'आपने जो पत्ता पहले नीचे डाला था उसी को डालो भाभी -शमिता बोली, ताश खेलते रुपाली ने गलती से पान का इक्का नीचे पटक दिया था !इसलिए शमिता अच्छे खिलाड़ी की तरह अपना हक मांग रही थी !सुलझे हुए खिलाड़ी तो जरा सी गलती को भी चक्र व्ह्यु की दीवार भेदना मानते हें !नरेंद्र और योगी भी खेल में शामिल थे !लेकिन उनके लिए ताश खेलना टाइम पास का बहाना था !किंतु शमिता अमेरिका के नियमों को पालना जेसे आवश्यक मानती हे ,उसी प्रकार कहती हे !हर गेम के भी कुछ नियम होते हें ,तो उनका पालन होना ही चाहिए !वेसे खेल तो खेल भावना से ही खेलना चाहिए !हम सभी बर्लिन स्टेट पार्क में छुटियाँ बिताने आए थे ! बूंदी के पेड़ के नीचे चादर बिछा कर ठंडी छाँव में बातें भी कर रहे थे साथ में पिनिक के लिए बनाए व्यंजन हजम करते जा रहे थे गेम भी खेल रहे थे !
शुक्रवार को ही योगेश और उसके दोस्त नरेंद्र ने जो आई बी एम् .की नोकरी में भी उसके साथ कम कर चुका था ! गत तीन वर्षो से दोनों बिछड़ गए थे फ़िर नोकरी में कम की अधिकता ऐसी रही ,की एक दुसरे की खबर लेने की फुर्सत नही मिली थी !नारायण कृपा देखो हिदुस्तान में बिछडे फ़िर विदेश में दशहरे के दिन मस्स्चुट्स स्टेट में श्री लक्ष्मी टेम्पल में दोनों की मुलाकात हो गई !दोनों खुशी से गद गद हो गए !इस बीच दोनों के विवाह भी हो चुके थे ! यहाँ दोनों के दफ्तर अलग अलग हें परन्तु संजोग हे की दोनों एक ही कम्पनी के लिए कार्य कर रहे हें !दोनों ने छुटियाँ किसी जंगल में एडवेंचर केसाथ बिताने का प्रोग्राम बना लिया !चार बजे ही आफिस का पूरा काम निपटाया !फ़िर दो घंटे में पिकनिक के लिए तम्बू गद्दे फोल्डिंग चेयर केम्प फायर के लिए लकडियाँ खरीद लाये !दूध ब्रेड ,काफी मेगी ,मख्खन ,जेम ,बिस्कुट ,केक आदि सामान इकठा कर अपनी यारिस गाड़ी में सलीके से जमा दिया और हमने भी दो ,दो ,,जोड़ कपडे ,टावेल ब्रश और शेविंग कित रख ली !अब हम चारों घर से नरेंद्र के अपार्टमेन्ट में पहुचे जहाँ ३०० भारतीय परिवार रहते हे !वहां नरेंद्र और रुपाली हमारा इंतजार कर रहे थे ! अब वहां से दोनों दोस्तों की कारें८५ मील दूर के जंगल की और दोररहीं थी !अँधेरा होते होते एक जंगल के रेंजर आफिस में पहुच गये !नाम पता लिखने के बाद हमे सपाट न;६८० एलाट किया गया !एक मील अंदर निर्जन -वन में पेड़ पोधों के सिवा कुछ न था !वन विभाग ने सेलानियो के रोड और पार्किंग बना दी थी और स्पॉट न; को 'सड़क किनारे पड़े चटान जेसे पर अंकित कर दिया था !दिन ढल गया था रात ने हमारे साथ जंगल पर भी अपनी काली छाया दाल दी थी !क्रष्ण पक्ष भयावह अंधकार ! ऐसे में किसान टॉर्च ने हमे अमे अपना सामान तक दुन्दने में मदद की !किंतु अब डर और रोमांच की स्तिथि बन गयी !सुनसान जंगल , भूख ,अँधेरा किया करें ? आग जलाई !जिस तरह शिकारी देर रात आग जला कर अपनी सुरक्षा की दीवार को पका करता हे ,और पेट की खुदा [भूख] मिटाने के लिए मिले शिकार को भुनता हे !ठीक वेसे ही हम आलू प्याज भुन भून कर खा रहे थे !अन्ताक्षरी खेले खेलते रात बारह बजे के बाद ही सोने जाते और हनुमान चालीसा पड़ कर ही सोते !पर किसी को बताना मत ,नख से शिखा तक अपने आप को रजाई में छिपा कर ही सोते थे ! --------सुबह कोवे और चिडियो के च्य्चाहने पर ही मेरी नींद खुल जाती थी इसलिए में अकेला ही सेर करने निकल जाता था सुबह का वातावरण बडा मनमोहक होता था ! दो तीन मील दूर जाकर ही वापस लोटता ,इस बहने व्यायाम भी हो जाता था !थोडी दुरी पर तालाब था उसी पर नहाते !फ़िर नसते में केक ,बर्गर और ब्रेड के साथ चाय की चुस्कियां मजे से लेते !दोपहर लंच में घर के पराठे खाते जो योगेश की माता श्री ने शुक्रवार को ही , आते को दूध में सांन कर बनाए थे !जिन्हें ३-४ दिन बाद भी खाया जा सकता हे ! शाम को तालाब में बोटिंग करने जाते! यह बहुत बडा था ! उसमे चप्पू चला चला कर नाव खेने में अलग ही मजा था !किनारे से डेड किलो मीटर दूर अथाह जल राशिः उसमे नाव खेना हमारा पहला अनुभव था !डर तो लग रहा था किंतु हम दो को छोड़ चारों तेराक थे !नरेंद्र रुपाली ने रानी को अपनी नाव में बिठाया में योगी और शमिता की नाव में !हम अलग अलग भले थे ,पर हमारे आगे पीछे स्वीमिंग चेम्पियन थे ! इसलिए खतरे की आशंका कहीं से न थी ! सतर्कता के लिए लाइफ जेकेट तो हमने भी पहन रखी थीं !
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