Wednesday, September 3, 2008

न्यू जर्सी और डाक्टर अंशु अग्रवाल का घर -

आज नार्थ ईस्ट अमेरिका के स्टेट न्यू जर्सी जाने का प्रोग्राम बना !दोपहर का लंच कर हाईवे क्रमाक ९५ पर निकल पडे जो चार सो किलो मीटर दूर सीदे न्यू यार्क पहुचता हे वहा से साऊथ में न्यू जर्सी !हमारी गाड़ी फ़रातेसे दोड़ रही थी !दो घंटे बाद हम एक गेस पम्प पर रुके !पेट्रोल को लोग गेस कहते हें !पेट्रोल भरवाया !उसके बाजूमें केंटिन थी ,मेने कोल्ड टी तथा बचो ने कोल्ड काफ़ी ली !पास में बने सुंदर लान में बेथ गए ! १५ मिनिट विश्राम के बाद शरीर को नईस्फूर्ति मिल चुकी थी !फ़िर हमारी यारिस पूरे वेग से दोड़ रही थी !हम दो स्टेट स को पारकर अब न्यू यार्क स्टेट में थे !सड़क के दोनों जो भवन दिखे सभी लाल इंटो से बने थे ,जयपुर के गुलाबी शहर की तरह इसे रेड सिटी कहा जा सकता हे !आगे एक और मेट्रो सिटी देखीइसके कुछ मीलदूर समुद्र किनारे पर ढेर सारेबहु मंजिला भवन थे !उनको चारो तरफ कांच से दकागया था ,उनमे भी अलग अलग झलक वाले कांच भवन थे !उनकी भव्यता देख यू लगा हम तिलिस्मी कांच नगरी में घूम रहे हों !वर्ड ट्रेड सेंटर की दो भव्य इमारते भी यही हुआ करती थी !यहाँ से दक्षिण दिशा को न्यू जर्सी स्टेट हे दोनों स्टेट के मध्य एक बहुत चोद्दी नदी हे जिस पर वाशिगटन पुल बना हे ! वह पुल भी तिलिस्मी नजारा हे ,बिना पाये के मोटी तारो का साथ फुट चोद्दा ७० फुट ऊचा और लगभग ४००० फुट लम्बा था !उसे पार कर हम न्यू जर्सी स्टेट प्रवेश कर गए !यहाँ से १२५ मील दूर भतीजी चिकि के घर जाना था !स्टेट का बडा एअर पोर्ट नेवार्क देखा ,बड़ा आश्चर्य हुआ !शाम छ; बजे का समय सो से भी अधि हवाई जहाज निश्चल खडे थे !इसी के पास बहुत बडी बन्दरगाह भी हे !उसमे बडे बडे करें न थे जो बडे भारी केंटर को भी उठा कर शिप में रख देते थे दो स्टेट के ट्रांस्पोतेष्ण का काम यही से तथा चाइना का माल भी यही उतरता हे !कई करिश्मे देखते देखते हमारी गाड़ी जगलो को चीरते हुए बदती जा रही थी !जेसे ही हमने ओशन नामक नगर में प्रवेश किया !दोनों तरफ फूलो से लदी हरियाली ने हमारा रोम रोम खुशबु और उत्साह से भर दिया !चिकि का घर हमने देखा नही था ,पहली बार जा रहे थे !पूरे रास्ते हमको पैदल चलता कोई राहगीर नही मिला जिस से हम पता पूछते ? लेकिन हमारा अन्तरंग गाइड जी पि एस और मोबाईल ,दोनों हमारे साथ थे !इसलिए बिना एक मिनिट व्यर्थ किए ,चिकि के घर के सामने जा कर ही रुके थे ! --------- ---------हमारी भतीजी ने घर का द्वार खोला सीडिया प्रथम तल के फ्लेट मर जा रही थी ,मायके में सीडियां थी यहपिया का घर भी वेसा मिला था !चिकि और सोरभ को जेसे हम मिले ,उनके मुख मंडल की आभा दुनी हो गई !शिष्टाचार का आदान प्रदान हुआ ,बहुत दिन के बाद बचो से गले मिले थे !सभी खिले खुले थे !घर का सब सामान करीने से सजा था मानो हर वस्तु हमारे आनेse उलसित थी!चाय पान होने के उपरांत हम सभी डिज्नी लैण्ड मेला देखने गए !मेले में यू लगा जेसे नोनीहालो की दुनिया में आ गए !बहुत से झूले बच्चो के गेम और डांस देख कर गुड गुडी होने लगी और आनंद विभोर होते रहे !हमने यहा का समुद्री किनारा देखा तीन चार मील तक अच्छी सेर गाह पक्के फुट पथ जगह जगह बेंच और गमले सजे थे ! जग मगाते स्ट्रीट लेम्प सपनो का संसार लगते थे ठंडी हवायो का आनंद लेते लेते घर पहुचे और अपने अपने बिस्तर में दुबक गए !----------- ---------- -----------पूरे परिवार के लोग गहरी निद्रा में थे !किंतु मेरे दांत का दर्द रात दो बजे जग गया १ अब में केसे सो सकता था !अ में उठा मुह में डाबर लाल दंत मंजन दस मिनिट तक लगा कर , दर्द को समझाने की कोशिश की ! लेकिन वह बेचे न नही माना !मेरे पास केवल दो गोली बची थी !में इन्हे इमरजेंसी के लिए बचा कर रखना चाहता था !किंतु दर्द इतना बढता जा रहा था की एक गोली दाग देने में खेर समझी !थोडी देर बेचेनी के बाद नींद लग गई !सुबह तरो ताज़ा हो कर सेर पर निकल गए !स्नान ध्यान होने के बाद सभी ने मील कर नास्ता लिया आज का पूरा दिन व्यस्त रहने वाला था। पुनः दंत दर्द उठने की शंका बनी हुई थी, मैंने चिक्की को उसका पड़ याद दिलाया, जैसे लंका विजय के पूर्व हनुमान को अपने बल का भान कराया गया था। मैं बोला डा. अंशु अग्रवाल होम्योपथी में भी दंत दर्द मोचन वाली कोई दवा हे। यह सुनकर वो सतर्क हुई, उसने अपने मस्तिष्क का कंप्यूटर खोला और जाकर एक होती सी शीशी में साबुदाने जैसी कुछ गोलियां लेकर आई। चार गोली तुंरत लेने का निर्देश, साथ में ये कहा १५ मिनट बाद कुछ नही लेना। हमने भी उसके निर्देशओ का पालन दिनभर ४-४ घंटे बाद करते रहे। फिर दर्द कहाँ रफूचक्कर हो गया याद नहीं आ रहा।

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