मेने अमेरिका यात्रा में बहुत कुछ नया अच्छा और सीखने लायक देखा मुझे याद हे ! एक बार गुरुदेव ने कहा था बेटा संसार में जो श्रेष्ट हे /प्रकाश हे /सेवा -अनुभव या ज्ञान आपको मिला हे !उसे बाँट दो !ज्ञान तो अन्नंत हे उसकी कोई सीमा नही होती ! पचास अलग अलग संस्कृति वाले स्टेट मिल कर बना एक देश हे !इसकी सम्पूर्ण जानकारी पर तो अभी तक कोई एक पुस्तक नही लिखी जा सकी !इसलिए में विनम्र निवेदन से जितना जान पाया वेह प्रस्तुत हे !
मेने इस धरती पर आकर जो अनुभव किया !उसका अपनी शेली और अपनी ही बोल-चाल की भाषा में आपके सामने चित्रांकन कर रहा हूँ !में आशा करता हु जिनकी युवा संताने लंदन /आस्ट्रेलिया /कनाडा अथवा अमेरिका में नोकरी कर रही हे !अथवा उन्हें पहली बार विदेश जाने का अवसर मिल रहा हे !उनके लिए यह पुस्तक मार्ग दर्शक का काम करेगी !दुसरे वे महानुभाव जो नियम /सयंम /तप /त्याग /सेवा सुचिता और सत्य जेसे शब्दों में अर्थ न दूंद पाए हो , वे लोग ऐसे देश के नागरिको का रहन सहन देख कर उनसे बहुत कुछ प्रेरणा ले सकते हे !मेरे कई मित्र विदेश यात्रा से लोटते .तो मुझे अक्सर उनसे उनके यत्र संस्मरण सुनना बहुत अच्छा लगता था !मुझे चर्चाओं में गुथी हुई अच्छी कहानिया ;उत्प्रेरक बातें /लिबास के रंग /शिष्टाचार के ढंग /जानना बहुत सुहाना लगता ,यात्राओं के रोमांच, उनको मिले सदवाक्य-सदभावना और सदविचारों का अर्क निकालता थाफ़िर उस खुशबु दार अर्क-इतर को सब के कान अटकाने में मुझे आत्म संतोष और आनंद मिलता था !इस रीत में जो सुख बीस साल पहले मिलता था, उसमे आज भी रत्ती भर कमी नही आई हे यहाँ मुझे संसकृत का एक शलोक बहुत ही पसंद हे ! सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे सन्तु निरामया ! सर्वे भद्राणि पस्चान्तु माँ कष्ट दुःख भाग भवेत् !
महेश,हिमाली द्वारा प्रकाशन हेतु उत्साह मिलता राहा। प्रिया और सुचनाप्रोदोयिकी इंजिनियर जतिन द्वारा यात्रा संस्मरण की बिखरी हुई पांडुलिपियों को कंप्यूटर पर व्यवस्थित कर उन्हें प्रकाशन हेतु तेयार करने के लिए चारो साधू वाद के पात्र है ।
मेरी इस यात्रा के संस्मरण पड़ कर यदि आप उन मानवीय सदगुणों को धारण करने का प्रयास करेंगे, तब वह न सिर्फ़ आपके लिए बल्कि आपके संपर्क में आने वाले को भी लाभ प्रदान करेगा।
मेरा e-mail address mailto:-om.p.khurana@gmail.com
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