मेरे परम पूज्य गुरु पंडित
Tuesday, December 30, 2008
समर्पण
मेरे परम पूज्य गुरु पंडित
Monday, December 29, 2008
हरयाणा के १ गाव की कहानी
मुरदार ,नासपीटे तू यहाँ ताश खेल रहा हे और छोरी घर में बुखार से बेहाल हो रही -जा उसे हाकिम के पास ले जा ;-बिछिया ने गरजते हुए आदेश दे दिया !बेचारा राम समुज सहम गया !शेष सभी खिलाड़ी साथियो ने भी मुंडी निचे कर ली !ज्यूँ वार से बचने के लिए कछुआ अपनी गर्दन कवच में छुपा लेता हे !क्या मजाल कोई बिछिया का सामना कर सके !आज उसकी फुंकार चंडी मेंया सी लग रही थी इसे बख्त चुप रहना ही ठीक था !------------ बेचारा समुज भी कितना सीधा हे ,वो चाहे तो आपनी बलिष्ठ भुजाओं से दो पटकनी दे कर गुडगाव की नाजनीन बिछो को सीधा कर सकता था !सत्रह साल पहले ,जब दोनों गुरु ड्रोन विद्यालय के सहपाठी थे !चोदा ललाट, गोर वर्ण समुज की चीते सी निर्भय चाल ,गठीले बदन का पहलवान और उधर रूपवती बिछिया हिरनी सी आँखे ,रक्ताभ कपोल ,अधरों की लालिमा चू कर सुदोल चिबुक पर उतर आई थी फ़िर निबन्ध लिखने में और वाद विवाद प्रतियोगिता में तो सब की बोलती बंद कर देती थी !एसे दो सहपाठियो में यदि लुका छिपी भी हो, तो विद्यालय में ऐसा कोई शेर नही था जो इनपर टीका टिप्पणी कर सके
प्लस तू के रिजल्ट में ,दोनों को अच्छे अंक मिले हेड मास्टर ने सभी मेधावी छात्रो को जी भर कर शाबासी दी !उनकी लग्न और मेहनत से ही तो ,जिले में विद्यालय का नाम ऊचा हो गया था
कोचर ग्राम की बिछो ने बी ऐ में दाखला लिया !विषय चुने परिवार प्रबन्धन और समाज शास्त्र और समुज ने किसान पुत्र होने के नाते ,कृषि शास्त्र और अर्थ शास्त्र में नाम लिखाया
कालेज में किसी सीनियर अपने जूनियर को परेशान [रेगिंग ]किया ,तो उसे कालेज से निकाल दिया जाएगा !नोटिस बोर्ड पर यह फरमान चस्पा कर दिया गया प्रिंसिपल दुवारा !अब किसी के उछ्स्क्रंख्ल होने की संभावनाए निरस्त कर दी गई !इस तरह छात्रो को सरस्वती के मुहानों की तरफ मोड़ दिया गया !यह ठीक भी तो था !हुक्म के पलने में ,बच्चो के साथ साथ उनके परिवारों को भी उच्चता मिलनी थी !समुज के बापू चोधरी किशन लाल अपने परिवार को हमेशा समझाते ,ओलाद अच्छी तो करें धन संचय ?ओलाद कुपात्र तो कियो करे धन संचय !!अपने विचारो का कालेज में अभिसिंचन होता देख उन्होंने कालेज जा कर !प्रिंसिपल की मुक्त कंठ से प्रशंसा की !कालेज में अध्यन का स्तर ऊंचा हो तथा कालेज के विकास के लिए अपनी शुभकामनाए दी !यह सुन कर प्रिंसिपल की छाती फुल गई थी एवं चेहरा चमक उठा था !
एक दिन कालेज जाते ,लाल सलवार गोते के काम वाली काली कुर्ती तिस पर शिफान का लाल दुपट्टा डाले जेसे घर से निकली बिछो को पडोसन ने देखा तो उससे खुशी रोके न रुकी -झट से बोली राजो ,-- तेरी बिच्चो तो घनी सुंदर लाग रही हे !तनक इसे कला टिका जरुर लगा दिया कर ;
राजो ने बेटी के हित की बात पले बाँध ली और कालेज से आने पर पाँच लाल मिर्च बिछो के जिस्म पर तीन चार बार घुमा कर अग्नि में आहूत दी थी !माँ जानती थी छोरी जब भी कोई नया कपड़ा पहनती हे उसे नजर लग जाती !लडकी जवान हे बापू जिमीदार हे !किसी चीज़ की कमी नही !फ़िर इस उम्र में कपडे नही पहनेगी तो कब पहनेगी !पिता और भाइओ ने भी उसे खूब लाड प्यार से पाला था घर में टी ,वि फ्रिज नोकर सब सुविधाए थी !कालेज की सहेलियो की देखा देखि बिछो ने भी लेडी साइकल की मांग की ,दुसरे ही दिन म्न्घा राम एंड संज स्टोर से नयी साइकल बन कर आ गई !
बी ऐ का रिजल्ट आ गया !बिछो की माँ रजो पूरे मुहल्ले में सब का मुह मीठा कर रही थी !उसकी बिटिया प्रथम दर्जे में पास हुई हे !सुंदर ,सुशील सब की लाडली बिछो को मुहल्ले की औरते समझदार भी मानती हे !रसोई में निपुण ,उसके हाथ का बना खाना जिसने खाया ,उसने प्रशंसा जरुर की थी !नामक ,मिर्च जीरा धनिया सब अंदाज से डालती थी !बस उसके हाथो में कोई जादू था ,की हर व्यंजन ,उसके हाथ की महक पते ही स्वादिष्ट बन जाता था !
स्कुल कालेज में अन्ताक्षरी बोलते बोलते न जाने कब उसके कंठ में बागेश्वरी आकर विराजित हो गई !वहहर गीत को लय ताल से बोलती ! सुनने वाले खामोश होकर !मन ही मन आशीर्वाद दे कर जाते थे !यही बात थी की गाव में या किसी रिश्तेदार के घर कोई शुभ प्रसंग हो और उसमे गीत संगीत का प्रोग्राम होता तो बिछो को अवश्य यादकिया जाता था !
जब तक कही विवाह की बात तय नही हो जाती ,बिछो को सिलाई कडाई का डिप्लोमा करवा देते हे !एक भाई ने प्रस्ताव रखा और बडे भाई ने तस्दीक कर दी !यह सुचना सु वो झूम उठी !नए नए डिजाइन के सूट पहनना अच्छा लगता ही था !अब तो इस क्षत्र की कल्पनाओं को स्वयम मूर्त रूप दे सकती थी !एक माह में वह कच्ची सिलाई ,फ़िर पक्की सिलाई पर हाथ सध गया था !और अब फ्र्राटे से मशीन चलाने लगी !कटिंग और कडाई वाली मेडम सिघ ,बिछो को कुछ ज्यादा प्यार करने लगी थी !क्यो न करे ?मिसेज सिघ ने एक बार आम और एक दफा शलजम का दो-दो किलो आचार ,बिछो के गोरे हाथो से ,उसे अपने घर पर बुला कर बनवाया था !सिंह परिवार में जो आचार खाता ,बस उंगलिया चाट ता रह जाता और सिंह आंटी की तारीफ कर के ही जाता था !
बिछो सयानी हो चली पारिवारिक रिश्ते में ही एक अच्छा देखा !परिवार भी जांचा परखा ,पहले मामा ने भी अपनी छोरी इस परिवार में दी थी !लालच और दिखावा उनसे कोसो दूर था !तुरंत लगुन विवाह का महूर्त भी निकल आया था !बारातियो का हार्दिक सत्कार हुआ !पंडित ज्ञान सागर ने वैदिक रीती से सात फेरे ,पानी ग्रहण संस्कार सम्पन्न करा दिया !डोली में बिठा कर भाई अपनी बहन बिछो को गाव की सरहद तक विदा कर आए !
प्रात; सूर्योदय का समय पलारपुर के गाव के उस छोर पर आम के पेड़ के पास कहारों ने डोली उतारी !राम समुज के पिता ने खुश होकर नेग दी ,और क हार खाली पालकी लेकर विदा हो गए !
पनघट पे पानी खीच रही महिलाओ में भी राम स्मुज की दुल्हन को दर्खने की उत्सुकता जगी !कुछ जवान छोरिया और दो तीन बजुर्ग औरते बहु को निहारने तथा आशीर्वाद देने चल पड़ी !
फलदार पेड़ के नीचे ,बहनों ने भाई और भाभी से पेड़ की पूजा अर्चना करवाई !इस रिवाज के पीछे धारणा यह हे की ,नव युगल को शीघ्र संतान फलित हो !रेगिस्तान में बेर के झाड़ की पूजा करवाते हे !अब तक बुदी औरते दुल्हन को देखने पहुच चुकी थी !समुज और दुल्हन ने उनके चरण स्पर्श कर प्रणाम किया !"जग जग जियो खूब फूलो फ्लो "कह कर उन औरतो ने दोनों का अभिवादन स्वीकार किया !लड़किया जो दोड़ दोड़ कर आई थी !बडे उत्साह में थी की दुल्हन की एक झलक मिल जाए !लेकिन जब दुल्हन घूँघट हटाए , तभी तो मन मोहनी को देख सकेगो !इतने में बैंड वाले भी अपने वाद्य लेकर आ गए !एक शहनाई ,दो नगाडे और चार बिगुल बजेया थे !यह कर्ण प्रिय धुनें बजाते हुए आगे और बाकि सभी पीछे पीछे चल रहे थे !स्मुज के पिता अपने हाथ में रखी चिल्लर की पोटली में से एक एक मुठी सिक्को की भरते और दूल्हा दुल्हन पर पीछे फेक देते !नवेली दुल्हन ,दूल्हा समुज के साथ सारा परिवार जब आगे बढ़ जाता ,तब गाव के बालक बलिकाए एक,दो और पाँच के सिक्को को उठा उठा कर अपनी जेबे भरते जा रहे थे !
सांझ में बिछो उसकी बाटजोहत्ती रहती थी !रामसू के द्रश्य मान होते ही उसका रोम रोम खिल जाता था !राम समुज खेत से जब भी लोटता तो साथ में घर के लिए साग सब्जी फल आदि जरूर ले कर आता गाजर मूली शलजम खीरा;टमाटर और कुछ न मिलता तो गुलाब का फूल ही ले आना उसकी आदत हो गई थी !जीवन चर्या के साथ स्रष्टि कर्म भी चलता रहा ! इस तरह हस्ते खेलते एक के बाद एक ;दो पुत्र रत्नों से बिछो की गोद भर गई !लेकिन बिछो को एक कन्या पाने की चाह अभी बाकि थी !इसलिए रमसू को ओपरेशन करने की इजाजत नही दी बिछो की मर्जी के बिना उसका पत्नी व्रता पति पानी भी नही पीता था !अब कन्या रत्न पाने के लिए देवो से प्रर्थना की जाने लगी !कहते हे प्रभु देना चाहे तो छापर फाड़ कर भी दे देता हे !इस जुगल जोड़ी की मुराद पूरी हुई !पाँच सल् में संतान का मन माफिक कोटा पूरा हो गया !अब और कुछ नही चाहिए था !अब बच्चो के लालन पालन और सरकार की परिवार नियन्त्रण योजना का साथ देते हुए ;बिछो ने भी लेप्रोस्कोपी ओपरेशन करवा कर एक अच्छे नाग्रिक्का परिचय दिया !मन को एक संतोष यह भी था ;की तीनो बच्चो का गू मूत्र भी मिल कर साथ साथ साफ़ कर लेगे ! बाद में चेन की बासुरी बजाएगे !
बिछिया और राम समुज अपनी ग्रास्थीसे खुश थे !रकम उनके पास उतनी नही थी !जितना की रिश्तेदार आत्म प्रवंचना कर जाते थे !इनके पास एक चीज़ थी जो रिश्तेदारों के पास बिल्कुल नही थी ,वह था अटल संतोष और मितव्यता पूर्वक खर्च करने की मासिक योजना !यही सूत्र था की यह सदा निमग्न आआआउर हमेशा प्रसन्न रहते थे !इन्होने अपनी आँखों के सामने कयियो को दिवालिया और विक्षिप्त होते भी देखा ,कुछ लोग झूठ फरेब के सहारे धनी मणि भी हो गए थे !परन्तु प्रशंसा ,पद और धन का लालच इन दोनों का ईमान नही खरीद पाया था !इस मामले में दोनों चिकने घडे थे !
राम समुज मेरा लागोटिया यार था कभी कभार पत्राचार हो जाता था !अबकी कई सालो बाद सरकारी कम से इधर आया तो एक दिन की छुटी पड़गई !में पल्सर पुर गाव चला आया !समुज के घर का मेंन गेट अंदर से बंद था मेने कुन्द्दी खटखटाई ,तो अंदर से साकल खुलने की आवाज हुई !एक लडके ने गेट खोला तो लगा ,यह राम्समुज की ट्रू कापी थी !में समझ गया ये उसका छोटा लड़का था !मेने कहा -पापा से बोलो आपका दोस्त राम प्रकाश मिलने आया हे १ मेरी आवाज़ भाभी ने सुन ली थी !वहशीघ्रता से गेट पर आ गई और बोली यह बाज़ार गए हे १०-१५ मिनिट में आ जाएगे ,पर आप बहर क्यो खड़े हे अंदर आये न !
बेटा अंकल को बैठक में ले जाओ ,और टी वी चालू कर दो ,हा आज का पेपर भी टेबल पर रख देना !बेटे ने तत्ख्यं माँ की आज्ञा का पालन किया !फ़िर मेरे लिए ट्रे में जल का भरा उसके शब्दों में !मेने प्रश्न किया बेटा -तुम्हारा नाम क्या हे ? अपना नाम राकेश बताने के साथ ही मुझ से आग्रह पूर्वक पूछा अंकल जी आप चाय लेगे या काफी
?
राम समुज ने आते ही पुकार लगाई राम प्रकाश ...
उसके शब्दों में मिलने की प्यास थी,उसकी आँखें दब दबा कर चालक पड़ी !शायद वह कई दिन से इन का इंतज़ार का रही थी । दोनों गले मिले और एक दुसरे को बाहों में भर लिया ...कुछ क्षण के लिए मौन छा गया ...
चुप्पी तोड़ते हुए समुज ने उल्हाना दिया - क्या सरकार जी नौकरी इतनी भारी ,की चिट्टी लिखनेकी फुर्सत नही है । लेकिन अब तो यहाँ फ़ोन लगा है .इसका नम्बर ले लो और अपने ऑफिस और घर का दे दो ताकि कभी तुम्हारे लिए दिल उदास हो तो बात तो कर सके.राकेश ने पिता की भावना समझी और अपनी फ़ोन दिअरी में राम प्रकाश अंकल के दोनों नम्बर नोट कर लिए और एक चित पर अपना फ़ोन नम्बर लिख कर उन्हें दे दिया। दोनों दोस्त परस्पर मगन होकर एक दुसरे के बारे में समाचार जान रहे थे ।
गरमा गरम भजिये ,पकौडे और गुड के खुरमे एक ट्रे में तारा बेटी ले आएउसके पीछे चाय की केतली और ५ कप भाभी जी ले आए । सर्दी में भजिये पकौडे जयादा आचे लगते है और मैंने तबियत से खाए और चाय सूत ली यानि डर कर चाय पी इस तरह नाश्ता चलता रहा मैंने अपनी नौकरी की और सामाजिक परेशानिया बताई .फिर समुज ने बताया की तीनो संताने गुरु कृपा से होन हार है,बड़े बेटे ने कृषि विज्ञान में डिग्री लेकर कृषि सेवा एवं बीज केन्द्र के नाम से एक स्टोर खोला है जिसका नाम तारुषा हीभी ।राकेश भी mba karke डेल्ही की एक कंपनी में नौकरी कर रहा ही और टाटा बेटी अभी कॉलेज जा रही ही ,मैंने बात बढाते हुए कहा भाभी के बारे में कुछ बताओ ,तब समुज बोला। ..भाई तुम्हारी भाभी के बारे में क्या कहना, वो तो हर काम में चतुर ही.रसोई के हर समान का बढ़िया से बढ़िया इस्तेमाल करना जानती ही। और पूरे गों की जनानियां तेरी भाभी को जानती ही .घर में १५-२० महमानों की खातिरदारी करना तो उसके बाये हाथ का खेल है.सिलाई कडाई में तो पूरी मास्टरनी है । सर्दी में भी दशेरे से पहले के नवरात्रे और राम नवमी के मार्च वाले नव रात्रे में तो कीर्तन मंडली रोज़ ही भजन -संगीत में बुला ले जाते है । भाई जो बल बच्चे १ बार तेरी भाभी से बात करले ,बस वह तो इसके fan हो जाए । मुझे यह जानने की इच्छा हुई तो समुज ने बतलाया ,भाई तीन बच्चो को पाल पोसकर संस्कार वान तो बनाया साथ में अच्छी एजूकेशन भी करवादी । यु देखकर तो सभी इससे सलाह मशवरा लेने आते है ।
भाई हमारे टेलीफोन का आधा बिल तो इसकी समाज सेवा में परवान चढ़ जाता है । १ बात और कहू तुम्हारी भाभी झूठ की निंदा जूगली को तो कभी भी पसंद न करे । इसका हर कम positive सोच का होता है । समझे भाई राम प्रकाश ।
मेरे और समुज की शिक्षा अलग अलग हुई थी! किंतु घुर्मन में गीली डंडा हमने साथ खेले थे। मेरे पिता केन्द्र की नौकरी में बंगलोर चले गए । तब से यारो का मिलना जुलना ख़तम सा हो गया आज मिले तो पुराने दिनों के जिगरी संबंधो के पौधे हरे होकर लहलहा रहे थे । मैंने भाभी इ तरफ़ देखा ,उसके होटों पर मुस्कराहट थी । लेकिन चेहरे के भावो को देख कर लगता था की, उसके अंतस की गहराई में कुछ तो, है जो आज उगल देने चाहती है । भाभी जी हमारी पवित्र दोस्ती को जानती और समझ तथा मेरे घर परिवार ,पत्नी,बच्चो के बारे में खुल कर बातें होती थी ,कभी कभी आपस में चिठ्ठी द्वारा समस्याओ के समाधान भी पूछ लेतेठे ,और साड़ी बातें किसी भरी संदूक के ताले में बंद होजय आरती थी। मैंने अब भाभी से कहा -सब मौज मंगल है न। वह भभक पड़ी, क्या भाई साहब मजे की बात करते हो, यहाँ तो जब से आई हूँ ,नरक भोग रही हूँ ,घर घ्रह्स्ती का इतना बोझ है ! न दिन को चाय और न रात को आराम बस कम ही कम ...................करना है मुश्किल कहना है आसान।
मैंने भाभी के इन गहरे शब्दों में छुपी चीत्कार और मायूसी भरी संवेदना को उबलते देखा था .इसलिए उस फोडे की मवाद को अगर बाहर नही निकलने दिया तो यह कैंसर बन सकता ,ब्रेन की नस तोड़ता ,या फिर ख़ुद खुशी के हालात पैदा कर सकता था।इसलिए भाभी जी की अंतर्वेदना को सुन्ना सच्चे दोस्त के नाते जरूरी लगा।भाभी जी ने विवाह के पूर्व क्या क्या सपने देखे थे सो भी बताये और वह उन्हें पूरा करने के लिए दबाव बनाये रहती थे,लेकीन सपने तो सपने है ,घर परिवार की मरियादों को ताक पर नही रखा जा सकता . जो सेक्स शादी विदेशो में कपड़े बदलने के सामान है!हमारे लिए जीवन भर का बंधन है । भाभी ने बताया तुम्हारे कंजूस दोस्त ने कभी मेरी तारीफ नही की। बस मेरे में हरदम बुरे देखते रहे ,कभी २ जोड़े कपड़े अपने हाथ से खरीद कर नही लाये। कभी मुझे होटल में पपेट भर खाना नही खिलाया ,न मुझे परिवार में समान दिलाया। ऐसे पति को गले में बाँध कर क्या मैं मजे में रह सकती हूँ?
एक एक शब्द राम समुज भी सुन रहा होगा.किंतु मेरे कानो में उसके वह शब्द पिघले हुए लावे की तरह जा रहे थे। और मैं चुप चाप संयम से सुनता चला जा रहा था. फिर भी मैंने उसकी निकलती हुई भड़ास पर कोई विराम लगना उचित नही समझा. इसलिए मैंने कहा और कुछ बाकि हो तो वह भी कह डालो। मैं तो जीना ही नही चाहती। मैंने ३-४ बार जेह्रेली गोलियां भी खाई,पर मुझे मौत ही नही आए। मुझे नही तो इसे ही आ जाए,लेकिन पता नही किस मिटटी का बना है ये? इतनी गलिया सुनने के बाद भी हे हे करता हुआ खेत पर निकल जाता है। इसे कब अकाल आयगी? बस मुझे कुछ नही कहना। मैंने मन ही मन कहा शेष कहने को बचा भी क्या है?और यही सोच रहा थकी मैं कोई मनोरोग विशेशज्ञ तो हू नही,पर इतना जरूर समझ रहा था की भाभी को ज्ञान का अभिमान जरूर है,तभी तो समुझ इतना सब सुनता रहा है,और पत्नी को साम्झाता भी रहा है की दर्प मत किया करो,चार वेदों का ज्ञाता रावन को भी घमंड ने अन्त्था चूर कर के ही रख दिया था,फिर तुम कितनी अपने को ज्ञानी समझती हो? ये सब सोचते हेमैने भाभी से कहा आचा आब थोड़ा जल पे लो और हमारे लिए भी ले आओ...
अब भाभी रिलेक्स हो चुकी थी !अभिमान और आत्म प्रवंचना का चुभा दंश निकल चुका था !पकोड़ी खाने के बाद प्यास भी लग आई थी १एक गिलास पानी पिया -फ़िर कहा ,एक एक कप चाय हो जाए भाभी जी ;-मेने अपनी इच्छा व्यक्त की !हा हाँ भेया अभी बना कर लती हूँ -फ़िर भाभी रसोई में चली गई !और मेरे अंतस में चिन्तन चलने लगा ,आज की समस्या ग्रस्त दुनिया में नितांत अकेला चलना बडा ही मुश्किल हे !कोई तो ऐसा हो जिसे हम अपना कह सके ?अत हर व्यक्ति को अपने ही हित के लिए एक दो अन्तरंग मित्र अवश्य होने चाहिए !आज के डिप्लोमेट जमाने में नित नई समस्याए उपजती रहती हें और कभी कभी स्तिथि इतनी संकट ग्रस्त हो जाती हे ,की अपनी बुध्दी हार जाती हे !किसी नये व्यक्ति को एका एक समस्या बताना संकट पूर्ण लगता हे !तब व्यक्ति असहाय हो ,विक्षिप्तता और तनाव [डिप्रेशन ] का शिकार होने लगता हे !यह अच्छा हे की मित्र समुज और हम अपनी उलझने एक दुसरे से मिल बाँट [शेयर कर ]लेते हें !इसलिए हम दोनों स्वस्थ हें ,हर हाल में प्रसन्न रहते हे !परन्तु भाभी ने आज तक किसी को अपना हमराज़ नही बनाया !मूळ कारण व्ही हे !जब दुनिया दारी का बोझ अचानक बढ़ जाता हे ! तब ऐसा व्यक्ति डिप्रेशन की चक्की में पिसता हे या तनाव से ग्रस्त हो के अपना नुक्सान कर बेठता हे !संत कबीर जी ने ठीक ही कहा हे
निंदक को निकट में राखिए ,ज्यूँ आंगन व्रक्ष की छाँव
बिन साबुन पानी बिना ,निर्मल करे स्वभाव !!
ऐसे ही सच्चे मित्र हमारे स्वभाव पर सदा ही थर्मामीटर लगा कर रखते हें !और हमे कमजोरियो तथा बुराइओं से सतर्क रखते हें !यह सोचते हुए में विचारो के कोहरे में विलीन हो गया था !अचानक भाभी के आग्रह पूर्वक शब्दों ने मुझे बाहर निकाला -"भाई साहब चाय ,शक्कर कम हो तो और दाल लेना पास में रख के जा रही हूँ !कह कर भाभी फ़िर अपने घरेलू कार्यो में मशगूल हो गयी !
गाव से शहर में जाने वाली बस में जगह मिल गई थी !ड्राईवर ने ज्यूँ ही स्टार्ट करी ,मुझे छोड़ने आए समुज ने पुनः स्मरण कराया !घर पहुचते ही फोन करना और बच्चो को हमारा प्यार देना !बस चल रही थी में मन ही मन दर्शन- शास्त्र के पन्ने पलट रहा था !आज जिस संदर्भ में हम जी रहे हे !यदि हमने अपनी ही कुल गोत्र के ऋषि मनु और महात्मा कर्म चंद गाँधी को भुलाया न होता ,तो व्यक्ति दिपरेशनहम से कोसों दूर रहता !लेकिन हमने चरखे पर सूत भरना ,बढाने पर तकली की नोक पर रुई से धागा बनाना ,स्वस्थ और मिल जुल कर रहने वाले सभी करतब भुला दिए !उन्होंने यह कभी नही कहा था की,इलेक्ट्रानिक युग में कम्पुटर ,लेपटाप और सॅटॅलाइट मत बनाओ !बल्कि हमे बार बार चेताया था ! बेटा खूब फूलो फलो ,लेकिन शरीर का श्रम मत छोड़ना !दान जरुर करना ,यानि उसमे त्याग और सहयोग की भावना घुली हुई हे !तपस्या में छुपा हे दुःख को धीरज एवं सयम से झेल लेने का स्वाद !इन पर अमल करने में हमारा ख़ुद का ही भला हे !
मुझे याद हे समुज की शादी के द्रश्य हे उसके सब रिश्तेदारआए थे !सब मुझे भी समुज जेसा स्नेह दे कर मेरी हर जरूरत का ध्यान कर रहे थे !विवाह के समय बडे छोटे सभी को बुलाने का अर्थ उन्हें सम्मान देनाहे!फ़िर सहयोग तो अपने आप मिल जाता हे !दुल्हे को सेहरा बंधते सब के हाथ लगवाना उनके आशीवाद पाने का परिचायक हे !घडा घदोली की रीत ?बहनों और भाभियो ,चाची ,मासी,भुआ ,आदि को बुला कर उन्हें सम्मान देने भावः कितने ह्रदयस्पर्शी होते हे !जंद व्रक्ष की टहनी दुल्हे की तलवार से कटवाना !उसके भुज बल का परिचायक हे !ऐसे विशेष अवसरों पर निराकार ब्रह्म का स्न्र्ख्यं पाने के लिए महिलाओ के गीत गायन की रीत बडे काम की चीज़ हे !जिसका भोतिक मोल कम सही ,किंतु भावनात्मक कीमत अनमोल हे !
टेलीफोन न; लिखने का फायदा यह हुआ ,परस्पर निकटता बदती गई !दोनों तरफ से परिवार की शादियो में आना जाना शुरू हो गया !मेरे और समुज के घरो का फासला ट्रेन और बस का समय मिला कर दस घंटे लगते हे !रोजी रोटी की नोकरी की भाग दोड़ में ,प्रोग्राम ऐसे बनते हे की रात तो गाडियों में निकल जाती हे !दिन के घंटो को भी ऐसे बांटते हे जेसे हम कही के मंत्री बन गए हों !
समुज के बच्चो की शादिया भी पडे लिखे परिवारों में हो गई !बेटी को अच्छा सुसराल मिला ,उसके परिवार के सभी सदस्य ऊच्च सरकारी पदों पर आसीन थे !बेटी तारा ने भी सुसराल जा कर नोकरी कर ली थी !बडा बेटा स्टोर चलाने के साथ खेती बादी के काम की देख भाल कर लेता था !राम समुज इश्वर को सदा बहुत धन्यवाद देता ,उसके सारे काम आपने ही किए रामजी !वह अब घर की जिमेदारियो से मुक्त था फ़िर भी तीन चार घंटे खेत पर जा कर ,फसल की निंदाई ,गुडाई पानी लगाना या फ़िर जो भी काम होता !वहा उसे श्रम करने में मजा आता !उसे क्यारियो से खर पतवार निकालना सब से अच्छा लगता था !खेत से लोट कर स्नान से निवर्त हो लाल अंगोछा बाँध कर पूजा में बेठ जाता !उपासना में उसे पूरा एक घनता बीत जाता !चने की मिस्सी रोटी गुड के साथ उस पर लस्सी का बडा गिलास !अपना हो गया लंच ,यह कहते हुए गाव की चोपाल पर चला जाता !कभी किस्से कहानिया कभी ताश की महफिल लगती अब सामान्यता रोज़ का यही टाइम टेबल बन गया था !समुज अपनी पत्नी के स्वभाव को पूर्णता से समझ चुका था इसलिए बिछो के अति कठोर शब्द भी गुलाब के काँटों जेसे प्रतीत होते !अब वह निर्विकल्प और निश्चिंत रहता !क्रोध को संयम की मजबूत रस्सी से बाँध कर पत्थर की बडी शिला के नीचे रख दिया था !
इस बार मेरी छुटिया बच गई ,कही से एक विचार आया -चलो बहुत समय बीत गया समुज के गाव हो आते हें !बीएस से जेसे ही पल्सर पुर गाव बीएस स्टाप पर उतरा ,क्या देखता हु ? पंद्रह बीस लोग पीछे पीछे चले आ रहे हे ,आगे आगे सर मुंडे बस चोटी के थोड़े थे वह व्यक्ति चल रहा था जिसके हाथ में जल का लोटा कंधे में जनेऊ ,और गले में अस्थियो की पोटली लटक रही थी !द्रश्य देख समझ में आ रहा था की समुज के परिवार से कोई बडी उम्र का प्राणी चल बसा होगा !और आज चोथे की रस्म कर ,मसान से मृतक के फूल चुन कर ,बिरादरी के साथ घर वापिस आ रहा था !गाव के ही एक व्यक्ति से पूछने पर मालूम पडा की राम समुज के पिता चोधरी किशन लाल जी का तीन दिन पहले देहांत हो गया था ! यह देख सुन कर में भी चुप चाप उनके साथ बिरादरी में शामिल हो लिया !घर के द्वार पर पहुच कर समुज ने गाव की परम्परा अनुसार बिरादरी को ,शाम को छ; बजे मरू की चोकी में आने की सुचना देकर रुकसत दी !समाज के अधिकतर लोग अपने घरो को चले गए !शेष बचे रिश्ते दार जो घर के ,वे भी नहाने धोने लग गए !अब मेरे और समुज के सिवा बैठक में कोई न था !वह उदास था ,!पिता की मौत से आनंदी चेहरे पर विषाद की झुरिया उभर आई थी ! मेने उसे सांत्वना दी और हिम्मत बंधाई !पिताजी मेरी छतरी थे !मेरी हर चिंता उनके अनुभव के सामने चुटकी बजाते ,समाप्त हो जाती थी !मुझे पिता का ऊचा सहारा था ,तीन दिन में ही मुझे कांटे चुभ रहे हे !में तुझे फोन भी नही कर पाया !आज चोथे पर सभी रिश्तेदारों को कार्ड पोस्ट करने हे !तुम्हे भी लिखता चलो अच्छा हुआ भगवान ने मेरी मदद के लिए तुम्हे भेजा हे अब तो तेहरवी करवा कर ही वापिस जाना !समुज की हालत देख मेने भी दस दिन उसी के गाव रहने का वचन दिया !
सांय छ; बजे ,हे ,चोथे की चोकी में ,बिरादरी से लगभग पाने तीन सो लोग पहुच चुके थे !मारू राग पर आधारित धुन्न ,रागनी व् कीर्तन चोकी ! गुरु ग्रन्थ साहब ,रामायण एवं गीता की शिक्षाए ,जो व्यक्ति को मोक्ष का मार्ग बताती हे !मृतक के परिजनों को ढोलक की ताल पर पञ्च दस गायक अपने स्वरों में कहते हे !हे प्राणी तुम्हे उदासी कहे की हे ?हमारे दादा परदादा राम ,कृष्ण जेसे अवतार ,भीम सरीखे बलवान युधिष्ठर से सत्यवान जो आया जग में सभी को इक दिन जाना हे बली जेसे दानवीर ,रावन जेसे वेदपाठी ,लंकापति जिनकी संतति नाती पोते सवा लाख थे !वह भी सभी युद्ध में मरे गए !उनके लिए दिया जलाने वाला भी कोई नही बचा !किंतु प्रभु का रचा यह संसार चल रहा हे और चलता ही रहेगा !इसलिए हे प्राणी धीरज रखो और जिस विध रखे प्रभु तिस विध [प्रकार ]प्रसन्नता पूर्वक रहो !चोकी के शक्षा प्रद बोल ,विचलित परिजनों के ,सिगरेट के धुए की तरह बहकते विचारो को .शीतलता दे रहे थे !तथा पुनः संसार में रह कर्मशील और कर्तव्य परायण होने की प्रेरणा दे रहे थे !
इतने सरे लोगो को उन स्वरों को पुनः दोराते देख ,राम समुज परिवार के सदस्य संयत होने लगे थे !सभी अपने आप को संभल कर बाहर से आए हुए मेहमानों की देनिक जरुरतो को पूरा करने लगे !पांचवे दिन से बाहरवें दिन तक गीता जी का पठन और परिजनों द्वारा श्रवण होता रहा !इस बीच में और राम समुज पिताजी की अस्थियो को पवित्र नदी गंगाजी में विसर्जित कर आए !तेहरवी के दिन प्रात काल से पूरे घर आंगन की सफाई लिपाई पुताई की गई ! पवित्र रसोई चोक में पक्का भोजन चन्ना खीर पूडी आदि बना !पहले ब्रह्मणों और परिवार की बहु बेटियो को भोजन कराया गया !तदुपरांत सभी को भोजन परोसा गया !
Monday, December 22, 2008
पुनर्जन्म के खोजी जोन स्टीवन्सन
Wednesday, December 17, 2008
वैज्ञानिको की प्रयोगशाला -- नासा
Sunday, November 30, 2008
नोबल पुरूस्कार विजेता डाक्टर हरगोविंद खुराना
Wednesday, November 26, 2008
अमेरिका में फ्री सेक्स का सामयिक दर्शन {फिलासफी }
मेरे पिताजी कहते थे "कभी भी दो अविवाहित व्यस्क लड़का एवं लड़की को एकांत में शयन नही करना चाहिए " लेकिन अमेरिका में शीत जलवायु अनुसार पारस्परिक सहज योंन संभंध बना लेने को कोई ग़लत नजरो से नही देखता वहा इस दिशा में प्रयोग एवं परिक्षण हो रहे हे !
एक दिन बोस्टन की ओल्ड बुक शाप में संन १९९०-९४ ke मध्य छपी पुरानी पत्रिकाओं के पन्ने पलट रहा था मेने देखा तब तक प्रिंट मिडिया तथा मोबाईल में क्रांति आ चुकी थी रंगीन योंन् पत्रिकाओं में दहकते नव योवनाओ के नग्न चित्र देख आँखे फटी रह गई !इतना ही नही चित्रों के तले सम्पर्क हेतु उनके नाम पते और मोबाईल नम्बर भी अंकित थे !वे नारद ऋषको हारने चली मेनका रम्भा और उर्वशी को भी मात दे रही थी
अब तक दुश्परिनामो को झेलने वालो में आत्म सयम एवं स्वस्थ रक्षा की सुगबुगाहट होने लगी हे
मासिक पत्रिकाओ एव इंटरनेट पर हवस भड़काते चित्रों ने खरीदार बहुत पैदा कर दिए हे लेकिन वे अब नोचने भी लगे हे !कुछ वर्ष तक यह कारोबारn खूब फला .;करोडो डालर का व्यापार हर साल होता रहा
लेकिन परिवर्तन प्रकृति का नियम हे !जो योंन सम्बन्ध पहले शरीर की जरूरत लगते थे अब अभिशाप लगने लगे हे अभी अभी एक सेक्सी पार्टी का गठन हुआ हे जो सेक्सी कारोबार ;पॉर्न वेबसाइड और यों न उछाराल्खता को बंद करवाना चाहती हे
Monday, November 24, 2008
अमेरिका भारत का पाताल लोक या स्वर्ग हे ?
भारत में दिन के समय अमेरिका खंड पाताल कहलाता हे / जब भारतवासी रात्रि शयन कर रहे होते हे तबउस स्वर्ग देश की परियां अपने देनिक कर्त्वय कर रही होती हे /
जहा सत्य '"स्वच्छता :इमानदारी अनुशासन देशभक्ति प्रेम और सबका आदर हो वो स्वर्ग से कमतर नही हो सकता
;स्वर्ग-नर्क की आलंकारिक मान्यताए पोरानिक काल की काल्पनिक ग्ल्प्कथाए भर हें वस्तुत स्वर्ग आत्म संतोष को कहते हे स्थाई आनन्द भावनाओं का ही होता हे यदि व्यक्ति का द्रष्टिकोण परिष्कृत और क्रिया कलाप आदर्शवादी मान्यताओं के अनुरूओ हो तो वह वस्तुत स्वर्ग मै ही जी रहा हे नर्क भी कोई लोक नही हे कुसंस्कारी ,दुर्गुनी मनुष्य अपने ओछे चिंतन की आग मै स्वं ही हर घड़ी जलते रहते हे चिंता भय क्रोध इर्षा द्वेष ,शोषण ,प्रतिशोध की परवर्ती हर घड़ी विख्युब्ध बनाए रहती हे ये नर्क की अनुभुतिया हे
----परम पूज्य गुरदेव आचार्य श्रीराम शर्मा जी ---
Thursday, November 13, 2008
बुधवार ५ नवम्बर की घटना
आज का सूरज अपनी किरणों से संसार को नईऊर्जा दे रहा था !अमेरिका के २३२ वर्षो के इतिहास में पहली बार कोई अश्वेत नेता बराक ओबामा के रूप में राष्ट्रपति चुना गया !आज मार्टिन लूथर किंग और महात्मा गाँधी की आत्माए प्रसन्न थी किओकी वे सदा जाती-धर्म रंग भेद से ऊपर उठ कर सद्गुणों और आदर्शो पर चलने की ही वकालत करते थे !वे कहते थे इस तरह की धरती पर ही साचा लोक तंत्र खड़ा रह सकता हे !
शिकागो जहा कभी स्वामी विवेकानंद जी का उदबोधनहुआ था आज ४७ वर्षीय बराक ओबामा ने राष्ट्रपति चुने जाने पर पहला भाषण दिया !उनके हिरदय से प्रस्फुटित हो रहे उदगार , राजनीती के छात्रो एवं श्रोताओं को कुछ नया एवं ठोस करने को प्रेरित कर रहे थे
उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण मै कहा जिस तरह आपने जाती नस्ल ऊच नीच का भेद भुला कर मुझे जिताया हे अब उसी भावना के साथ अमेरिका को भी ऊचा ले जाना हे अपने नारे को दोहराते हुए कहा ;अमेरिका मै सब कुछ संभव हे आगे कहा मुझे ऊमीद आस पास के पथ्थरो और मारबलो से नही बल्कि उनके बीच की खाली जगह भरने वालो से हे
Tuesday, November 4, 2008
चर्च में सत्संग प्रार्थना का हिन्दी में सार
शान्ति का वाद्य बना तू मुझे...
प्रभु शान्ति का वाद्य बना तू मुझे।
हो तरिस्कार जहा, वहा करू मै नेह...
हो हमला तो ,करू मैं क्षमा ,
जहा हो भेद, वहा समव्यव्हार्र करू
शान्ति का वाद्य बना तू मुझे...
प्रभु शान्ति का वाद्य बना तू मुझे॥
घोर निराशा में भी ,करू मै आस ....
अन्ध्यारे में बनू मैं प्रकाश ॥
शान्ति का वाद्य बनादो मुझे....
प्रभू शान्ति का वाद्य बना तू मुझे॥
बराक ओबामा--
मंच से उतरने पर उन्होंने हम जैसे बोहोत से नागरिको से हाथ मिला कर धन्यवाद दिया और फिर शुभकामनाओ का आदान प्रदान करते करते हमारे बीच से विदा हो गए ।
एक आदर्श इन्सान (वारेन बुफेट )
अमेरिका में श्री लक्ष्मी की कृपा तो सदा से रही है। यहाँ के एक सज्जन पुरूष जिन्हें अमेरिका का सबसे आमिर व्यक्ति भी कह सकते है ,वह है श्री वारेन बुफेट ,उनसे मिलने का सोभाग्य नही मिला .किंतु वह अभी भी अपनी अच्चियों के कारन मेरे दिल में रमन करते है । जेट एअरलाइन और बर्कशायर हेथ्वे तथा अन्य कई कम्पनियों के मालिक होकर भी वे अपनी कार स्वयं चलते है .वे ५ कमरों से सादे माकन में निवास करते है ,जो मित्वाये होने का उदहारण है । अपने कार्यो के लिए हवाई जहाज़ की अपेक्षा अपनी कार की ही अथिकतम उपयोग करते है । दान देने और परोपकार में भी इनका कोई सानी नही है .वह दुनिया की भलाई चाहने वाले प्रथम धनवान कहे जा सकते है । अपने संस्थानों के प्रबंधक मंडलों से वर्ष में केवल एक बार ही मिलकर आत्मीय सम्भंद बनाये रखते है .अरबो डॉलर के स्वामी के घर को आज भी एक गाँधी आश्रम की उपमा दे जा सकती है ।
ओशो अनुयाई
यहाँ मुझे अपने सहपाठी - लंगोटिया मित्र नारायण दस की याद आती रही ,जो कई वर्षो तक भगवन रजनीश जी का खासमखास बनकर अमेरिका में ओशो कम्यून (आश्रम ) की प्रबंध व्यस्था करता रहा .वह कई वर्ष ओशो आश्रम पूना का ट्रस्टी भी रहा । आचर्य रजनीश ने उसे स्वामी चैतन्य कीर्ति नाम देकर ओशो टाईम्स पत्रिका का मुख्या संपादक बना दिया था। उसके छपे मार्मिक लेख भी मैं पड़ता रहा ।
मुझे याद आते है वो दिन ,आठवी नवमी कक्षा की जब गर्मी की छुय्तियाँ होती थी, सोना उगलती धरती पर गेहू की तैयार फसल की कटाई के समय ,हमे भी श्रम करने का उत्हासा जगता था .पडी के खर्चो की खातिर मुशद्दी के खेत में ,हम दोनों फसल कटाई करते थे,वह पानीपत की स्मृतिया अमेरिका आकर फिर तजा हो गई । लेकीन १९९८ के बाद उस मित्र का अटपटा नही मिला कुछ खो गया सा लगता है ।
Monday, October 6, 2008
रिमोट तकनीक के खोजी एवं योधा परबरीक
Monday, September 8, 2008
केसिनो का राज्य -स्वछंद -लॉस वेगास
लाग -वेगास का हम देसी भाषा में एक अर्थ -हारिए बेलगाम होकर -भी लगा सकते हें !यह जुअरियो और उनसे खेलेने ,खिलने वाली अप्सराओं का स्वर्ग हे !जहा जीत कर भी ,फ़िर हारना ही अच्छा लगता हे ! दुनिया के द्युत खिलाडियो में इसका मीठा मीठा प्रचार हो चुका हे !केसिनो में पेट भरा जुयारी अपने उत्पाती अभिमान को तुष्ट करता हे !यह अमेरिका का नए ढंग का पर्यटन केन्द्र बन गया हे जहा चार पाँच सो होटल केसिनो के दम पर तगडी कमाई कर रहे हे !इन विकसित केसिनो का इंटीरियर हमने किसी फाइव स्टार होटल में भी नही देखा !पर्यटक जानकारी के लिए -
www lagvegasnm.org--and for hotel --wwwplazahotel.nm.com पर सम्पर्क कर सकते हे !
अमेरिका के कई स्टेट में हर जगह विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति नही !राजधानियो में २०-२५ होर्डिंग ऐसे दिखाई दिए जो टाटा ४०७ जेसे ट्रक खम्बा फिट कर लगा दिया जाता हे !यह९० प्रतिशत विज्ञापन मेग्जिन या फ्री अखबारों में समाया रहता हे !बडी चेन वाली व्यापारिक फर्म अपनी गाइड बुक निकलती हे जिसमे उसी ट्रेड सम्बन्धित दूसरी दुकानों तथा एजेंट स के एड भी होते हे !फर्मो की इन बुकलेट्स में मुख्यता अपने सामान का ही बडे आकर्षक ढंग से विज्ञापन किया होता हे !यहाँ आनलायन ट्रेडिंग अधिक हे हर कम्पनी ,होटल रेस्टोरेंट या सप्लायर की अपनी वेब साइड हे !छोटी दुकानों या येलो पेजिज़ की फोन इमेल जानकारी गूगल -मेल या इंटर नेट पर मिल जाती हे एअर -ट्रेन -बस और होटल-रिसोर्ट की बुकिंग तो घर बेठे नेट पर हो जाती हे क्योकि यहाँ एसा कोई वर्कर नही जिसके पास क्रेडिट कार्ड न हो !हर समझ दार ,दूरदर्शी नागरिक अपने पास अ.टी.म.एवं क्रेडिट कार्ड रखता ही हे !बेंक अपने ग्राहकों को कड़क ठण्ड के महीनो एक सुविधा और देते हे !ऐसी गाड़ी ऐसी दफ्तर बाहर --०४ डिग्री ठण्ड ,मुंबई का ड्राफ्ट बनाना था हमारी कार कोअप बेंक के पोर्च में पहुची !उस दिन ठण्ड -?-एक मिनिट में कुल्फी बन जाए !कार से निकलना जोखिम लगा ,क्या करें ? तभी सामने कांच की खिड़की से देखते हुए कर्मचारी की आवाज़ सुनाई दी !वाट केंन आई दू फार यू पोर्च में लगे कन्स्फ्रेंस फोन पर हमने भी अपनी बात कही ?तब बेंक कर्मचारी ने बताया कार में बेठे बेठे पोर्च में लगे ६"व्यास के कमर्शियल पाइप में अपना लोकल चेक एवं डी डी फार्म रख दे !हमने निर्देश का पालन किया ,कार में बेठे संगीत सुनते रहे !पाँच मिनिट में मुंबई का ड्राफ्ट इलेक्ट्रानिक पाइप में उसी जगह में बन कर आ चुका !हमने नयी तकनीक एवं बेंक को धन्यवाद दिया और आगे बद गए !
Sunday, September 7, 2008
यू -एस -सभ्यता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता -
यू -एस की पहचान हमे अपनी आजादी के बाद ही मिली हे !स्पेन देश का एक उत्साही नाविक था !उसने कभी हिंदू -सभ्यता कीई तारीफ़ sunii होगी ,उसी जिज्ञासा को लेकर वहहिंदुस्तान की खोज करने निकल पड़ा !उसके पास अति ऊत्साह तो था लेकिन यह द्वीप कहाँ ,कीस दिशा में हे मालुम न था !वह अपने कुछ सहायको के साथ नाव चलाते चलाते अमेरिका द्वीप की धरती को ही उसने इंडिया माना !उस नाविक का नाम था कोलंबस !उसी के कारण ही एशिअई देशो को इस देश के बारे जानकारी मिली थी ! कोलम्बस कुछ अरसा रहा और इंडिया ही समझता रहा !स्पेन वापिस पहुचने पर अपने देश वासियो इस द्वीप की नेसर्गिक सम्पन्नता की बाते बताई तो वहा से कई लोग व्यापार करने आए और यहाँ ही बस गए !फ़िर डच आए ,नए द्वीप में फ्रांस तथा ब्रिटेन सभी कई व्यापारी आए वे जिस खेत्र में रहे उस पर उनका अधिपत्य होता गया !इन सभी ने यहाँ से कमाई की राज भी किया किंतु यहाँ के लोगो नई तकनीक नई समझ और श्रम शीलता के साथ विचारो की विशालता भी दे गए !स्पेन के लोग जहा पहले पहुंचे थे उन्होंने उसका नामकरण इंडिया ना कर दिया !अमेरिका के इन देशो से आए नागरिक शासन करते रहे !१७७३ में यहाँ के मूल निवासियो में आत्म विश्वास जागा !तभी मूल निवासियो ने मिल कर एक बडा सगठन स्वयम को मजबूत करते रहे १७७६ में बाहरी शासको की अवज्ञा कर एक नए मजबूत लोकतंत्र की स्थापना कर डाली !इसप्रकार ४जुलाइ १७७६ को नई पार्लियामेंट का गठन कर जन तंत्र की शुरुआत कर दी !सत्य ईमान और मेहनती शासन आज तक ऊचाइयां छू रहा हे !उसी वर्ष ही एक उच्च स्तरीय स्कूल की स्थापना की गई जिसमे शासन की जिम्मेदारी वाले सभी मंत्रियो को ट्रेनिंग दी जाने लगी !तब से सभी खेत्रों में उतरोत्तर विकास होता चला आ रहा हे !
यहाँ अनपद का कोई काम नही ,साक्षरता का प्रति शत सब से आधिक हे रोड ,आटोमोटिव ,रेल और वायु आधारित टेक्नोलाजी अपने चरम पर हे !यहाँ जीवन की कद्र हे !हर शक्स अपने कर्तव्य को प्रथमिकता देता हे !वह रचनात्मक काम करता हे ,शिकायते तथा भूतकाल की बातो पर रोने में अपना समय बर्बाद नही करता !आर्ट आफ लिविंग संस्था का ध्येय वाक्य सदा वर्तमान में रहो इन्हे याद हे यह लोग महान विचारक सर श्री तेजपारखी जी को भले नही जानते ,पर वर्तमान में जो हो रहा हे उसे स्वीकार कर ,अपना कर्तव्य करते रहते हें !अगर कुछ अरुचिकर हे तो ठंडे होकर विवेक से सोच विचार कर निर्णय लेते हे !जबकि हमारे देश में कुछ विघ्न संतोषी ,स्वार्थी ,कसबे के मेंढक नेता ,निरीह ,निरक्षर और साक्षर जनता को भी भावनाओं का देशी सोमरस पिला कर ! बेय्दो और बंदरो की तरह हांक लेते हे !धरने ,बंद और प्रदर्शनों से उनको लड्डू भले मिलें लेकिन देश हानि एवं सरकार का सिरदर्द और बद जाता हे !
आदमी बंदर की ओलाद हे ,किसी वैज्ञानिक ने कहने से पहले जरुर सोचा होगा !साड़ी बातें अच्छी ,सिक्के का दूसरा पहलू भी होना चाहिए !यह सोचना हमारी आदत में शुमार हे !जबकि मेरे देश में मर्यादा पुरुषोतम राम ,भगवन श्री कृष्ण , गोतम बुध ,जैन के २४ तीर्थंकर ,मुनि ,यती ,योगी ,शंकराचार्य ,आचार्य ,और महात्मा गाँधी तक हमारी गोरव मई धरती पर अवतरित हुए !किंतु हम ईमानदारी से अंतर में देखे ,हम उनका कितना अनुकरण करते हे ?जब की सोहनी -महिवाल ,लेला -मजनू ,ठग नटवरलाल ,हमारे ही देश में अधिक दीखते हे !एक गाना आपने भी सुना होगा में रोड पर डांस ,शमशान में गाना गान्यू मेरी मर्जी !पञ्जाबी फ़िल्म का एक और भोंडा गाना हे -तेनु दल्हा किसने बनाया भूतनी के ,तेनू घोडी किसने चढाया भूतनी के !यह देख कर सोचता हूँ क्या यही हमारा कल्चर हे !फ़िर अपेक्षाकृत अमेरिका किउ हमसे अच्छा बन गया ,जब की यहाँ की आबादी बहुत कम हमरे देश में काम करने वालो की संख्या कम नही!लेकिन उन्हें सही मार्ग द्र्श्षक नही मिलता गाव के या शहर के नेता अधिकतर अपने स्वार्थ में लिप्त हे !गाव के किसान को अच्छी पैदा वर मिले उनके समय का भर पूर उपयोग हो हर मजदूर को कम ,हर नागरिक को रोजगार जो हर एक की पहली आवश्कता हे !चीन की आबादी हमसे ज्यादा हेकिन्तु हरेक के पास कम हे !पैसा भले कम मिले लेकिन काम मिलना चाहिए जिससे घर की गुजरान हो सके !ऐसा नही हे इसलिए भुखमरी ,बेरोजगारी और लाचारी भी हे !तब तुंरत समझ में आ जाता हे ,यहाँ का शासन सुद्रढ़ हे व्यक्ति शोषण और बेईमानी नगण्य हे नेताओं में पद प्रतिष्ठा का लालच भले हो किंतु पेसे के लालच में नेता नही बनते !दो सो वर्ष से अनुशीलन में रहते ,नागरिक नियमो का पालन करना आदत बन गई हे !!शहर में कोई आवारा जानवर नही !में आप को रोड सिविक्स का नजारा बताऊ !जब हम उप मार्ग पर जा रहे थे ,हमने दुसरे डाउन मार्ग पर ,पुलिस करें न पर एक कर देखि ,जिसका बोनट जल चुका था !यह घटना मात्र दस मिनिट पहले घटी होगी !शायद पोलिस ने वह कार रोड से अभी अभी ऊठा कर साइड पर कर दी थी !उतनी ही देर में दो मील तक कारो का जाम लगा था!आश्चर्य की स्थिति यह थी की एक भी आदमी रोड पर नही था सभी अपनी गाडियो में,और सभी अपनी ही लेन में धीरे धीरे चला रहे थे !वह भी बिना किसी पे .पे और छेच च के !बडी शालीनता के साथ !यहाँ नागरिको का कहना हे ,पोलिस इमानदार -सेवारत और बड़ी सतर्क भी हे !घटना की सूचना मिलते ही ,आधिकतम दस मिनिट में ही घटना स्थल पर पहुच जाती हे !फस्ट एड वाली वें न ,ट्रेफिक करें न और जरूरत पड़ने पर एम्बुलेंस भी पहुच जाती हे !यहाँ के हर कारचालक के पास मोबाइल फोन रहता ही हे इसलिए पुलिस का सहयोग तुरंत मिलता हे !इसके अतिरिक्त सड़क पर कही भी आपकी गाड़ी खराब हो ,तो यहाँ एक नेशनल संस्था हे त्रिप्प्ल ऐ [ ऐ ऐ ऐ ]यानि अमेरिका आटोमोटिव एसोसिएष्ण !इसके सभी नगरो में एजेंट और पिक उप वाहन हें जब भी फोन करे तुरंत सेवा में हाजिर !गाड़ी में काम अधिक हे तो आप को निकट बीएस स्टाप ,स्टेशन तक छोड़ ,कुछ ही दिन में आप की गाड़ी आप के हर पंहुचा दी जाती हे साथ में नियमानुसार बिल भी भेज दिया जाता हे यहाँ जंगल बहुत ही और तीस से चालीस फुट लम्बे सीधे पेडो को बिजली के खम्बे बन्नने के काम में लेते हे !दो तीन स्टेट में तो सभी जगह लकडी वाले खंभे ही थे !
Thursday, September 4, 2008
योगेश और शमिता के साथ-नोका+विहार
योगेश चार साल की पदाई इस अनुशासन के साथ पूरी की जेसे राजधानी एक्सप्रेस चलती हे वहीपर केट की परीक्षा दी !परिणाम आते ही स्नातकोतर स्टडी के लिए आई आई आई टी मुंबई में प्रवेश मिल गया !वहा पड़ते पड़ते ही कालेज प्रबन्धन ने यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत घुमने तथा नया कल्चरदेखने समझने दूर के देश स्पेन भेज दिया एम् इई की डिग्री मिली विदेश भी देख लिया और आई बी एम् में नोकरी भी लग गई !अब हमारा एक ही महत्व पूर्ण कर्तव्य बाकी था योगेश के लिए योग्य कन्या देख कर १२ जून को शमिता से विवाह करा कर हम निश्चिंत हो गये थे नाव में सुरक्षा- चक्र के रूप में मेरे आगे योगी और पीछे बेठी शमिता पर भी तो मुझे पूरा भरोसा हो गया था जब उसने मुझे द्रद्ता पूर्वक विश्वास दिलाया !हम दोनों आपके आगे और पीछे भी हें पापा जी ,आप निर्भय होकर बोटिंग को एंजाय करें !उसके शब्दों में आत्मीयता और चापू चलाने में मजबूत विश्वास था !फ़िर दोनों यंत्री , दोनों एम्,बी ,ऐ , भी हें दोनों व्यक्तित्व से ऐसे हें ,यदि वाद की सिथति आए तो सामने वाले पक्ष को तर्क पूर्ण शब्दों से चित कर दे !दोनों में नम्रता एवं मिलनसारिता का गुन भी हे !पिछले कई दिन से घर में दोस्तों का आना जाना लगा ही रहता था !हम तीन तीन होकर दो नावो में सवार ,कर रहे थे नोका विहार !जब किनारों के निकट आते तो पेडो के पत्ते भी खिल खिला कर हंसते !मानो हमारे साथ आँख मिचोनी और अठखेलिया कर रहे हों !दोनों नावे सुदूर पानी में अलग अलग विहार कर रही थी !एक बार फ़िर दोनों नाव अधबीच में आपस में मिली दोनों के कैमरों ने आखे खोली और दोनों नावो के समिलित मनमोहक फोटो अपनी अपनी फिल्मो में कैद कर लिए !इस तरफ से मेने उस तरफ से पत्नी ने नावो से हाथ निकले ,मानो दोनों एक दुसरे के पास आजाना चाहते हो हाथो में हाथ आते ही अपनी प्रफुल्लता का अहसास दिलाया !साथ ही एक दीर्घ निश्वास छोड़ते हुए धीरे से मुझे कहा ,यहाँ रिया महेश भी होते तो सोने में सुहागा होता
धर्म पत्नी के इतना कहने के बाद हमारी दोनों नावे फ़िर अलग अलग लहरों पर taerte दूर होती गई और में अतीत में खोता जा रहा था !यादे स्मृति पटल पर तेज रंगीन होती जा रही थी रानी के बडे भाई हरभगवान जी महेश के लिए रिश्ता लाए थे !उनके दोस्त मोहन कुमार ने उनको दो तीन दफे भोपाल चलने का कहा था आज उनके आने पर लंच सब ने मिल कर किया !आफिस को सलाम भेज दिया था शाम को हल्की बरखा की रिम झिम में अपनी गाड़ी से बोट कल्ब घुमने निकल pade क़ल्ब में भुने भुट्टे जो खाए थे !उनका स्वाद आज भी याद आता हे !फ़िर रात के भोज के समय घर परिवार की बाते होती रही थी !अगली प्रात; मन्दिर से लोटने के उपरांत श्री मोहन कुमार जी ने रिश्ते के प्रस्ताव के साथ lgn पत्रिका और फोटो भी थमा दी थी हम विचार करेगे !इस से आश्वस्त होकर वे उज्जेन के महाकाल के दर्शनों को चले गए थे रात को हमारे पूरे परिवार की प्रेजिडेंट aadarniy माता जी और ११सदस्य अपनी संसद में बेठे विचार विमर्श कर रहे थे उनसे जो जानकारिया प्राप्त हुई थी ,से हमारी माता जी संतुष्ट थी !किंतु माता जी को अपनी होने वाली पौत्र वधु के रंग रूप की जानकारी लेना आवश्यक लग रहा था !शब्दों में व्यक्त की गई हरभगवान जी की पुष्टि केबाद माता जी ने फोटो देखना चाह !बेटी अंजलि ने होने वाली भाभी का फोटो ऐसे प्रस्तुत किया जेसे शहंशाह के सामने चांदी की तश्तरी में मीठे बनारसी पान को सजा कर लाया जाता हे माता जी ने जब वो फोटो देखा, वेह निहाल हो गई जेसे उसकी अन्तिम इच्छा पूरी हो गई थी !फोटो में सुंदर - लाजवंती का सा मुखडा माता जी के दिल को लुभा गया और रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी अपना महेश भी तो ऊचा गठीला ,प्रतिभा संपन्न एम् बी ऐ पास आज भी उसकी सहपाठी नव योवानाए जब कभी महेश से मिलने आती हें तो ,उससे हाथ मिलाए बिना वापस नही जाती महेश जिस भी दफ्तर दुकान में जाता हे अपने प्रस्सन चित विनोदी स्वभाव से सामने वाले को गुड गुदा कर अपनी मधुर स्मृतिया उनके याद रखने के लिए छोड़ आता हे
सच ही रानी ने कहा था रिया महेश भी एक बार भाई का सुंदर संसार देख जाते तो उन्हें भी तसल्ली हो जाती !और इस चिंता से विमुक्त हो जाते की उनका छोटा योगी बेगाने देश में निपट अकेला तपस्या तो नही कर रहा !वे भी तो अपने छोटे और छोटी भाभी को हमेशा -सुखी ,स्वस्थ और समरथ देखना चाहते हे !महेश माँ से कई बार अपनी मायूसी प्रकट कर चुका हे की छोटे को इसलिए इंजीनियर नही बनाया था की वह जंगल के हिरनों की तरह विदेशो की ख़ाक छानता फेरे और घर की स्नेह भरी ममता मई बगिया की छाव का आनंद भी न ले पाय !कभी विरही माँ के आसू देख कहता -माँ तू रोया मत कर यह उसका भाग्य हे की भोपाल में उसके लायक नोकरी ही नही हे ,इसलिए परिवार से दूर रहना उसकी विवशता हे !यही ममता माता पिता भाई बहन सभी को कभी न कभी परेशान कर ही देती हे !
नाव के चप्पू चलते चलाते हाथ सेब जेसे लाल पड़ गए ,पूरे सवा घंटे पानी की लहरे हमे माँ के पलने की तरह झुलाती रही थी !शीतल मंद समीर हमे सहला जाती ,रोम रोम महक रहा था !अब सांझ होने को थी चप्पू चलाने वाले चारो खाने चित्त हो चुके थे !नावे किनारों पर लगी अस्ताचल सूर्य रात के आगोश में जाने को बेताब था !हम भी तेज कदमो से अपने पडाव की ओर बड़े जा रहे थे हवाओं में ठंडक बदती जा रही थी !तम्बू में पहुच सभी ने गर्म स्वेटर और शाल निकाले फ़िर आग जलाई और सब को अग्नि की tapjsh hme गर्माहट दे रही थी !ठंडे व्यजनों को गर्म कर पेट की उछल कूद को शांत किया !रात के सादे बारह बज चुके थे !दूर से झीगुरो की आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे रही थी !आसमान में तारो का संसार उत्तर में ध्रुव तारा विशेष अतिथि के जेसा लग रहा था !हम धवल -संत रिया रंग के पेराशूट कपडे के झोपडे नुमा टेंट [तम्बू ]को धन्यवाद दे रहे थे !जिसने बीती रात शरद की रजाई जेसा स्नेह देकर अपने आंचल में छिपा लिया था व्ही आश्वस्त आज फ़िर हमारे थके शरीरो को विश्राम देने को आतुर हे !निद्रा का प्यार भरा अहसास सभी को टेंट के भीतर खींच लाया !कब आँख लगी किसी को याद नही !
सुबह सविता देवता की झलक मिलते ही में तेयार हो सेर करने वन की पगडण्डी पर दूर निकल गया !सूर्य की लाल पीली किरने पत्तो के झुरमुट को चीर कर मुझे छू रही थी !सभी को एक समान प्रकाश बाँटने वाले सूर्य देव ,ज्ञान के कारक evm urjaa देने वाले ,वे ही समुद्र के जल को वश्पी कृत कर बादलो का निर्माण करते हे !में यह स्मरण कर ही रहा था, की काले सफेद बादलो के झंड एक साथ आ गये और कद कद करते मेरे कपडे गीले कर दिए अब में इतनी तेज भगा जेसे मेरे पीछे जंगली कुत्ते और भेदिये भाग रहे हों जेसे तेसे टेंट में शरण ली थी मेने !बरखा की बुँदे टेंट पर गिरती तो नगाडे सी आवाज़ होती ,सभी जाग चुके थे और वृष्टि विराम का इंतजार करते रहे किंतु मोसम ने हमारी एक न सुनी !अब हमने अपना बोरी बिस्तर बाँध लिया अंत में दो व्यक्तियो ने हाफ पेंट पहने टेंट को उतार गाड़ी में लाड दिया और बरखा रानी के गीत गेट घर पहुच गये !
समुद्री तूफान और आपदा मुक्ति संस्थान --
Wednesday, September 3, 2008
न्यू जर्सी और डाक्टर अंशु अग्रवाल का घर -
Monday, September 1, 2008
अमेरिका में कृष्ण जन्मौत्सव---
यू .एस .पोस्ट .पद्धति ,छुटियाँ और तापमान --
ऋतू -मार्च से मई बसंत [स्प्रिंग ]जून से अगस्त में गर्मी [समर ]रहती हे सितम्बर अक्तूबर पतझर [फाल] का मोसम नवम्बर से फरवरी ठंड एवं बर्फबारी [विंटर ]का मोसम होता हे !पतझड़ के समय पेड़ पोधो के रंग ऐसे बदलते हें ! पत्ते हरे से पीला ,पीले से गुलाबी ,गुलाबी से लाल ,फ़िर लाल से ब्राउन होकर सूखते हें फ़िर गिर जाते हें !यहाँ जून -जुलाई में दिन चोदःह घंटे के रात्रि दस घंटे की होती हे !
Sunday, August 31, 2008
कार एक जरूरत -एक अधिकार ----
Thursday, August 28, 2008
जंगल की राते [केम्प फायर] मनोरंजन की बातें
'आपने जो पत्ता पहले नीचे डाला था उसी को डालो भाभी -शमिता बोली, ताश खेलते रुपाली ने गलती से पान का इक्का नीचे पटक दिया था !इसलिए शमिता अच्छे खिलाड़ी की तरह अपना हक मांग रही थी !सुलझे हुए खिलाड़ी तो जरा सी गलती को भी चक्र व्ह्यु की दीवार भेदना मानते हें !नरेंद्र और योगी भी खेल में शामिल थे !लेकिन उनके लिए ताश खेलना टाइम पास का बहाना था !किंतु शमिता अमेरिका के नियमों को पालना जेसे आवश्यक मानती हे ,उसी प्रकार कहती हे !हर गेम के भी कुछ नियम होते हें ,तो उनका पालन होना ही चाहिए !वेसे खेल तो खेल भावना से ही खेलना चाहिए !हम सभी बर्लिन स्टेट पार्क में छुटियाँ बिताने आए थे ! बूंदी के पेड़ के नीचे चादर बिछा कर ठंडी छाँव में बातें भी कर रहे थे साथ में पिनिक के लिए बनाए व्यंजन हजम करते जा रहे थे गेम भी खेल रहे थे !
शुक्रवार को ही योगेश और उसके दोस्त नरेंद्र ने जो आई बी एम् .की नोकरी में भी उसके साथ कम कर चुका था ! गत तीन वर्षो से दोनों बिछड़ गए थे फ़िर नोकरी में कम की अधिकता ऐसी रही ,की एक दुसरे की खबर लेने की फुर्सत नही मिली थी !नारायण कृपा देखो हिदुस्तान में बिछडे फ़िर विदेश में दशहरे के दिन मस्स्चुट्स स्टेट में श्री लक्ष्मी टेम्पल में दोनों की मुलाकात हो गई !दोनों खुशी से गद गद हो गए !इस बीच दोनों के विवाह भी हो चुके थे ! यहाँ दोनों के दफ्तर अलग अलग हें परन्तु संजोग हे की दोनों एक ही कम्पनी के लिए कार्य कर रहे हें !दोनों ने छुटियाँ किसी जंगल में एडवेंचर केसाथ बिताने का प्रोग्राम बना लिया !चार बजे ही आफिस का पूरा काम निपटाया !फ़िर दो घंटे में पिकनिक के लिए तम्बू गद्दे फोल्डिंग चेयर केम्प फायर के लिए लकडियाँ खरीद लाये !दूध ब्रेड ,काफी मेगी ,मख्खन ,जेम ,बिस्कुट ,केक आदि सामान इकठा कर अपनी यारिस गाड़ी में सलीके से जमा दिया और हमने भी दो ,दो ,,जोड़ कपडे ,टावेल ब्रश और शेविंग कित रख ली !अब हम चारों घर से नरेंद्र के अपार्टमेन्ट में पहुचे जहाँ ३०० भारतीय परिवार रहते हे !वहां नरेंद्र और रुपाली हमारा इंतजार कर रहे थे ! अब वहां से दोनों दोस्तों की कारें८५ मील दूर के जंगल की और दोररहीं थी !अँधेरा होते होते एक जंगल के रेंजर आफिस में पहुच गये !नाम पता लिखने के बाद हमे सपाट न;६८० एलाट किया गया !एक मील अंदर निर्जन -वन में पेड़ पोधों के सिवा कुछ न था !वन विभाग ने सेलानियो के रोड और पार्किंग बना दी थी और स्पॉट न; को 'सड़क किनारे पड़े चटान जेसे पर अंकित कर दिया था !दिन ढल गया था रात ने हमारे साथ जंगल पर भी अपनी काली छाया दाल दी थी !क्रष्ण पक्ष भयावह अंधकार ! ऐसे में किसान टॉर्च ने हमे अमे अपना सामान तक दुन्दने में मदद की !किंतु अब डर और रोमांच की स्तिथि बन गयी !सुनसान जंगल , भूख ,अँधेरा किया करें ? आग जलाई !जिस तरह शिकारी देर रात आग जला कर अपनी सुरक्षा की दीवार को पका करता हे ,और पेट की खुदा [भूख] मिटाने के लिए मिले शिकार को भुनता हे !ठीक वेसे ही हम आलू प्याज भुन भून कर खा रहे थे !अन्ताक्षरी खेले खेलते रात बारह बजे के बाद ही सोने जाते और हनुमान चालीसा पड़ कर ही सोते !पर किसी को बताना मत ,नख से शिखा तक अपने आप को रजाई में छिपा कर ही सोते थे ! --------सुबह कोवे और चिडियो के च्य्चाहने पर ही मेरी नींद खुल जाती थी इसलिए में अकेला ही सेर करने निकल जाता था सुबह का वातावरण बडा मनमोहक होता था ! दो तीन मील दूर जाकर ही वापस लोटता ,इस बहने व्यायाम भी हो जाता था !थोडी दुरी पर तालाब था उसी पर नहाते !फ़िर नसते में केक ,बर्गर और ब्रेड के साथ चाय की चुस्कियां मजे से लेते !दोपहर लंच में घर के पराठे खाते जो योगेश की माता श्री ने शुक्रवार को ही , आते को दूध में सांन कर बनाए थे !जिन्हें ३-४ दिन बाद भी खाया जा सकता हे ! शाम को तालाब में बोटिंग करने जाते! यह बहुत बडा था ! उसमे चप्पू चला चला कर नाव खेने में अलग ही मजा था !किनारे से डेड किलो मीटर दूर अथाह जल राशिः उसमे नाव खेना हमारा पहला अनुभव था !डर तो लग रहा था किंतु हम दो को छोड़ चारों तेराक थे !नरेंद्र रुपाली ने रानी को अपनी नाव में बिठाया में योगी और शमिता की नाव में !हम अलग अलग भले थे ,पर हमारे आगे पीछे स्वीमिंग चेम्पियन थे ! इसलिए खतरे की आशंका कहीं से न थी ! सतर्कता के लिए लाइफ जेकेट तो हमने भी पहन रखी थीं !
Wednesday, August 27, 2008
मूर्ति कला --में कुछ नया कुछ ख़ास ?
शनि के बारे आम धारणा हे की यह दुःख का देवता हे ?आज शनि वार मेरे लिए तो शुभ ही होगा !मेरी कुम्भ राशि का स्वामी शनि हे ! स्वामी अध्यात्म और त्याग का प्रवर्तक हे !उस गुरु क्रपा से काँटों भरे संसार में रह कर भी men खुsh hun !योगेश ने प्रोग्राम तयकिया आज सभी मूर्ति कला देखने समुन्द्र किनारे [रिवेरा - बीच ]चलेगे !यह बताने में बेटे का उत्साह देख मुझे लगा वहां कुछ विशेष कला होगी !हमारी जिज्ञासा देख बेटे ने कहा पापा ,आज का वार्षिक पर्व ,अमेरिका के समुद्र किनारे घुमने वाले कलाकारों और सेलानियो का पर्व हे !आज यू । एस .ऐ । के सभी स्टेट के वे कलाकार जो रेत के पहाड़ बनाना जानते हें !इस बीच पर उनसब का मुकाबला होगा
इस प्रतियोगिता को न्यू इंग्लेंड आर्ट एसोसिशन संयोजित करती हे ! हर कलाकार को दस टन रेत एवं ४ घंटे का समय दिया जाता हे !इस अवधि में उसे अपनी पसंद की मूर्ति सीनरी ,स्टेचू वह जो चाहे बना सकता हे !निर्णायक मंडल उन कृतियों को देख अपना निर्णय देता हे !हमने जाकर देखा बड़ी भीड़ थी !आश्चर्य यह था की एक मील तक दो ल इन की कार पर्किंग फुल हमने और दूर जाकर गाड़ी पार्क की थी !ट्रेफिक पुलिस का इंतजाम भी पुख्ता था ! वहां कला कृतिया देख कर आश्चर्य चकित रह गये ! इस नई कला को पहली बार अपनी आँखों से मुर्तियो के आगे पीछे निहारने का अवसर मिला था ! इसी प्रकार अनूठी मोम की मूर्ति-कला भी देखि नई सोच नई खोज ! न्यू यार्क शहर में विश्व प्रसिद्ध मेय्द्दम -तुशात - म्यूजियम में भी मोम के बड़े बड़े मानव स्टेचू बने हे !कलाकारों की सोच कितनी रचनात्मक हे की ,इस म्यूजिम में आने वाला दर्शक पूरे संसार के महान प्रवरतक ,वैज्ञानिक ,संत ,राजनेता ,अभिनेता और महान कलाकारों की हु बहु शक्ल की मोम की मूर्तियाँ देखें !फ़िर सोचें की किस ने किस खेत्र में प्रगति करी ? क्या वह भी कुछ नया करके संसार का और देश का भला कर सकता हे ?निश्चित ही यह म्युजिंयम लोगों की सोच को विकसित करता हे ,या उनके कर्मो की खुशबु चंदन सी या फ़िर सरदार पटेल के लोह पुरूष जेसी हो ,वेसा बनने का प्रयास करें !सभी दर्शक बड़ी ही तन्मयता से मुर्तिया देख रहे थे !दो घंटे से मन कहाँ भरता हे किंतु शाम का भोजन मित्र के घर में था !इसलिए म्यूजियम की प्रशंसा करते करते विदा हुए लेकिन एक बार और देखने की इच्छा बाकि हे ! new yark से 90 मील दूर राष्ट्रपति रूसवेल्ट का निजी मकान है। फ्रैंकलिन डी रूसवेल्ट अमेरिका के ४ बार राष्ट्रपति रह चुके हैं। प्रशासन ने उनके घर को राष्ट्र-स्मारक और म्यूज़ियम की गरिमा प्रदान की है।
Tuesday, August 26, 2008
स्वच्छता -सफाई
यहाँ चिकित्सा शास्त्र एलोपैथी विधि पवित्रता और स्वच्छता पर आधारित होने के कारण सफल भी हे यहाँ हर खाद्य वस्तु की पेकिंग पर सत्य के साथ होती हे दवाई तथा अन्य खाने की वस्तुओ पर सच सच विश्लेष्ण लिखा होता हे यह में भारतीय आयुर्वेद के बारे कहना चाहुगा की हमारे हकीमों ने यहाँ के जलवायु को देखते हुए प्राकृतिक जडी बूटी को इस लिए भी पसंद किया कियोकी इन में थोडी अशुधि को पचा लेने की ख्य्मता भी होती हे
सेवा-समर्पण के साथ --अमीरी बहुत ,गरीबी न के बराबर इसलिए सेवा संस्थाए कम हे ! सेवा के लिए दो खेत्र बचते हे सीनियर सिटीजन और बच्चे !एक दोपहर को हम सपत्निक चाइल्ड केयर सेंटर पहुचे !केयर टेकर महिला से केन्द्र के बारे जानकारी ली !बातचीत से ज्ञात हुआ की वे लोग बच्चों का पुरा धिआन रखते हें तथा अपरिचितों से मिलने भी नही देते !हमने बताया की दो महीनो तक हम अपनी सेवाए देना चाहते हे ! केयर टेकर लेडी बोली आपका प्रवास समय इतना कम हे की जब तक बच्चे आपसे घुल मिल जाएगे टीबी आप उन्हें छोड़ जाएगे तो उनका दिल टूट जाएगा !जब आप १० ,१२ महा के लिए आयगे टीबी आप सेवा जरुर करना !अभी यहाँ की जनसंख्या बच्चो का प्रतिशत बहुत कम हे !इसलिए संस्था बच्चो के प्रति बहुत संवेदन शील हे !कुछ संस्थाए सीनियर सिटीजन की सेवा करती हे!लोग यदि सेवा करते हे तो पूरे समर्पण के साथ करते हें !
कुछ विशेष[लीक से हट के ]कार्य ---
अमेरिका की कारों में ड्राईवर सीट बाये तरफ होती हे इलेक्ट्रिक मशीनों[गेस ग्रिल -मैक्रो ओवन आदि के स्विच एंटी क्लाक आन होते हें !yaha ges chuhle मेअलग से लाईटर रखने की जरूरत नही, स्विच नाब पुरा घुमा देने पर ही गेस जलने लगता हे !सार्वजनिक पानी पीने की टोटियां नीचे से उपर की और धार फेकती हे ताकि पानी पीने के लिए हाथ का उपयोग न करना पड़े !खेती के बीजो को सुधर कर आलो पियाज एक पाव से ४००ग्राम तक का एक नग शिमला मिर्च भी बड़ी बड़ी लाल पिली और हरे रंग में सभी रेलें मेट्रो सिस्टम से चलती हे !एक स्टेशन का कार्य दो या तीन आदमी संभाल लेते हे हर पेट्रोल पम्प पर स्वचालित सिस्टम हे फोन की तरह नोट डालो पट्रोल भर लो !लोग इमानदार हे बेईमान व्यक्ति जल्दी पकर में आजाता हे !इनके पास पैसा होने से परचेजिंग पावर अच्छी हे इंडियन को शुरू के दिनों महंगाई लगती हे बाद में सब सामान्य लगने लगता हे !यहा के लोग सस्ती वस्तुओं में समय नही लगा कर वो चीन से बनवा लेते हे !कीमती और महत्व पूर्ण मशीनों पर दिमाग लगते हे !यहा के वेगिअनिक लीक हट कुछ नया करने की सोच रखते हें !
एयर -इंडिया विमान से बोस्टन तक
सुबह ८ बजे शमिता बेटी इन्टरनेट केफेमें गई !वहा से योगेश द्वारा भेजे गए पत्रों के प्रिंट निकल कर लाई ! जो सम्भवता एअर पोर्ट पर मांगे जा सकते थे !होटल में हम एअर लायन कम्पनी के मेहमान थे !उन्होंने होटल के रेस्तरां में बड़ी शान से हमे नास्ता कराया !जहा मेहमानों केलिए फ्रूट ,शेक , बेकरी ,साऊथ -इंडियन ,चाइना एवं जापान की कुल मिला कर ५५ या ६० डिश करीने से रखी गई थी ! अपनी इच्छा से हमने कई प्रकार की डिश लेकर नास्ता किया !तभी होटल में ही एरोफ्लोट कम्पनी का फोन आया मास्को जाने वाली उड़ान और लेट हो गई हे ,वह अब शाम ४ बजे जाएगी !सुख के बाद फ़िर दुःख ? शमिता ने बताया पापाजी इस उड़ान से जाने पर हमे मास्को पोर्ट पर ८ से ९ घंटे अगली उड़ान के इंतजार में बैठानापड़ेगा !उस अनजान देश की एअर पोर्ट पर समय काटना बहुत कठिन होगा ! में चाहती हूँ ममी पापा को बोरियत न हो ! इसलिए में प्रयास करती हूँ की कम्पनी किसी दूसरी एअर सर्विस से हमे अभी भिजवा दे तो अच्छा रहेगा ! शमिता की भावना और संकल्प -प्रयास काम कर गये और हमे एअर-इंडिया की सीधी न्यू यार्क तक अ-१०१ उड़ान में सीट मिल गई !हमने अपना सामान पोर्टर को सुपुर्द किया और छोटा हेंड बेग लेकर सुरक्षा जाँच चोकी पर आ गये !हमारे मोबायल स्विच आफ करा दिए गये !बेग में चेन ,पलास केंची ,चाकू एवं ब्लेड आदि वहीं कचरा बॉक्स में फिकवा दिए गए !आंतकवादी घटनाओ को देखते हुए सुरक्षा हेतु यह नियम बनाये गए हें !
जब हम विमान में थे---विमान में सवार होते ही परिचारिकाओं ने मीठी मुस्कराहट के साथ हमारा स्वागत अभिवादन किया !सीट बेल्ट बंधने के निर्देश के साथ ही जहाज धीरे धीरे चलने लगा ,दो तीन किलो मीटर चलने के बाद वह उड़ने लगा और हम हवा में तेर रहे थे ! देखते ही देखते हमारा विमान जमीं से १० किलो मीटर ऊपर बादलो पर उड़ने लगा इस प्रकार हम अपने लक्ष की और बड़ते जा रहे थे !यह चोद्देह घंटे की यात्रा थी !किंतु बड़े सम्मान के साथ हमे चाय काफी ,नास्ता,भोजन ,पानी सभी को स्वेच्छा से मिलता रहा ! हर सीट के सामने टी वि स्क्रीन लगी थी स्विच -माउस हमारे हाथ में था ! उस कम्पुटर में सभी की पसंद के गेम पिक्चर ,गाने या अन्य भाषाई पोरोग्राम देखने की सुविधा थी !हमे मन पसंद प्रोग्राम देखते हुए दो बार नींद भी लग गई !हमे अभी और लता जी एवं मुकेश के हिट गाने सुनना बाकि थे !की विमान से उद्घोषणा हुई की ३० मिनिट बाद हम जान केन्नेडी एअर पोर्ट न्यू यार्क पर उतरने वाले हेअब टी वी सेट बंद किए जा रहे हे !कृपा करके अपनी सीट बेल्ट बाँध लें !समय अनुसार विमान जमीन पर दोड़ने लगा ! फ़िर जेसे ही रुका उसके गेट पर उतरने के लिए रास्ता बना दिया गया !विमान से उतरते हुए पोर्ट अभिकरण ने हमारा स्वागत किया !अपना सामान लेकर बाहर आए ,जहा हमारा रिंकू [योगेश]स्वागत को आतुर था !अभिनंदन कर सभी के गले से लिपट कर मिला !कितना प्यार और इन्तजार था आँखों में ?सामान को अपनी टोयटा यारिस में रखवाया और वहां से सुपर हाई वे पर बोस्टन की और चल पड़े !
हाई वे मार्ग ----पर योगी अपनी गाड़ी ६५ मील [१०० किलो म ] प्रति घंटा की गति से चला रहा था ! जो यहाँ की सामान्य गति कही जाती हे ! फॉर लें न रास्ते एक तरफ़ इसी तरह दूसरी दिशा में भी फॉर लेंन सदके हें !वन वे रोड कोई क्रासिग नही नो स्पीड ब्रेकर और न ही किसी हार्न की आवाज सभी गाडियाँ अपनी गति से चल रही हें ! फ्लाई ओवर भी काफी पार किए ! सदके चोरी ,पक्की और साफ़ थी !हम तीन सो मील चले सफ़ेद लेने पेंट वाली साथ चलती रही !रोड से बाहर जाने के लिए संकेत बोर्ड अपना काम बहुत अच्छी प्रकार से कर रहे थे !योगी की गाड़ी बड़ी समूथ चल रही थी ! हमे लघु शंका हुई तो बेटे तभी उसने ग्लोबल पोजिशनिंग के हेंड सेट को आन किया ! उसमे हमारी पुरी रोड का मेप आने लगा तो मालुम पड़ा तीन मील दूर रेस्तरां हे !हम वहीं फ्रेश होंगे !हमारा पहला पड़ाव था कनेक्तिकुत स्टेट का स्वागत दुआर ,यहाँ हम फ्रेश हुए नास्ता करके ५० मील आगे स्टेट पार्क में घुमने चले गए !पार्क के पिछले किनारे को एटलांटिक सागर छू रहा था कई अमरीकी परिवार समुद्र में नहा रहे थे !हम भी वहा नहाए और पिकनिक जेसा मजा लिया !वहां से चल कर सीधा घर पहुचे खाना खाया और विश्राम के लिए लेट गए !
Monday, August 25, 2008
पासपोर्ट से एयर इंडिया की उड़ान तक -
रेलवे स्टेशन आम दिनों कि अपेक्षा ! आज कुछ जिआदा चम् चमा रहा था ! स्टेशन में प्रवेश करते ही लगा हर कोना महक रहा था !टी स्टाल ,बुक स्टाल और स्टेशन अधीक्षक का कमरा और प्लेट फार्म पर लगे विज्ञापन बोर्ड चमक रहे थे ! कोटा स्टोन का बना फर्श उत्तर से दक्षिण तक ! सब कुछ व्यवस्थित था ! मानो कोई ख़ास मेहमान आ रहा हो या फ़िर { i s o } [इंटर नेशनल स्टेंडर्ड ओर्गेनैजेशंन ] के प्रमाण पत्र पाने के लिए विभाग संजीदा हो गया था ? हमारे लिए तो यह दिन aur bhi bahut सुहावना बन गया था !आज योगेश कि धर्मपत्नी शमिता हमे अपने साथ १५००० किलो मीटरदूर अमेरिका कि यात्रा पर ले जा रही थी !
दिन के दो बज रहे थे ! हम स्टेशन के प्लेट फार्म एक पर दिल्ली जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे !इस ट्रेन कि रिजर्वेशन तो हमने पन्द्रह दिन पहले कराई थी ! लेकिन मानसिक तेयारी और पहले हो गई थी ! हम अपने भाई -बहिनों से उनके शहर जा कर मिले और उनसे आशीर्वाद लिया ! सभी शुभचिंतको से उत्साह पूर्वक मिलते ,जहाँ नही पहुंचे उन्हें फोन पर ही सूचित कर उनका आशीष प्राप्त किया ! तेयारिया चलते विदेश यात्रा का बीमा होता हे वह भी करवा लिया था !
प्लेट फार्म पर हमे विदाई देने वालो में पहुचे थे मान्यवर सुभाष बहल ,चन्द्र खुराना ,सतीश अग्रवाल ,नरेश ,प्रकाश ,महेश ,आशा नीता ,रिया,अंजलि ,प्रत्यूष , जतिन प्रिया धीरज ,हनी , स्पर्श एवं परिवार के छोटे चिराग आदि {आर्य-वीर }सभी ने गुलाब के फूलो ,गुलदस्तों से हमारा स्वागत किया था !वे आत्मीय ख्यं हमे अब तक भी चंवर झुला कर ताजगी और शीतलता प्रदान करते हुए याद आते हें ! सभी प्रसन्न मुद्रा मर यही वयक्त कर रहे थे कि हमारी विदेश यात्रा आनंद दायक हो !वहा के शुभ और नवीन अनुभव लेकर वापस आंये !जेसे ही ट्रेन चलने का सिग्नल हुआ !शताब्दी बिना आवाज के धीरे धीरे चलने लगी ! प्लेट फार्म छुट ता गया ,सभी अपना हाथ हिला कर सद्भावना से बाय बाय कहते विदाई देते दूर तक दिखाई देते रहे
हमारी ट्रेन शाम सात बजे गवालियर स्टेशन पर रुकी ,यहाँ हमारे मित्र सुभाष सयाल ,निर्मल दीदी ,टोनी ,रश्मि,सागर सभी ने गले मिल कर हमारा अभिनंदन किया !पाँच मिनिट बाद हमारी ट्रेन गंतव्य कि और बदने लगी !कोच का बेरा सफ़ेद शर्ट और काली पेंट पहने हाथों में ट्रे लिए हमारे पास आकर धीरे बोला सर टमेटो सूप अब सभी ने सूप का एक एक डिस्पोजल गिलास लिया !गर्म टमेटो सूप स्वादिष्ट था इसलिए सभी को पसंद भी आया !इसके बाद सभी यात्रियों को डिन्नर दिया गया !फ़िर ठंडी वेनीला आइसक्रीम का रसा स्वादन करते करते रात सादे दस बजे न्यू देहली स्टेशन पर पहुच्चुके थे !स्टेशन से ही हमने एयर पोर्ट के लिए प्रीपेड टेक्सी ले ली थी और लगभग १२ बजे हम इंदिरा गाँधी अन्तर राष्ट्रीय हवाई अडे पर पहुच गये
हमारी उड़ान ५३६एरो- फ्लोट का समय था प्रात चार बजे !उसका काउन्टर तीन घंटे पहले यानि एक बजे खुलना था बस इन्तजार बाकी था इसलिए एयरपोर्ट पर लगी सूचनाओ के पड़ने में अपना टाइम पास कर रहे थे रात्री एक बजे कि हमारी कम्पनी कि उड़ान सात घंटे लेट हे !यह शब्दावली सुनते ही माथा ठनक गया !तीनो प्राणी सन्न हो गये हमे लगा देसी रेलवे के समय का असर विमान-सेवा पर भी होने लगा हे हम परेशानी अनुभव करने लगे कि कहाँ जाय !सामान् के साथ पोर्ट पर विश्राम केसे होगा ? मेने काउन्टर पर पहुच कर अपनी समस्या रखी वहा बेठी युवती ने हमसे टिकिट दिखने को कहा !चूँकि हम पहली बार विदेश जा रहे थे !तो युवती ने वीजा के साथ यू .एस का आमन्त्रण पत्र भी माँगा जो हमारे पास नही था !इस पर उसने हमें सतर्क किया ,आमन्त्रण पत्र हाथ में न होने पर रास्ते में या यू एस एयर पोर्ट पर भी आपको नगर प्रवेश से रोका जा सकता हे !इसलिए पत्र कि व्यवस्था कर लेना हमारे लिए हितकारी होगा !फ़िर पीछे खड़े अपने स्टाफ के व्यक्ति से कहा -उड़ान का समय निश्चित होने तक ,इनके लिए होटल कि व्यवस्था करे !इसी बीच शमिता ने समझदारी की ,तुरंत योगेश को फोन लगाया कि वह इमेल या फेक्स से हमे पत्रक भेज दे इसी विकत सिथिति में योगेश का जबाब था --अभी एक घंटे में जरुरी पत्र इमेल में स्केन कर भेज रहा हूँ !आप चिंता न करे ! योगेश के प्रतिउत्तर से मुझे बड़ी सांत्वना मिली !हम निश्चिंत हो गए !कम्पनी ने हमे होटल की स्टाफ बस से पाँच सितारा होटल जे पी .सिद्धार्थ में भेज दिया !थोडी देर बाद हम कमरा न १२१ में आकर सो गए !
पुस्तक एवं लेखक परिचय
श्याम बिहारी सक्सेना
सह सचिव राम कृष्ण मिशन ,साहित्यक एवं गायत्री साधक
Friday, August 22, 2008
यात्रा संस्मरण पुस्तिका का उदेश्य {प्रस्तावना} -ले -ॐ खुराना
मेने इस धरती पर आकर जो अनुभव किया !उसका अपनी शेली और अपनी ही बोल-चाल की भाषा में आपके सामने चित्रांकन कर रहा हूँ !में आशा करता हु जिनकी युवा संताने लंदन /आस्ट्रेलिया /कनाडा अथवा अमेरिका में नोकरी कर रही हे !अथवा उन्हें पहली बार विदेश जाने का अवसर मिल रहा हे !उनके लिए यह पुस्तक मार्ग दर्शक का काम करेगी !दुसरे वे महानुभाव जो नियम /सयंम /तप /त्याग /सेवा सुचिता और सत्य जेसे शब्दों में अर्थ न दूंद पाए हो , वे लोग ऐसे देश के नागरिको का रहन सहन देख कर उनसे बहुत कुछ प्रेरणा ले सकते हे !मेरे कई मित्र विदेश यात्रा से लोटते .तो मुझे अक्सर उनसे उनके यत्र संस्मरण सुनना बहुत अच्छा लगता था !मुझे चर्चाओं में गुथी हुई अच्छी कहानिया ;उत्प्रेरक बातें /लिबास के रंग /शिष्टाचार के ढंग /जानना बहुत सुहाना लगता ,यात्राओं के रोमांच, उनको मिले सदवाक्य-सदभावना और सदविचारों का अर्क निकालता थाफ़िर उस खुशबु दार अर्क-इतर को सब के कान अटकाने में मुझे आत्म संतोष और आनंद मिलता था !इस रीत में जो सुख बीस साल पहले मिलता था, उसमे आज भी रत्ती भर कमी नही आई हे यहाँ मुझे संसकृत का एक शलोक बहुत ही पसंद हे ! सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे सन्तु निरामया ! सर्वे भद्राणि पस्चान्तु माँ कष्ट दुःख भाग भवेत् !
महेश,हिमाली द्वारा प्रकाशन हेतु उत्साह मिलता राहा। प्रिया और सुचनाप्रोदोयिकी इंजिनियर जतिन द्वारा यात्रा संस्मरण की बिखरी हुई पांडुलिपियों को कंप्यूटर पर व्यवस्थित कर उन्हें प्रकाशन हेतु तेयार करने के लिए चारो साधू वाद के पात्र है ।
मेरी इस यात्रा के संस्मरण पड़ कर यदि आप उन मानवीय सदगुणों को धारण करने का प्रयास करेंगे, तब वह न सिर्फ़ आपके लिए बल्कि आपके संपर्क में आने वाले को भी लाभ प्रदान करेगा।
मेरा e-mail address mailto:-om.p.khurana@gmail.com
फ़िल्म इंडस्ट्री एवं नाट्य कला मंच -
गुरूद्वारे के दर्शन एवं लंगर =
Wednesday, August 20, 2008
अमेरिका के विश्व विद्यालय
cambride.www.cpsd.us यदि आप अंतरराष्ट्री राजनीति और सुरक्षा जेसे विषयों पर डिग्री लेना चाहे तो वाशिंगटन डी सी में दी इन्स्तिचिउटआफ वर्डपोलिटिक्स से सम्पर्क करें info@iwp।edu / www।iwp।edu एक दिन हम शमिता के कालेज में गएबडा केम्पस तीन बडे बडे भवनों के ब्लोक हें और जान ऍफ़ कन्नेड्डीलायब्रेरी हे जो यहाँ की बडी लायब्रेरियों में गिनी जाती हे !इसकी तीन साइड समुद्र से घिरी हुई हे !जिसमे हाउसबोट भी चलती हें ! जे ऍफ़ के नाम से मेट्रो रेल स्टशनभी बनाया गया हे ! न्यू जर्सी में तो होंयो पेथी डिरेक्टरी डिप्लोमा कोर्स हबी होता हे! वहा रह कर जो कोर्स करते हे उनको वहानोकरी का चांस मिल जाता हे !
