;अमेरिका दर्शन ;पुस्तक पड़ने पर लगा की ,'वह देश बहुत ही सुंदर हे :अमेरिका महादीप का शासक हो या हिंदुस्तान का, ? पुष्प उद्यान का माली भी वही अच्छा कहा जाता है जो बाग़ में उगने वाली खरपतवार को उखाड़ने का कार्य निरंतर करता रहता हे !वहपोधों की कांटछाँट भी करता हे ! जिससे वह सुंदर दिखे तथा उनकी ग्रोथ भी पूरी हो सके !इसी प्रकार संतान को गुणवान एव ज्ञान वान् बनाना हर माँ बाप का परम कर्तव्य हे ईश्वरीय अनुकम्पा से मित्र लेखक के तीनो बच्चे पोस्ट ग्रेजुएट हो चुके हें विवाह के पश्चात तीनो दंपत्ति आत्म निर्भर और निश्चिंत हें !अब श्री खुराना जी को प्रेरणा सेवा ट्रस्ट ,तेज ज्ञान फौन्डेशन ,गायत्री परिवार . आर्ट ऑफ़ लिविंग एव नागरिक कल्याण समिति जेसी सेवा संथाओं में अपना समय दान करना अच्छा लगता हे !आपकी एक पुस्तक बाल विकास व् परिवार निर्माण भी प्रकाशित हो चुकी हे एवं लेखक की यह दुतीय लघु कृति हे भारत- दर्शन तो हरेक को करना चाहिए; परन्तु यह सरल नही हे किंतु प्रभु कृपा से उत्तर से दक्षिन. कश्मीर से कन्या कुमारी पूर्व असम मै तिन्सुकीआ ,डिब्रुगद, हिमालय के बद्री-केदार.हावडा फ़िर गंगा सागर उडीसा प्रांत ,जगन्नाथ पुरी पश्चिम में राजस्थान, माउन्ट आबू गुजरात प्रदेश .द्वारिका धाम और मुंबई जेसे नगरो का भ्रमण किया हे लेखक का एक बेटा अमेरिका की कंपनी में कार्य पालन यंत्री हे एक दिन उसने अमेरिका शासन की सहमती से अमेरिका आने का निमंत्र्ण भेज दिया बेटे के आग्रह पर सहमती होते ही, बहु भारत आ कर इन्हे अपने साथ ले गयी वहां पहुच खुराना दम्पति ने आधुनिक विज्ञान के अविष्कारक देश को देखा अत इन्होने अपने ढंग से वहां की सभ्यता को समझने का पूरा प्रयास किया श्री खुराना जी बहुत मृदु भाषी .अल्पभाषी और सेवाभावी हे वही वह नय और आधुनिक ज्ञान विज्ञान को जानने की उतसुकता रखते हे उसे पाने के लिए अपने मन में छोटे और बड़े का भाव कभी नही आने देते इन में सकारात्मक विचारों की सुलझी हुई समझ हे जो दो पीडियों को पुल की तरह जोड़ने में सदैव सहायक रही है । मैंने कई मित्रो के यात्रा संस्मरण सुने और पड़े किंतु जो बात श्री खुराना जी ने लिखी उसमे कुछ विशेषताए थी । वहां की सकारात्मक दृष्टिकोणों से गुनी बातें बहुत प्रभावशील है ऐसे में समय की प्रतिबत्धता और कर्तव्य परायणता और स्वछता उल्लेखनीय है । उन बिन्दुओ को पड़ने के बाद ही हम जान पाएंगे । कर्तव्य बोध ,न्याय प्रियता, वज्ञानिक सोच और परस्पर संयोग एवं टीम वर्क की महत्ता। प्रायः पाशचात्य दुनिया को बुरा कहकर हम इतिश्री कर देते है । मगर हम उनकी अच्छाइयों को आत्म- सात करे। अच्छे आदमी अच्छी बातो को कैसे लेते है यही इस यात्रा वर्णन का सबसे उल्लेखनीय पक्ष है । बहुत ही विनम्रता के साथ उन्होंने विविध पक्षों को अपने छोटे से आलेख में समाहित किया है। इसी परिपेक्ष में उन्होंने साधुवाद ज्ञापित करता हूँ। यही कामना है की वह निरंतर अपने अनुभवों को लिखते रहे। श्री खुराना जी के अन्दर छुपे लेखक को अभिप्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ । चरित्र के विकास में गुरुदेव का एक संदेश - "हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा" ऐसा सूत्र है जिसमे हम जहाँ से जो भी श्रेष्ठ है उसे जीवन में अमल के लिए ऐसे ही दृष्टि भी रखे। इस उल्लेख में मैंने खुराना जी में व्यापक गुणग्राहिता देखि है। मेरी कामना है इस उल्लेख को सुधि पाठक पड़े और आत्मसात करे।
श्याम बिहारी सक्सेना
सह सचिव राम कृष्ण मिशन ,साहित्यक एवं गायत्री साधक
Monday, August 25, 2008
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