ऐ , भी हें दोनों व्यक्तित्व से ऐसे हें ,यदि वाद की सिथति आए तो सामने वाले पक्ष को तर्क पूर्ण शब्दों से चित कर दे !दोनों में नम्रता एवं मिलनसारिता का गुन भी हे !पिछले कई दिन से घर में दोस्तों का आना जाना लगा ही रहता था !हम तीन तीन होकर दो नावो में सवार ,कर रहे थे नोका विहार !जब किनारों के निकट आते तो पेडो के पत्ते भी खिल खिला कर हंसते !मानो हमारे साथ आँख मिचोनी और अठखेलिया कर रहे हों !दोनों नावे सुदूर पानी में अलग अलग विहार कर रही थी !एक बार फ़िर दोनों नाव अधबीच में आपस में मिली दोनों के कैमरों ने आखे खोली और दोनों नावो के समिलित मनमोहक फोटो अपनी अपनी फिल्मो में कैद कर लिए !इस तरफ से मेने उस तरफ से पत्नी ने नावो से हाथ निकले ,मानो दोनों एक दुसरे के पास आजाना चाहते हो हाथो में हाथ आते ही अपनी प्रफुल्लता का अहसास दिलाया !साथ ही एक दीर्घ निश्वास छोड़ते हुए धीरे से मुझे कहा ,यहाँ रिया महेश भी होते तो सोने में सुहागा होता

धर्म पत्नी के इतना कहने के बाद हमारी दोनों नावे फ़िर अलग अलग लहरों पर taerte दूर होती गई और में अतीत में खोता जा रहा था !यादे स्मृति पटल पर तेज रंगीन होती जा रही थी रानी के बडे भाई हरभगवान जी महेश के लिए रिश्ता लाए थे !उनके दोस्त मोहन कुमार ने उनको दो तीन दफे भोपाल चलने का कहा था आज उनके आने पर लंच सब ने मिल कर किया !आफिस को सलाम भेज दिया था शाम को हल्की बरखा की रिम झिम में अपनी गाड़ी से बोट कल्ब घुमने निकल pade क़ल्ब में भुने भुट्टे जो खाए थे !उनका स्वाद आज भी याद आता हे !फ़िर रात के भोज के समय घर परिवार की बाते होती रही थी !अगली प्रात; मन्दिर से लोटने के उपरांत श्री मोहन कुमार जी ने रिश्ते के प्रस्ताव के साथ lgn पत्रिका और फोटो भी थमा दी थी हम विचार करेगे !इस से आश्वस्त होकर वे उज्जेन के महाकाल के दर्शनों को चले गए थे रात को हमारे पूरे परिवार की प्रेजिडेंट aadarniy माता जी और ११सदस्य अपनी संसद में बेठे विचार विमर्श कर रहे थे उनसे जो जानकारिया प्राप्त हुई थी ,से हमारी माता जी संतुष्ट थी !किंतु माता जी को अपनी होने वाली पौत्र वधु के रंग रूप की जानकारी लेना आवश्यक लग रहा था !शब्दों में व्यक्त की गई हरभगवान जी की पुष्टि केबाद माता जी ने फोटो देखना चाह !बेटी अंजलि ने होने वाली भाभी का फोटो ऐसे प्रस्तुत किया जेसे शहंशाह के सामने चांदी की तश्तरी में मीठे बनारसी पान को सजा कर लाया जाता हे माता जी ने जब वो फोटो देखा, वेह निहाल हो गई जेसे उसकी अन्तिम इच्छा पूरी हो गई थी !फोटो में सुंदर - लाजवंती का सा मुखडा माता जी के दिल को लुभा गया और रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी अपना महेश भी तो ऊचा गठीला ,प्रतिभा संपन्न एम् बी ऐ पास आज भी उसकी सहपाठी नव योवानाए जब कभी महेश से मिलने आती हें तो ,उससे हाथ मिलाए बिना वापस नही जाती महेश जिस भी दफ्तर दुकान में जाता हे अपने प्रस्सन चित विनोदी स्वभाव से सामने वाले को गुड गुदा कर अपनी मधुर स्मृतिया उनके याद रखने के लिए छोड़ आता हे