Thursday, August 14, 2008
वाशिंगटन स्ट्रीट शाम ५ बजे का समय --
अमेरिका की केन्द्रीय के सभी कार्यालय वाशिगटन दी सी [डिस्ट्रिक ऑफ़ कोलम्बिया ]में हे !यह ५० राज्यों की सयुक्त राजधानी हे !यहाँ वास्तुकला का अदभुत दर्शय तीन टांग की लकड़ी की नक्काशी दार टेबल की तरह लगभग तीस मंजिला भवन के ऊपर एक रिवाल्विंग होटल ,वास्तु कला का कमाल था एक बहुत विशाल शेड जिस में बोइंग ७४७ जेसे विशालकाय विमानों को असेम्बल किया [जोड़ा ] जाता हे !इसे संसार का सब से अधिक लम्बा ,चोदा और ऊचा कहा जा सकता हे ! सभी स्टेट की अपनी पहचान के अलग अलग ध्वज हे किंतु संयुक्त राज्य अमेरिका का यूनियन फ्लेग ही हर नागरिक की पहली पसंद हे !इस धवज में तिहाई नेवी ब्लू पर ५० सितारे शेष में लाल सफ़ेद लेने हे !देश में साधन सम्पन्न अनुसन्धान केन्द्र , बड़े बड़े पुल गुफा मार्ग ,देत्याकार भुजाओं जेसे मीलो लम्बे फ्लाई ओवर ,मेट्रो कम्प्यूटरी कृत रेलें ,मंगल और बुध ग्रह पर जाने की तेयारी में रॉकेट ,सॅटॅलाइट यह सब कार्य रोमांचित करते हे !हर रेस्तरा ऑटो मेटिक फ्लैश सिस्टम ,पार्किंग या टोल नाके आटोमेटिक खुलने एवं बंद होने वाले बेरियर ,सिम सिम कहते खुल जाने वाले सभी संस्थानों के प्रवेश दुआर ,सुरक्षा के लिए अद्रश्य कैमरो का जाल और सत्य की आदत [झूठ में आधिक सजा डर ]यह सब करिश्मे तिलिस्मी दुनिया से लगते हे !लेकिन यह यहाँ सब सच हे !
Wednesday, August 13, 2008
शिकागो का गायत्री मन्दिर [ गा .श .पीठ ]
में बना था. अभी न्यू जेर्सी गायत्री मिशन की मदत से इतास्का में १७००००० डॉलर की मदत से १ चर्च ख़रीदा गया था और उसमे गायत्री शक्तिपीठ का निर्माण शुरू कर दिया गया है ...यहाँ से फ़िर भारतीय संस्कृति के बारे जानने का ,अमेरिका वासियो के लिए एक दरवाजा खुल जाएगा !फ़िर सभी लोग देव संस्कृति पड़ने के लिए नालंदा - तक्षिला विश्व -व्व्दियालय की तरह देव संस्कृति विश्व विद्यालय -शांतिकुंज -हारीद्वार -उतराखंड -भारत में जा सकेंगे उदार वादियो का नगर ,इलिओनोइस की राज धनि शिकागो ,भारत वासियो की द्रष्टि में और भी महत्व पूर्ण हे !लगभग सो साल पहले यहाँ एक धर्म संसद बुलाई गई थी उसमे भारत विद्वान युवक आए ,जिन्हें बाद में स्वामी विवेकानंद के नम से जन गया उन्होंने जो प्रवचन दिया वह सार्वजनीन तो था ही ,लेकिन उनके दो शब्दों ने पूरे श्रोता समुदाय को मन्त्र मुग्ध कर दिया था !अगले दिन उनके कथन को अखबारों ने मुख प्रष्ट पर सम्मान से छापा था !धर्म संसद का गरिमा पूर्ण मंच धर्म आचार्यो और वक्ताओ से महक रहा था !यहाँ के चलन मुताबिक मंच पर जो भी वक्ता आते ,श्रोताओ को संबोधन में कहते लेडिज एंड जेंटल में न -लेकिन स्वामी विवेकानंद अमेरिकी इतिहास में पहले इसे धर्म आचार्य थे जिन्होंने श्रोताओ को बडे आत्मीय भावः से संबोधित किया ;"माई सिस्टर एंड ब्रदर्स : इतना कहते ही पूरी सभा तालियो से गूँज उठी थी वह बोल अमेरिकी ह्रदयों में भारत के प्रति प्यार के बीजारोपण के साथ साथ उन्हें अंकुरित भी कर गए थे ! एक बार गुरदेव आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने प्रवचन करते बताया था मैअपने शरीर को एक लेबोरेट्री के तरीके से बना कर जिन्दगी भर उसमे प्रीख्शन करता रहा हू ! जिसमे जबान की नोक से उचार्ण किए गयशब्द भी शामिल हे ;हाथ से माला घुमाया जन भी शामिल हे फूल चावल चदानाकर्म -कांड हे मै मानता हू सिर्फ़ कर्म -कांड लाश हे ! आप इसकी निंदा करते हे तो बेटा मै भी इसकी बहुतनिंदा करता हू ! हम तो मजाक उड़ाकर न जाने किया किया कहते हे ! मै कहता हू कर्म कांड के साथ विचारो का सुधारहोना बहुत जरुरी हे भगवन सबी या मूर्तियाँ सब ने अपनी कल्पना से बनाईहे! भगवान की कोई मूरत नही बन सकती ! असली भगवान एक चेतना हे जो सारे विश्व मै वियापतहे ! उसकी एक छोटी सी चिंगारी हमारे और आपके भीतर बेठी हुई हे जिसको हम कहते हे ब्रह्म ! ब्रह्म विराटऔर जीव लघु हे । जीव और भगवान जब मिलते टीबी क्याहोता हे जेसे बिजली के दो तारजब आपस मेमिलते हें तो क्या बात होती हे ! एक स्पार्क निकलता हेऔर करंट निकलता हे ! हम मे क्या निकलते हे आदर्श और सिधान्त ! जब भी भगवान मिलेगा मनुष के भीतर ही मिलेगा श्रधा से भगवान आतें हे ! श्रधा का अर्थ हे श्रेष्ठ ता और आदर्शों से प्यार गुरु गोबिंद सिंग जा इब्राहीम के तरीके से हमे नुक्सान उठाना पड़ता हो तो उठाना पड़े ; लेकिन हम सिद्दांतों पर जिन्दा रहेगे ! श्रद्दा मे बड़ी शक्ति हे ! महापुरुषों से लेकर ऋषियो तक और जहा तक भगवान् के भक्त हुए हे वहा तक हरेक के भीतर हम पाते हे की अगर वे सफल हुए तो ;और अगर सफल नही हुए तो ; एक ही वजह से हुए हे की उनके अंदर श्रधा का अंश कितना रहा ! कर्म -कांड रहे ; पूजा रही हे उपासना रही हे भजन करने वाले रहे हे जप करने वाले रहे हे ; श्रद्धा के आभाव की वजह से जीवन मे श्रेष्ट ता का समावेश न कर सके और गई गुजरी अवस्था मे पडे रहे ; जप करने वाले जप करे । भक्ति होती रही , भजन होते रहे ,पर नीचता और निकम्मापन जहा का तहां बना रहा ! निकृष्ट ता ने पैर नही हटाए और भक्ति ने चमत्कार नही दिखाए ! भक्ति आयेगी तो हमारा निक्क्मापन चला जाएगा ! निक्मापन रहेगा तो भक्ति नही आयेगी !उपासना -साधना का प्राण हे श्रद्दा !शान्ति कुञ्ज से पधारे श्री पंड्या ने कहा आपको यू -एस - ऐ -का अर्थ मालूम हो !यू -उपासना ,एस -साधना ,ऐ -आराधना ,इस धरती के इन अक्षरों पर अम्ल करो !आपको पता हो एनी बेसेंट यहाँ की थी जिसने भारत की इस संस्कृति को आत्मसात कर लिया ,इशु ने हिमालय के सिद्ध आत्माओं से ज्ञान प्राप्त किया !मदर टेरेसा को भी भारत में ही सेवा कर आनंद की प्राप्ति हुई थी!भारत की भूलती जा रही उस संस्कृति पुन्न स्थापित करने हेतु नालंदा ,तक्षिला के समान देव संस्क्रती विश्व विदियाली की शाखा स्थापित की जाएगी जिसमे योग साधना परिवार प्रबन्धन ,मन्दिर प्रबंधन और साऊथ इंडियन कल्चर भी पदाया जाएगा
Monday, August 11, 2008
लिबर्टी स्टैचू [आजादी की मशाल ]
इस टापू पर हमे घूमते हुए एक बज गया !हम एक बडे क्रूजर में बेथ कर न्यू जर्सी राज्य में पहुच गए !रिम झिम बरसात होने लगी हम तेज कदमो से अपनी गाड़ी तक आ गये अब भूख लगने कगी और अपनी घर जेसा कुछ खाने का दिल था !जानकारी लेने पर पता चला ४० किलो मीटर की दुरी पर जर्सी नम का शहर हे वहा भातीय लोगो की होटल हे मुह में पानी आ गया !हम ने जर्सी का रुख किया !और पहुच गये ,इंडियन डोसा हट ,एक गुजरती लड़की इस होटल की व्यवस्था देख रही थी भीनी भीनी गंध आ रही थी !हमने दोसे का आर्डर नोट कराया और १७ न; की टेबल पर बैठ गये !थोडी देर में आवाज़ आई टेबल न; १७ का आर्डर रेडी हे हम अपना लाकर खाने बैठ गये गर्म गरमा गर्म सांबर की देगची हमारे पास रखी थी हम ने स्वेच्छा से संबर डोसा ,उत्तपम ,इडली , लेकर तबियत से खाया !काफ़ी पीते पीते ध्यान आया की शीला दीदी लड़की लवली [सारिका ]भी तो जर्सी में कही नोकरी करती हे !आँखे तलाश रही थी आज रविवार हे ,कही डोसा खाने आ निकले तो मुलाकात हो जाए !सम्पर्क करने का साधन मोबाईल था !परन्तु लवली भांजी का न; हमारे पास न था !भारत में उस वक्त रात के दो बज रहे थे वहा फोन करना अनुचित लगा !काफ़ी की चुस्किया खत्म कर गाड़ी में सवार हो गये !शहर के बहार सरार जी का पेट्रोल पम्प था वहा से टेंक फुल करवा कर ,न्यू यार्क के हाई वे क्रमांक ९३ पर ड्राइव करने लगे !
योगेश गाड़ी चला रहा था ,पार्श्व सीट पर शमिता जी , पी. एस .हेंड सेट हाथ में लेकर बेठी थी !इस के बिना तो दस कदम गाड़ी चलाना मुश्किल !यहाँ की सडको के किनारों पर पेड़ पोधे तो जी भर कर देख लो लेकिन आदम जात दिखाई नही देती !जो हमे रास्ता बता देवे !शमिता जी पि एस देख कर मार्ग की पोजीशन बताती जा रही थी दुसरे उसे तरोताजा बनाए रखने के लिए कभी भजन ,चुटकुले गीत तो कभी टाफी गोली खिला कर मनोरं
जन कर रही थी!---------
दो घंटे से गाड़ी इतनी तेज मनो हवा से बातें कर रही थी १मुझे लघु शंका निवारण की हाजत हुई ,मेने दो मिनिट गाड़ी को जंगल में एक किनारे रोकने के किए कहा !बेटे ने बताया रोड के किनारे कही भी खडे हो जाना अशिष्ट ता का सूचक हे !गाड़ी चलते हुए मार्ग संकेत से ज्ञात हुआ एक मील के भीतर रेस्तरा आने वाला हे !यह मेक्दोनल रेस्तरा था जिसकी शाखाए पूरे अमेरिका और कनाडा में हे इसमे रेस्ट रूम यानि स्वच्छ शोचालय ,पब्लिक फोन ,और पेय जल ठंडा और गर्म हर जगह मिलता हे !हम गाड़ी पार्क कर के फ्रेश हुए ,फ़िर पिजा खाया काफी लेने के बाद फ़िर सुपर हाई वे यात्रा शुरू !!हाई वे और बडे आउट लेट में तो थ्रू ड्राइव सिस्टम भी रहता हे ! यानि आपको कार से उतरने की आवश्कता नही !जैसे पेट्रोल पम्प पर हवा भरने का बूथ रहता हे !इसी प्रकार के बूथ के सामने गाड़ी रोक दे !वहा लगे मीनू कार्ड में पद कर बेठे बेठे माइक पर आर्डर दे दे !बीस कदम बाद पहली विंडो में आपका बिल तेयार हे ,यहाँ आप भुगतान करे ! अगले १५-बीस कदम बाद आपको डिलेवरी विंडो में सामान मिल जाएगा !आप कार में बेठे बेठे नास्ता, खाना लेकर आगे की यात्रा चलू भी रख सकते हे !बहुत व्यस्त नागरिक समय बचाने के लिए ड्राइव थ्रू जाना पसंद करते हे !यही सिस्टम सी ,वि , एस ,फार्मेसी शोरूम में भी लागु हे !जो दवा के लिए २४ घंटे चालू रहता हे !पीजा किंग ,द्न्किन,दुनौत और पनेरा ब्रेड आदि रेस्त्राओ में भी सिटिंग के साथ ड्राइव थ्रू से भी खान पान उपलब्ध कराया जाता हे !