Sunday, August 31, 2008

कार एक जरूरत -एक अधिकार ----

५२ स्टेट स का संयुक्त समूह अमेरिका का भूखेत्र भारत के तीन गुना से भी अधिक हे !सड़कें बहुत हें आपस में एकता हे सब के पास मोबाईल भी हे किन्तुह्गर से ऑफिस ,शहर से दुसरे शहर की दूरियां बहुत अधिक हें !इस लिए अपनी कार होना अति आवशक हे !हर घर में एक कार हे !तभी तो यहाँ टेक्सी -ऑटो रिक्शा नही हें लोकल बस कम हें फ़िर वे मुख्य मार्गों पर चलती हें जिसमे एक बार यात्रा का किराया दो डालर लगता हे !फ़िर पैर घिसायो घर से स्टाप तक समय भी बर्बाद करो !यहाँ आबादी कम हे इसलिए आदमी की कीमत हे उसके समय की भी कीमत हे इन सब बातो को देखते हुए कार लक्सरी नही प्राथमिक आवश्कता हे !यहाँ का ओसत नागरिक चार पाँचमाह के वेतन से अपने स्तर की नईकार खरीद लेता हे !यहाँ की कारे लेफ्ट हैण्ड ड्राइव तथा देश में सड़क के दायें तरफ गाड़ी चलाते हें !हाई वे पर न्यूनतम गति ५० मील -अधिकतम ७५ मील [११५ किलो मीटरप्रति घंटाहे ] गाड़ियों का रोड टेक्स और प्रदुषण जांच प्रति वर्ष करना आवश क हे !ट्रेफिक नियमो का पालन यहाकी आदत में आ गया हे ! कालोनी के चोराहे पर भी रुको और देखो के बोर्ड लगे हें !ड्राइविंग लायसेंस के स्मार्ट में लगी चिप में चालक का पूरा रिकर्ड रहता हे !ट्रेफिक के नियम तोड़ने पर जुर्माने के साथ सजा के अंक भी स्मरत कार्ड में फीड कर देते हें !जब यह अंक एक, दो ,तीन से बढ़ कर बारह हो जाने पर लायसेंस राजसात कर लिया जाता हे !यहाँ पेट्रोल सस्ता हे दूध महंगा हे आज दोनों एक रेट में बिक रहे हे !हर आदमी आपनी कार स्वंम चलाता हे !


यहाँ कार के लिए चालक नही मिलते !सिर्फ़ बड़े बड़े होटलवाले ही अपनी कार टेक्सी मेंटेन कर पातेहे !बड़े स्टेशन
पर टेक्सी मिलती हे परन्तु बहुत उच्च भाड़े पर !इसलिए स्वयम की कार हो और स्वयम चलाना ही सभी को
सरललगता हे !यहाके वैज्ञानिकों की प्रशंसा करनी पड़ेगी की सेतेलईटकी सहायता से इन्होने एक नया यंत्र बनाया
हे!जिसका नाम रखा हे ;ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम ; जी पी एस तीन बाई तीन इंच के इस हैण्ड सेट से कार
चालको को पूरे अमेरिका और कनाडा में किसी भी स्टेट शहर या स्ट्रीट के बारे पूछने की जरूरत नही ! अपने
जीपीएस ; में लक्ष स्थान का पता फीड कर दो अब सेट लाईट से उसमे आपके सामने रोड मेप आता जायगा और
दाएंबाएँ मुड़ने के संकेत भी मिलते जायंगे !आप बिना रुके आप अनजान होते हुए भी अपनी निर्धारित मंजिल
परआसानी से पहुच सकते हे -वरिष्ठ नागरिक -का ध्यानशासन करता हे उनको निश्चित भत्ता और फ्री मेडिकल
इन्शोरंसभी दिया जाता हे !हर बड़े टाऊनकी तरह यहा भीएक संस्था हे !सीनियर सिटिजन असोसिएष्ण !हम
सुबह ९.३० बजे कभी कभी जा कर हाल में लगे टी वी पर सी दीलगा कर व्यायाम करते पेपर पड़ते चाइना टी
पीतेदो घंटे गपस्प करते थे !एक दिन यहा के बड़े होस्पिटल ने हमसीनियर लोगों को सह भोज के लिए आमंत्रित
किया उनकी बसहम सब को हॉस्पिटल ले गई ,हमे पूरे अस्पताल कानिरीखनकराया गया वार्ड कमरे डॉक्टर
केबिन सब तरफ सफाई थी !प्रिचारिकाओ की वेश भूषा मुख मंडल कीआभा और उनका म्रदुल व्यवहार से अपना
कर्तव्य ईमानदारी से पूर्ण कर रही थी !दो प्र मुख डॉक्टरों ने बताया यहाँहर प्रकार के इलाज किए जाते हें !हमें
सेवा सम्मान इतना दिया जा रहा था जेसे हम किसी मिनिस्टर के शिष्टमंडल में आए हों !अंत में सभी को सह
भोज कराया और एक एक केप दे कर विदाई दी !तभी मेरे मन में एक विचारजगा ,में पिछले ३६ घंटो से दंत दर्द
की विदीर्ण पीडा झेल रहा था किंतु पेन किलर गोली से काम चला रहा था मेरे बेटेने तिन -चार डॉक्टरो से फोन
लगा कर जानकारी ली थी ,सभी ने तीन दिन बाद देखने का समय करने को कहा था!उसके बाद दूसरी सिटिंग में
एक्सरे तथा अन्य टेस्ट देखे जाएगे !अगर चिद फाड़ या ओपरेशन हे तो तीसरी सिटिंगमें ही हो पाएगा हर बैठक
के मध्य तीन दिन का समय और हर सिटिंग की प्र मार्श फीस सो डालर बाकि काम केपेसे अलग देने होंगे इस
बीच परेशानी हो तो दर्द निवारक गोली खाते रहिये !उपरोक्त जानकारी मिल चुकी थी बेटे कीजानकारी अनुसार
खर्च हजार डालर भी जा सकता था यह जानकर में आश्चर्य चकित था !फ़िर भी उस कथित वृधोके डॉक्टर को दर्द
की कहानी के साथ अपनी समस्या बताई ! मेरी बातें सुनकर भी उसका चेहरा विचार शून्य था,उसने मुझे बच्चे
की तरह सांत्वना दी ! कहा शनिवार और इतवार को छूती हे आपको सोमवार का समय परामर्शके लिए दे सकता
हूँ !किंतु अपना मेडिकल इंशोरेंस लेकर आयेगा ! में समझ गया यह अपनी झोली इंशोरेंसकम्पनी से भर लेंगे कुछ
कम पड़ेगा तो अलग बिल हमे थमा देंगे !मुझे अस्पताल से बेरंग लोटा दिया गया !घर आकर मेने कई परिचितों
से स्वस्थ सम्बन्धी समस्याओं के बारे जानकारी ली उनसे जो फीड बेक मिला वह यह हे की-जिस प्रकार भारत में
राज नेताओ पर विभिन् लाबियन अपना प्रभाव डालती हें वेसे यहाँ के केन्द्र शासन परओषधि उद्योग और इंशोरेंस
कम्पनिया इतनी हावी हें की वे कुछ भी करवा सकती हें !मन मने दाम पर दवा बेचते हें!डॉक्टर दिल खोल कर
आंटी भरते हें उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर संसद में भी कानून पास करा दिया हे !हरनियोक्ता को अपने
कर्मचारी से दो सो डालर प्रति माह इंशोरेंस में जमा करना आवशक होगा ! यह कानून वर्तमानमें लागू हे ! दवा जो
भारत में एक रुपे की हे वह यहा एक डालर तक हो सकती हे !लोग बीमार कम पड़ते हें शायदसरकार की मंशा
यही हो की लोग अपने स्वस्थ का धियान स्वयम रखे जन मानस मोसम देख कर खान -पान करेआयर लडाई
झगडे से सदा सतर्क रहे ताकि डॉक्टर के पास जाने से पहले जेब से और समय ,से सोच विचार कर ले!

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