सच ही रानी ने कहा था रिया महेश भी एक बार भाई का सुंदर संसार देख जाते तो उन्हें भी तसल्ली हो जाती !और इस चिंता से विमुक्त हो जाते की उनका छोटा योगी बेगाने देश में निपट अकेला तपस्या तो नही कर रहा !वे भी तो अपने छोटे और छोटी भाभी को हमेशा -सुखी ,स्वस्थ और समरथ देखना चाहते हे !महेश माँ से कई बार अपनी मायूसी प्रकट कर चुका हे की छोटे को इसलिए इंजीनियर नही बनाया था की वह जंगल के हिरनों की तरह विदेशो की ख़ाक छानता फेरे और घर की स्नेह भरी ममता मई बगिया की छाव का आनंद भी न ले पाय !कभी विरही माँ के आसू देख कहता -माँ तू रोया मत कर यह उसका भाग्य हे की भोपाल में उसके लायक नोकरी ही नही हे ,इसलिए परिवार से दूर रहना उसकी विवशता हे !यही ममता माता पिता भाई बहन सभी को कभी न कभी परेशान कर ही देती हे !

नाव के चप्पू चलते चलाते हाथ सेब जेसे लाल पड़ गए ,पूरे सवा घंटे पानी की लहरे हमे माँ के पलने की तरह झुलाती रही थी !शीतल मंद समीर हमे सहला जाती ,रोम रोम महक रहा था !अब सांझ होने को थी चप्पू चलाने वाले चारो खाने चित्त हो चुके थे !नावे किनारों पर लगी अस्ताचल सूर्य रात के आगोश में जाने को बेताब था !हम भी तेज कदमो से अपने पडाव की ओर बड़े जा रहे थे हवाओं में ठंडक बदती जा रही थी !तम्बू में पहुच सभी ने गर्म स्वेटर और शाल निकाले फ़िर आग जलाई और सब को अग्नि की tapjsh hme गर्माहट दे रही थी !ठंडे व्यजनों को गर्म कर पेट की उछल कूद को शांत किया !रात के सादे बारह बज चुके थे !दूर से झीगुरो की आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे रही थी !आसमान में तारो का संसार उत्तर में ध्रुव तारा विशेष अतिथि के जेसा लग रहा था !हम धवल -संत रिया रंग के पेराशूट कपडे के झोपडे नुमा टेंट [तम्बू ]को धन्यवाद दे रहे थे !जिसने बीती रात शरद की रजाई जेसा स्नेह देकर अपने आंचल में छिपा लिया था व्ही आश्वस्त आज फ़िर हमारे थके शरीरो को विश्राम देने को आतुर हे !निद्रा का प्यार भरा अहसास सभी को टेंट के भीतर खींच लाया !कब आँख लगी किसी को याद नही !

सुबह सविता देवता की झलक मिलते ही में तेयार हो सेर करने वन की पगडण्डी पर दूर निकल गया !सूर्य की लाल पीली किरने पत्तो के झुरमुट को चीर कर मुझे छू रही थी !सभी को एक समान प्रकाश बाँटने वाले सूर्य देव ,ज्ञान के कारक evm urjaa देने वाले ,वे ही समुद्र के जल को वश्पी कृत कर बादलो का निर्माण करते हे !में यह स्मरण कर ही रहा था, की काले सफेद बादलो के झंड एक साथ आ गये और कद कद करते मेरे कपडे गीले कर दिए अब में इतनी तेज भगा जेसे मेरे पीछे जंगली कुत्ते और भेदिये भाग रहे हों जेसे तेसे टेंट में शरण ली थी मेने !बरखा की बुँदे टेंट पर गिरती तो नगाडे सी आवाज़ होती ,सभी जाग चुके थे और वृष्टि विराम का इंतजार करते रहे किंतु मोसम ने हमारी एक न सुनी !अब हमने अपना बोरी बिस्तर बाँध लिया अंत में दो व्यक्तियो ने हाफ पेंट पहने टेंट को उतार गाड़ी में लाड दिया और बरखा रानी के गीत गेट घर पहुच गये !

No comments: