Friday, August 22, 2008
गुरूद्वारे के दर्शन एवं लंगर =
मेरे भाई इधर वीकेंड के दिनों "शनि -इतवार" को तो घुमने का कोई नाकोई प्रोग्राम बन ही जाता हे ! इस इतवार को स्टेट की राजधानी बोस्टन के गुरुद्वारे पहुचे सिरपर केपलगा कर कीर्तन हालमें परवेश किया ! गुरु ग्रन्थ साहब रूपी पवित्र गियान की पुस्तक के आगे सभी ने माथा टेका ! जेसा की हमारी परम्परा हे जब भी किसी देव-स्थान -आद्र्निया-सिध्पुरुष या गुरु के पास जाना हो तो कुछ न कुछ पत्र पुष्प भेंट लेकर जाना चाहिए भले घास का एक तिनका श्रधा युक्त हो किंतु खाली हाथ मत जाओ !हमने भी कुछ मुद्राने चढा कर अपनी श्रधा अर्पित की गियानी जथा कीर्तन कर रहा था !बानी के शब्द अंतस को छू रहे थे !पंजाबी भाषा में कीर्तन डेढ़ घंटे चला !दर्शनार्थी अंदर आ रहे थे किंतु अरदास [आरती] से पहले बाहर कोई नहीं गया !गुरु घर जुड़े दो युवा सिखों ने कीर्तन मंच के एक तरफ़ स्क्रीन लगा दी थी जिसमे पंजाबी तथा रोमन पंजाबी में कीर्तन शब्दों का डिस्प्ले होता जाता था !नीचे लैपटॉप वे युवक उगलियाँ चलाते और प्रोजेक्टर दवरा भावः अर्थ सहित गुरुबानी के शब्दों का डिस्प्ले ;पंजाबी न समझने वालो को भी मन्त्र मुग्ध कर रहा था !अरदास समाप्ति पर सारी सगत के लिए भोज की व्यवस्ता थी युवा-युवतीओं बच्चे -बुडे सभी ने तृप्त हो कर प्रसाद ग्रहण किया !बाहर आकर गाड़ी में बेठे और श्रधा के साथ भर पेट भोजन कराने के लिए पुन्ना गुरुसाह्ब का धन्यवाद दिया !
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